For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

  

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ अड़तालिसवाँ आयोजन है.   

 

इस बार के आयोजन के लिए दो छंद लिये गये हैं - दोहा छंद या / और कुण्डलिया छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

19अगस्त’ 23 दिन शनिवार से 20 अगस्त’ 23 दिन 

रविवार तक

हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

दोहा छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें 

कुण्डलिया छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती हैं.

*********************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 19 अगस्त’ 23 दिन शनिवार से 20 अगस्त’ 23 दिन रविवार तक  ही रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए मंच खुला रहेगा.

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें. 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. 
  8. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  9. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम  

Views: 919

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आ. शायद  आपने  चित्र  को ठीक से  आत्मसात नहीं किया  । अंतिम  दोहे को छोड़कर  मुझे नहीं  लगता कि आप  प्रस्तुति में  शब्द-चित्र  प्रस्तुत कर पाए  !

दोहा छंदः

शिक्षा दीक्षा ....दोहरी, हुई .....भारती व्यर्थ ।
शीथ्र बदलिनी चाहिए, व्यवस्था यह अनर्थ ।।

शिक्षा पहुँची है नहीं, ग़रीब के घर द्वार ।
धनिकों ने ली लपक, सरस्वती हर बार ।।

अपहृत देवि हुई सुनो, गांव शहर सरदार ।
पब्लिक स्कूल पात्र बने, संसाधन भरमार ।।

वंचित शिक्षा से रहे, सब निर्धन परिवार ।
बेसिक शिक्षा बन गयी, अड्डा भ्रष्टाचार ।।

गरीब बच्चे बन गये, श्रमिक ......बेरोज़गार ।
निर्धन ..कूड़ा बीनते, धनिक हैं स्कूल कार ।।

शिक्षा - दान हुआ नहीं, कि प्रणाली असमान ।
रिक्शा चालक बालिका, बालक धनी कमान ।।

उदास नाराय़ण दरिद्र, बापू गाँधी... .....पस्त।
शिक्षा का सूरज हुआ, निराश असमय अस्त ।।

मौलिक व अप्रकाशित

चित्र के मर्म पर चोट करती दोहावली के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय

आ.  Pratibha pande ji, नमन ! अशेष आभार,  आपका प्रस्तुति को मान देने हेतु  !


आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप दोहों का प्रयास अच्छा है। हार्दिक बधाई।
/

शीथ्र ( शीघ्र) बदलिनी चाहिए, //

//धनिकों ने ली लपक,// मात्राएँ कम हैं

सादर.......

/ शीघ्र (शीघ्र) बदलनी चाहिए,  //

// धनिको ने ली लपक// आ. भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफिर, रचना तक पहुँचने  और टंकण त्रुटियों की ओर ध्यान आकृष्ट करने हेतु आपका आभारी हूँ। वस्तुत: तीसरा चरण // धनिकों ने है ली लपक // था जो  टाइपिंग  में छुट

गया !

आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, प्रदत्त चित्र पर सुन्दर अभिव्यक्ति है आपकी. किन्तु दोहा छंद में कई जगह त्रुटियाँ रह गईं हैं. जैसे पाँचवा और सातवाँ दोहा जगण से प्रारम्भ हो रहा है.जिसके कारण इसे चंडालिनी कहा जाएगा, जो कि अच्छा नहीं है. इसके अतिरिक्त कई जगह शब्द संयोजन इस तरह हुआ है कि छन्द गेयता बाधित हो रही है. सादर 

आ. Ashok Kumar Raktale,  आभार आपका,  जगण विषयक  त्रुटि हेतु  ! गेयता की बात भी आप  कदाचित इसी त्रुटि को लेकर  कर रहे  है  !

आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस आयोजन में आपकी सहभागिता का हार्दिक आभार. 

शुभातिशुभ

(दो कुण्डलिया)

इक का जीवन छाँव में, इक के सर पर धूप
आँखें भीगी देखकर, बचपन के दो रूप।

बचपन के दो रूप, चला इक लेने शिक्षा
दूजा ट्रैफिक बीच, खीँचता फिरता रिक्शा।
कहते हैं कुछ लोग, बँटे क्यों फ़्री का राशन
भाई कहाँ समान, यहाँ हर इक का जीवन।

*********

शिक्षा ने देखी सखी, बोली उसे पुकार,
टीचर से ये बोलना, बाबा हुए बीमार।

बाबा हुए बीमार, नहीं आएगी शिक्षा,
आज उसे है काम, चलाना घर का रिक्शा।
कर लेगी हर काम, नहीं माँगेगी भिक्षा,
कहना उनकी सीख, रखेगी आगे शिक्षा।

*मौलिक एवं अप्रकाशित

आदरणीय अजय गुप्ता जी

दूसरे छंद में जो जिस तरह से आपने शिक्षा शब्द का प्रयोग किया है वो गजब है।हार्दिक बधाई दोनो सार्थक छंदों के लिये

आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप अच्छे छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, बहुत समय बाद आपकी ग़ज़ल ओबीओ पर पढ़ने को मिली, बहुत च्छी ग़ज़ल कही आपने, इस…"
17 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहा (ग़ज़ल)

बह्र: 1212 1122 1212 22किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहातमाम उम्र मैं तन्हा इसी सफ़र में…See More
yesterday
सालिक गणवीर posted a blog post

ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...

२१२२-१२१२-२२/११२ और कितना बता दे टालूँ मैं क्यों न तुमको गले लगा लूँ मैं (१)छोड़ते ही नहीं ये ग़म…See More
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"चल मुसाफ़िर तोहफ़ों की ओर (लघुकथा) : इंसानों की आधुनिक दुनिया से डरी हुई प्रकृति की दुनिया के शासक…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया सकारात्मक विचारोत्तेजक और प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"आदाब। बेहतरीन सकारात्मक संदेश वाहक लघु लघुकथा से आयोजन का शुभारंभ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
Thursday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"रोशनी की दस्तक - लघुकथा - "अम्मा, देखो दरवाजे पर कोई नेताजी आपको आवाज लगा रहे…"
Thursday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"अंतिम दीया रात गए अँधेरे ने टिमटिमाते दीये से कहा,'अब तो मान जा।आ मेरे आगोश…"
Thursday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"स्वागतम"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ

212 212 212 212  इस तमस में सँभलना है हर हाल में  दीप के भाव जलना है हर हाल में   हर अँधेरा निपट…See More
Tuesday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"//आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Oct 26
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत धन्यवाद"
Oct 26

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service