आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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बहुत ही उत्कृष्ट लघुकथा कही है भाई वीर मेहता जी - वाह!! कभी कभी कुछ हादसे किसी शैतान को भी इंसानियत के रास्ते पर मोड़ने में सक्षम होते है, यही इस कथा का सार हैI रचना बहुत पसंद आई जिस हेतु मेरी हार्दिक बधाई प्रेषित है I
वाह, वाह, बहुत भावपूर्ण और मन को झकझोरती हुई रचना प्रदत्त विषय पर| धोखे खाने के बाद सही आदमी पर से भी विश्वास उठ जाता है लोगों का, बहुत बहुत बधाई इस बेहतरीन रचना के लिए
आ. वीर मेहता जी, ह्रदय पर गहरा वार करती इस रचना के लिए बधाई प्रेषित है
आतंक के साए में पनपता एक दूसरे के प्रति अविश्वास , पर इस अँधेरे में भी खालिद जैसे जुगनू यदा कदा टिमटिमाते दिख ही जाते हैं ..बहुत सुन्दर सार्थक रचना ..हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय वीरेन्द्र वीर मेहता जी
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