आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी क्रम में प्रस्तुत है :
"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-142
विषय - "जय हिंद"
आयोजन अवधि- 13 अगस्त 2022, दिन शनिवार से 14 अगस्त 2022, दिन रविवार की समाप्ति तक अर्थात कुल दो दिन.
ध्यान रहे : बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी मौलिक एवं अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.
उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --
तुकांत कविता, अतुकांत आधुनिक कविता, हास्य कविता, गीत-नवगीत, ग़ज़ल, नज़्म, हाइकू, सॉनेट, व्यंग्य काव्य, मुक्तक, शास्त्रीय-छंद जैसे दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि.
अति आवश्यक सूचना :-
रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.
आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.
इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 13 अगस्त 2022, दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा।
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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
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मंच संचालक
ई. गणेश जी बाग़ी
(संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक)
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जय हिंद जय हिंद जय हिन्द
शस्य श्यामला धरती हमारी
गूँजे जनगण अट्ठहास
घर-घर बनी रँगोली प्यारी
जन मन भरा है उल्लास
शीर्ष, जगत ध्वज हमारा
उड़ता विश्व तिरंगा प्यारा
खुशी सभी है विद्वत वृन्द
जय हिंद जय हिंद जय हिंद
आजाद हुए बीता इक युग
हलाहल से पाया अमृत
स्वर्ग आजादी वह था कलयुग
बहतर कलयुग हो विस्मृत
धन- धान्य भरा सदा भण्डार
निर्धन पाते मुफ्त आहार
हो चाहे हरिजन या बिन्द
जय हिंद जय हिंद जय हिंद
श्री नगर से आतंक भगााया
लाल चौक जश्न मनाया
खुशी- खुशी झण्डा फहराया
वहाँ स्वर्ग पुनः बसाया
जय जय हो वीर जवान की
केसरिया श्वेत हरी आन की
गाए मधुुरा साथ खाबिन्द
जय हिंद जय हिंद जय हिंंद
कूटनीति डंका बजवाया
अमरीका भक्त बनाया
रूस सस्ता तेल भिजवाया
चीन ताइवान फँसाया
हारा पाकिस्तान रुलाया
शरारत का मजा चखाया
मयखाने मे मरा हैै रिन्द
जय हिंद जय हिंंद जय हिंद
मौलिक व अप्रकाशित
देश गौरव गान की सुन्दर रचना। बधाई आदरणीय
आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सुंदर सृजन हेतु हार्दिक बधाई।
आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।
दोहे
***
इच्छा इस आशीष की, करते हम गोविन्द
भारत हर मन में बसे, अधरों पर जय हिन्द।।
*
सोंधी माटी देश की, कणकण में अनुराग
कहने को जै हिन्द पर, कहाँ सभी का भाग।।
*
अभिलाषा रखते सदा, क्या कट्टर क्या रिन्द
जीवन दूजा गर मिले, जन्म भूमि हो हिन्द।।
*
सैनिक आजीवन लड़े, देश प्रेम में डूब
मरते दम जय हिन्द ही, कहे रक्त बह खूब।।
*
सुनकर यूँ जय हिन्द जब, कुढ़ते हैं गद्दार
माटी हँस आशीष दे, आँचल को अभिसार।।
*
आजादी का पर्व हित, झूम - झूम हर वृन्द
उल्लासित मन से कहे, बार-बार जय हिन्द।।
*
मौलिक/अप्रकाशित
इच्छा इस आशीष की, करते हम गोविन्द
भारत हर मन में बसे, अधरों पर जय हिन्द।।// वाह बहुत सुन्दर। देश प्रेम से भरे, कहीं प्रश्न करते, कहीं उल्लासित होते हर रंग के बहुत सुन्दर दोहे रचे हैं आपने आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी। हार्दिक बधाई
आ. रचना बहन सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।
आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, सुंदर दोहे लिखे। हार्दिक बधाई।
आ. भाई दयारामजी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।
कुण्डलिया छंद
____________
जय जय जय जय हिन्द हो, ऊँचा रखकर भाल।
आजादी का आ गया, पिचहत्तरवाँ साल।।
पिचहत्तरवाँ साल, महल झुग्गी सब आएँ।
आपस के तज भेद, हिन्द गौरव को गाएँ।।
देश प्रेम के भाव, एकता की हो बस लय।
चकित हो उठे व्योम, हिंद की हो यूँ जय जय।।
_____
मौलिक व अप्रकाशित
आ. प्रतिभा बहन। सादर अभिवादन। सुन्दर कुण्डली छन्द रचा है। हार्दिक बधाई।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
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