For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी क्रम में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-130

विषय - "कुछ याद उन्हें भी कर लो"

आयोजन अवधि- 14 अगस्त 2021, दिन शनिवार से 15 अगस्त 2021, दिन रविवार की समाप्ति तक अर्थात कुल दो दिन.

ध्यान रहे : बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी मौलिक एवं अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता, अतुकांत आधुनिक कविता, हास्य कविता, गीत-नवगीत, ग़ज़ल, नज़्म, हाइकू, सॉनेट, व्यंग्य काव्य, मुक्तक, शास्त्रीय-छंद जैसे दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि.

अति आवश्यक सूचना :-

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 14 अगस्त 2021, दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा।

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें

मंच संचालक
ई. गणेश जी बाग़ी 
(संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम परिवार

Views: 1170

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

स्वागत है.. 

गीत

देकर स्वयं के प्राण  जो  स्वाधीन कर गये।
वो ही हमारी झोलियाँ खुशियों से भर गये।।
*
कितने दिलों में जुल्म से लड़ने की थी अगन।
कितने  जवान   मौत   से  करते  गये  लगन।।
जिन की बनायी नींव  पे  रचता गया वतन।
अवसर है आज साथियों उनको करें नमन।।
*
मरना भी उनका जीने से सच है कि श्रेष्ठ था।
मर कर  शहीद  देश  पे  जो  हो  अमर  गये।।
*
झाँसी में  रानी  लक्ष्मी  संथाल विरसा का।
तात्या थे साथ  नाना  के  लड़ने  डटे सदा।।
मंगल ने शंख फूँका था मेरठ में क्राति का।
फूटा था उस से मुक्ति का नूतन जो रास्ता।।
*
था देश प्रेम सब के ही दिल में उमड़ पड़ा।
लाखों युवा जो उस पे ही बढ़ते निडर गये।।
*
आजाद  देश  मुक्ति  को  आजाद  ही  लड़े।
बिस्मिल भगत के साथ में सुखदेव जो खड़े।।
गुरु थे वो राज देश  के  कमसिन बहुत बड़े।
बटुकेश  दत्त   साथ   खुदीराम   चल   पड़े।।
*
कैसे अजब  थे  लोग  वो  इस देश के लिए।
चढ़कर जो सूली लोक के दिल में उतर गये।।
*
अशफाक उल्ला खान हो रोशन या लाहिड़ी।
उट्ठे तिलक  के  साथ  ही  लड़ने  को केसरी।।
अनगिन अनाम लटके जो इमली पे बावनी।
उन की लिखेगा खोज  के कोई तो जीवनी।।
*
बलिदान उन का सीख  है देता हमें सनम।
देने को  खाद  पेड़  को  पत्ते  जो झर गये।।
*
हसरत महल हों कामा हों अरविन्द, गोखले।
मातंगिनी,  कनकलता,  सहगल  के हौसले।।
गाँधी, विपिन, सुनीति, उधम राह जिस चले।
खुद ही सिमट के घट गये मंजिल के फासले।।
*
बल्लभ हों सूर्यसेन  या  फिर शान्तिघोष हों।
चहुँ ओर सब के  नाम  के  झण्डे फहर गये।।
*
नेता सुभाष, भगवती जुल्मों से लड़ने को।
ललकारते सुभाष थे  दिल्ली यूँ चलने को।।
सूरज था जिनका बोलते आये न ढलने को।
मजबूर कर दिया  था  उन्हें  यूँ विचलने को।।
*
जलियाँ का बाग आज भी इसका गवाह है।
करते  फिरंगी  जुल्म  थे  चाहे  जिधर गये।।
*
आजाद आज हम हैं तो किस बात का है डर।
कर के  विकास  चाँद  का  करने  लगे सफर।।
वो  ही  शहीद  लाये  थे  लेकिन  हमें  इधर।
है आज करना उन का ही आभार याद कर।।
*
स्वाधीन करने देश  को इतिहास कह रहा।
जितने भी कालापानी में गुमनाम मर गये।।
*
मौलिक/अप्रकाशित

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई। आपकी लेखनी को नमन।

अद्भुत रचना-प्रयास है, आदरणीय लक्ष्मण धामीजी.. 

आजाद आज हम हैं तो किस बात का है डर।
कर के  विकास  चाँद  का  करने  लगे सफर।।
वो  ही  शहीद  लाये  थे  लेकिन  हमें  इधर।
है आज करना उन का ही आभार याद कर।।
*
स्वाधीन करने देश  को इतिहास कह रहा।
जितने भी कालापानी में गुमनाम मर गये।।... ... अनिर्वचनीय ! 

शुभ-शुभ

जी बहुत खूब लिखा आदरणीय लक्ष्मण धामी जी

गीत.....माँ का दामन खुशियों से भर दें !

पुनि पुनि नत मस्तक हों साथी

कुछ  याद  उन्हें भी कर लें !

भगत सिंह बिस्मिल हुए शहीद 

आजादी  की खातिर सुन  लें

सुभाष  वीर   मौत  चुन ली,

अब याद  सभी को कर लें  !

बलिदान खुदी को कर लें  !!

कि अलख जगायी देश-विदेश 

बन जापानी  सुभाष ने 

ऊधम  ने ही डायर मारा,

कि लंदन जकड़ा मौत ने !

गाँधी हो प्रसाद मुखर्जी 

कुछ  याद  उन्हें भी कर लें

राजगुरु सुखदेव  दीवाने

आजादी   वो  परवाने,

फाँसी की परवाह  नहीं की

ऐसे   थे   वो   मस्ताने !

सुनो सखा अलसाये हो क्या 

अभी  नव उत्साह भर लें !

स्वेद - बिन्दु माथे अब माँ के

हृदय रोष अन्तस कर लें !

काश्मीर  अब फिर  खतरे में

वीरों जोश जवानी भर लें !

माँ का दामन  खुशियों भर दें  !

मौलिक व अप्रकाशित 

गेयता को साधती हुई यह रचना प्रासंगिक बन पड़ी है, आदरणीय चेतन प्रकाश जी.. 

शिल्प के प्रति सचेत रहा करें. अन्यथा, प्रयास नेष्ट होगा. 

शुभ-शुभ

आदरणीय भाई, मुसाफिर साहब, क्षमा दान करें परन्तु ग़ज़ल और गीत में कई मौलिक असमानताएं होती है ं, आप की प्रस्तुत रचना निसंदेह 221 2121 1221 212 के अवजान लेकर सुन्दर ग़ज़ल तो है, परन्तु अफसोस है, 'गीत' नही लगी! सादर !

रचना-प्रयास पर अपनी बात करते हुए हम तनिक संयत रहा करें आदरणीय. 

आपका मंतव्य, या आपका कोई निजी आग्रह रचनात्मकता की सार्थक छोर पकड़ पाने को लेकर अभी आपके अभ्यास में सातत्य जोह रहा है, आदरणीय. 

शुभातिशुभ

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
8 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
yesterday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Sunday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Jul 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Jul 3

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service