आदरणीय साथिओ,
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कहानी के आरम्भ में लालची लापरवाह लगते पुरुष का अंत में इस तरह का व्यवहार और सकारात्मकता अच्छी लगी , हार्दिक बधाई इस सार्थक सफल लघुकथा के लिए प्रिय सीमा जी
आ० मनन सिंह जी, अपने यह लघुकथा बहुत ही जल्दबाजी और हड़बड़ी में लिखी लगती है .
1. "विधायक पति" का अर्थ समझ नहीं आया.
2. संवाद भी विवरण में गड्डमड्ड हो रहे हैं.
3. "सुबह बुधिया की आंख खुली" = (अ). कालखंड दोष. (ब). बुधिया ऐसे हालात में भी सोई रही?
लेकिन हाँ! फरिश्तों का यह रूप भी कमाल का दिखाया है. बहरहाल, आयोजन में सहभागिता हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
"विधायक पति" शब्द के बारे में जानकारी देने हेतु हार्दिक आभार आ० मनन कुमार सिंह जी.
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