आदरणीय साथिओ,
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वाह। क्या रचना कही।
एकदम अप्रत्याशित अंत।
जनाब गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब ,प्रदत्त विषय पर अच्छी लघुकथा लिखी आपने , बधाई स्वीकार करें ।
'‘दादा, हम तो एक बार बुलट पर जरूर चढ़ब चाहे कर्जा काढै का परै’' वाह! देर आयद दुरुस्त आयद. प्रदत्त विषय से न्याय करती उम्दा व्यंग्यात्मक लघुकथा कही है आपने आदरणीय गोपाल नारायन सर. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. कुछ टंकण त्रुटियाँ हैं उन्हें देख लीजिएगा. सादर.
चमत्कार
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"मुकुल के बापू" बंसरी की आवाज़ आई। रामभज जैसे नींद से जागा। बंसरी फिर बोली, "क्या करें? इतने बड़े अस्पताल में कैसे ईलाज करवाएंगे उसका।" आंखों में आंसू भर कर पल्लू मुंह मे दबा लिया।
मायूस रामभज कुछ न बोल सका। पर उसकी स्मृति उसे दस साल पीछे ले गई।
"मुझे अपने मुकुल को उसी स्कूल में पढ़ाना है।"
"भूल जा, रामभज। हमारे बस से बाहर है उस स्कूल के खर्चों को निभाना।"
"नहीं काका। पढ़ाना है और पढ़ाऊंगा। बंसरी जिस घर में काम करती है ना। उस बीबी जी ने बताया है किसी सरकारी स्कीम के बारे में। और बोली कि पूरी मदद करेंगी फार्म भरवाने में।"
"पागल मत बन रामभज। फीस के अलावा भी हज़ारों ख़र्च है वहां के।"
"कोई बात नहीं काका। हमारे बच्चे पढ़ सकेंगें वहाँ पर। पढ़ाऊंगा। जितनी मेहनत कर सकता हूँ, उससे ज्यादा करूँगा। दारू छोड़ दूंगा। गुटखा न खाऊंगा। पर पढ़ाऊंगा।"
वर्तमान में लौटते हुए रामभज एकदम उठा, "बंसरी, वो परमात्मा है ना। वो चमत्कार करता है। देख अपना मुकुल अच्छे स्कूल में पढ़ा है ना!"
और बोलते बोलते चल दिया।
उसे पता था कि अस्पताल से पहले कहाँ जाना था। और यकीन था चमत्कार को साकार करने में कोई न कोई स्कीम अब भी मदद करेगी।
#मौलिक एवं अप्रकाशित
सहारा बनती योजनायें यदि कमज़ोरियां/बैसाखी सी बन जायें तो लोग दिवास्वप्न के शिकार हो सकते हैं। बिल्कुल नयी तरह की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय अजय गुप्ता जी। रचना में स्पष्टता की कमी सी लगती है। सादर।
आपके विचारों के लिए हार्दिक आभार उस्मानी जी।
शायद मैं कथ्य में स्पष्ट नहीं हो पाया। क्योंकि मेरा प्रयास यह दिखाना था कि सरकारी योजनाओं के लाभ गरीब आदमी को सहारा दे सकते हैं यदि सही से उसे प्राप्त हो जाएँ तो।
और बेहतर करने का प्रयास करूँगा।
जनाब अजय गुप्ता जी आदाब, प्रदत्त विषय पर लघुकथा का प्रयास अच्छा हुवा है,बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय अजय जी, रचना कुछ जल्दबाजी का शिकार है जिस वजह से स्पष्टता की कमी साफ़ दिखायी देती है. आयोजन में सहभागिता हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें. सादर.
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