आदरणीय साथिओ,
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वाह! प्रदत्त विषय पर उम्दा लघुकथा कही है आ. कुमार संभव जी आपने. अन्तिम पंक्ति बहुत कुछ कहती है. आपको पहली बार पढ़कर अच्छा लगा. इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार कीजिए. हो सके तो अन्य लोगों की रचनाओं पर अपनी उपस्थिति से उन्हें भी गौरवान्वित करें. सादर.
जनाब कुमार संभव साहिब ,प्रदत्त विषय पर सुन्दर लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें।
आदरणीय कुमार संभव जी आदाब,
विषयांतर्गत बेहतरीन लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ कुमार संभव जोशी जी।बहुत मार्मिक और हृदय स्पर्शी लघुकथा।एक कटु सत्य।
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