आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी अंक 15 में आप सबका हार्दिक स्वागत है !
हार्दिक आभार आदरणीय योगराज भाई जी!
"जुलूस"
अफ़वाह ने ज़ोर पकड़ा । एक पक्ष ज़ोर ज़ोर से नारे लगाता हुवा बाज़ार से गुज़रा । जम कर लूट पाट मचाई ।दुकानों के शटर धड़ा धड़ गिरने लगे।जिसको जो दिशा सूझी उस और भागा ।बद हवासी पूरे बाज़ार में फैल गई ।दूसरा पक्ष भी हाथों में पत्थर ,लाठियाँ,तलवारें लेकर निकला ।इस पक्ष ने भी जम कर लूट पाट की । घरों और दुकानों को निशाना बनाया । देखते ही देखते पूरा अँचल संगीनों के साये में हो गया । ये सब हुवा इलाक़े के ग़ुंडे की गिरफ़्तारी और फिर उसके सार्वजनिक जुलूस के कारण । ग़ुंडे की गिरफ़्तारी और उस के जुलूस को दोनों पक्षों ने साम्प्रदायिक आक्रोश का रंग दे दिया था । राजनीति गर्माती रही ,दोनों पक्षों ने अपनी हसरत पूरी की । नुक़सान हुवा भोली भाली जनता का । मगर चाँदी रही लूट पाट करने वालों की ।वे जीत में थे । उनका आक्रोश फलीभूत हुया ।
मौलिक/अप्रकाशित
बहुत खूब आक्रोश को संदर्भित किया है आपने आदरणीय समर कबीर जी . शानदार आगाज़ हुआ है आयोजन का आपके द्वारा . बहुत बहुत बधाई आपको .
वाह वाह आ० समर कबीर जी, हकीकत सामने ला खड़ी की आपने इस लघुकथा के ज़रियेI लघुकथा गोष्ठी का आगाज़ आपकी लघुकथा कसे होना एक शुभ संकेत है, दिली मुबारकबाद पेश हैI
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