आदरणीय साथिओ,
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अच्छी और संदेशपरक लघुकथा है, बधाई प्रेषित है बरखा शुक्ला जी.
जीत ले खुद को
"तेरे पेपर चल रहे हैं ना कृष्णा ?" विष्णु भैया जो शहर के नामी वक़ील है,ने लापरवाही से घर में चहलक़दमी कर रहे छोटे भाई से पूछा।
"जी भैया,पर हम परीक्षा का बहिष्कार करने वाले है," कृष्णा ने सिर झुकाकर कहा।
''हम'में कौन कौन शामिल है?वकालत की परीक्षा चल रही हैं,तुझे वक़ील नही बनना।"
कहते हुये भैया के चेहरे पर आश्चर्य झलकने लगा ।
''हमारा जो प्रिंसिपल है खड़ूस है ,टीचर भी वैसे ही है कोई क्लास में जाना नही चाहता,
क्लास अटैंड करों ना करो कोई फ़ायदा नही।" कृष्णा ने धीरे से कहा।
"तू जानता है क्या कह रहा है मेरे भाई ?" विष्णु भैया के तेवर तीखे होने लगे,वे अपने आप को संयत करते हुये बोले ।
"चल बैठ कार में," हाथ पकड़ उन्होंने भाई को पीछे की सीट पर बैठाया,गाड़ी हवा से बातें करने लगी ।
अपने आप को कालेज में पाकर कृष्णा सन्न् रह गया,झुरमुट में छिपे दोस्त असहाय रहे,बड़े भैया के सामने कोई क्या करता ?
"चल भीतर जा ,क्लास रूम में धकेलते हुये विष्णु भैया ने इतना ही कहा ।
यही हूँ तेरे सामने ,सब नेतागीरी भूल जा ।मन लगाकर
परीक्षा दे छोटे ,वरना ना नेता बन पायेगा ना वक़ील ।"
मौलिक व अप्रकाशित
हार्दिक बधाई आदरणीय नीता कसार जी।सुन्दर प्रस्तुति।
हार्दिक आभार आपका आद० तेजवीर सिंह जी ।
परीक्षा-फोबिया-सिंड्रोम जैसे लाक्षणिक व्यवहार और पूर्वाग्रह आदि के साथ राजनीति से कुप्रभावित पात्र के डर को उभारती बढ़िया उम्दा रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीया नीता कसार जी।
संगत का असर होता है,आज के युवा मन को राजनैतिक चकाचौंध प्रभावित करती है।एेसे दोस्तों को भविष्य की चिंता कहाँ होती है।हार्दिक आभार आपका आद० शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी
आदरणीया नीता जी , परीक्षाओं के समय कुछ छात्र यही सब करते हैं ..वर्तमान परिदृश्य को बखूबी शब्द दिए हैं आपने रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर
हार्दिक आभार आपका आद० आशुतोष मिश्रा जी ।कथा के अनुमोदन हेतु ।
बहुत अच्छी लघुकथा आदरणीय नीता जी ,बधाई आपको ,सादर
हार्दिक आभार आपका आद० बरखा शुक्ला जी ।
परीक्षा दे छोटे ,वरना ना नेता बन पायेगा ना वक़ील ।"// वैसे परीक्षा ना देने पर नेता तो बन ही सकता है.. कई बार किशोर दोस्तों से डर कर निर्णय ले लेते हैं | बहुत बढ़िया विषय हार्दिक बधाई आदरणीया नीता जी
हार्दिक आभार आपका आद० प्रतिभा पांडे जी।राजनीति में उज्जव भविष्य की गुंजाईश बहुत कम होती है।वैसे भी हर क्षेत्र मेहनत माँगता है।वर्तमान में हम देखते है ।विरासत में मिली राजनीति में सफलता पाने के लिये नेता पुत्रों को मेहनत करना ही होती है ।
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