आदरणीय साथिओ,
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दूसरी कथा "बी प्रोफेशनल" मार्केदार है नयना ताईI इस कथा में एक तीर से 3 शिकार हुए हैं:
1. इसमें नारी के सशक्त रूप के दर्शन होते हैंI
2. व्यावसायिक दांव पेंच की बात बहुत कुशलता से उभर कर सामने आई हैI
3. तथाकथित पुरुष वर्षस्व को भी कटघरे में खड़ा किया गया है!
अत: यह लघुकथा बेहद प्रभावशाली हुई हैI मौन संग्राम बेहद उलझी हुई होने के कारण बोझिल लगती है, उसमे सादगी और स्पष्टता की बेहद कमी हैI उस पर दोबारा काम करें (विशेषकर पात्रों की संख्या/नामो पर)
प्रणाम भाई जी. पहली कथा का उलझाव में संकलन मे ठीक करती हूँ. दूसरी आपको पसंद आई इस हेतु धन्यवाद. इन दिनो मै स्पांडिलायसीस की तकलिफ़ से गुजर रही हूँ तो लेखन या पठन थोडा प्रभावित है. मुझे ज्यादा देर तक काम करने की या पढने की भी मनाही है पर आयोजन मे तो आना ही था. जल्द ही ठीक होते से अपने ट्रेक पर लौटूँगी. खैर ये कोई माफी नामा नही है रचना पर. "मौन संग्राम पर चिंतन कर लौटती हूँ.
बहुत सुंदर लघुकथा हुई है आदरणीय नयना आरती जी . बधाई आप को .
आ नयना जी दोनों ही कथाएँ अच्छी हैं। बधाई
हार्दिक बधाई आदरणीय नयना जी। बहुत खूबसूरत लघुकथायें ।मगर कुछ मात्रा की त्रुटियाँ अभी भी हो रही हैं।
आदरणीया नयना ताई आपकी दोनों कथाएं अच्छी हुई है पर पहली वाली कुछ उलझी हुई सी लगी दो तीन बार पढ़ी तब समझ पायी दूसरी कथा आपकी लाजवाब है जिसके लिए आपको ढेरों बधाई
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