आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर अभिवादन ।
पिछले 32 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है.
इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :
विषय - "प्रकृति और मानव"
आयोजन की अवधि- शनिवार 06 जुलाई 2013 से सोमवार 08 जुलाई 2013 तक
उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)
अति आवश्यक सूचना : ओबीओ लाईव महा-उत्सव के 33 में सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक ही दे सकेंगे, ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में तीन । नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी ।
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 06 जुलाई दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
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aआदरणीय राजेश दी जी हार्दिक बधाई स्वीकारें कटाक्ष करते दोहों के लिए
प्रिय सरिता जी हार्दिक आभार लोग ज्यादा संजीदा ना हो जाएँ इस लिए हास्य रस मिलाया है
राजेश दी, हँसी-हँसी में आपने कई जगह हिन्दुस्तानी जनता का दर्द सामने रख दिया है वाकई आपकी रचना ने कमाल कर दिया है बधाई आपको
आदरणीय शिज्जू जी आपने हंसी के पीछे के दर्द को महसूस किया आभारी हूँ आपकी
दादी चढ़ी पहाड़ पर ,लेकर कुन्टल भार|
खड़ा युवक ये सोचता ,मुश्किल चढ़ना यार||
बहुत खूब आदरणीया राजेश मैंम...बधाई स्वीकारें..
प्रिय आरती शर्मा जी हार्दिक आभार
आदरणीया राजेश कुमारीजी,
आपकी उलटबाँसियाँ जम गयीं. बहुत ही दिल लगाया है आपने इन छंदों से .. !
एक-एक दोहा बहुत कुछ कह रहा है जिसके माध्यम से आपने आज की मानवीय कृतघ्नता, उसके लोभ, स्वार्थ और तदनुरूप विसंगतियाँ उभर कर आयी हैं.
आपने अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकाल कर इन उन्नत दोहों से हमें दो-चार कराया इस लिए हार्दिक धन्यवाद. हाँ यह अवश्य है कि आपकी व्यस्तता का ख़ामियाज़ा कुछ दोहों को झेलना पड़ा है.. :-))))
लेकिन इस अलग अंदाज़ केलिए आपको बहुत बहुत बधाई, आदरणीय
सादर
आदरणीय सौरभ जी दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लेखन को सार्थकता दे रही हैं ये उलटबासियाँ कैसे मुझसे रची गई पता ही नहीं चला बस मन में इस प्राकर्तिक त्रासदी को देखते हुए कुछ आक्रोशित भाव जन्मे जिनको बस शब्दों में उतार दिया आपका दिल से आभार
बहुत तीखा व्यंग्य है आदरणीया राजेश कुमारी जी....हर दोहे पर दाद कुबूल कीजिये...
आदरणीय धर्मेन्द्र जी दोहों की सराहना हेतु हार्दिक आभार |
आदरणीया राजेश जी, व्यंग और हास्य दो अलग चीजें हैं, आपकी रचना पढ़ने के बाद कही से भी हास्य नहीं उत्पन्न कर रही बल्कि गहरे कूप में धक्का देती है, व्यंग्यात्मक शैली में वो बातें आप सरलता से कह दी हैं जो अन्य विधा में संभव न था,बहुत ही गहरे भाव उत्पन्न हो रहे हैं, बहुत बहुत बधाई आदरणीया इन दोहों पर .
जी आदरणीय गणेश जी आप सही कहते हैं दोनों अलग चीजें हैं किन्तु इन दोहों की गहराई एक तरफ रख के जो इनको विजुअलाइज करेगा तो हास्य रस पैदा होगा ही ,किन्तु आपने इनकी जड़ों को पकड़ कर अपनी प्रतिक्रिया दी है जो मेरे लेखन के लिए एक उपलब्धि है लिखना सार्थक हुआ हार्दिक आभार आपका
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