Tags:
Replies are closed for this discussion.
आदरणीय कांता जी कथा बढ़िया बनी है बधाई स्वीकार करे.
मोहतरमा जैसी पहचान चाहती थीं, वो तो बन गयी. इसीसे काम भी बनने वाला था !
तथाकथित तेज़-तर्रार औरतों में अर्थ-लिप्सा को सामने लाती एक बेहतरीन प्रस्तुति. हार्दिक शुभकामनाएँ आदरणीया कान्ताजी, इस सापेक्ष लघुकथा के लिए..
सादर
आ० कांता रॉय जी ,अच्छी कहानी है अपना काम निकालने के लिए क्या क्या हत्थ्कंडे अपनाते हैं लोग ,स्त्री के अलग ही रूप के दर्शन कराएं है इस लघु कथा में ...क्या कहें सच भी है इंसान के भिन्न- भिन्न रूप हैं किस पर भरोसा करें ..पहचान विषय को सार्थक करती प्रस्तुति हेतु बहुत- बहुत बधाई आपको
देह बेच कर सबकुछ पा लेने की चाहत पहले भी थी और आज भी है हां स्वरुप अलग अलग हो सकते हैं, समाज के मध्य उभरते सत्य को पटल पर लाने का काम इस लघुकथा के माध्यम से हुआ है, बहुत बहुत बधाई आदरणीया कांता रॉय जी.
आदरणीया कान्ता जी,
आधुनिकता के साथ जब शातिर दिमाग मिल जाता है तो विषकन्या का रुप निकल कर आता है, जिनको पहचानना बहुत मुश्किल होता है.
सादर.
"पहचान" विषय को एक अलग ही तरीके से परिभाषित किया गया है जो अच्छा लगा। ऐसी महिलाएं गिरावट की कितनी बुलंदियां सर कर जाएँ कोई नहीं कह सकता। इस सुन्दर लघुकथा पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें आ० कान्ता रॉय जी।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |