आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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आ.मनन कुमार जी बहूत प्रासंगिक विषय उठाया आपने.सुंदर रचना के लिए बधाई
पने देश की लंबी गुलामी के पीछे आपसी वैर-भाव और षड्यंत्र की भूमिका अहम बतायी बतायी जाती है।-------- बहुत खूब लिखा है . देश -काल के मद्देनज़र बहुत ही गम्भीरे रचनाकर्म हुआ है आपका आदरणीय मनन कुमार जी आपसी वैर -भाव ही विनाश का कारन बनता है . बहुत -बहुत बधाई आपको .
आदरणीय मनन जी, प्रदत्त विषय आधारित लघुकथा प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर
एक सामयिक लघुकथा पटल पर जिवंत हुई है, पसंद आई यह प्रस्तुति, बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी.
वाह आदरणीय मनन जी प्रदत्त विषय को सार्थक करती इस लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई।
प्रिय मनन भाई आपकी रचना पर कल टिप्पणी दी थी , मगर नेट की गड़बड़ या किसी तकनीकी कारण से शायद गलत थ्रेड में चली गई। आप मेरे लिए एक कष्ट कीजिए और उसे खोज कर एक निगाह अवश्य डालिए। मुझे मिली तो यहाँ कॉपी पेस्ट कर दूंगा।
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