आदरणीय साथिओ,
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सकारात्मक खबर में नया स्वर!बधाइयाँ!!
बहुत बहुत आभार आ मनन कुमार सिंह जी
दिन प्रतिदिन कमजोर व विश्वसनीय होती न्यायव्यवस्था के कारण,मजबूरी में कानून को अपने हाथ में लेने की और ध्यानाकर्षित करती लघुकथा।बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।
बहुत बहुत आभार आ बबिता गुप्ता जी
बहुत बढ़िया रचना आदरणीय विनय जी ,बधाई आपको ,सादर
बहुत बहुत आभार आ बरखा शुक्ला जी
आदरणीय विनय कुमार जी, प्रदत्त विषय पर सामाजिक सरोकार रखती हुयी बढ़िया लघुकथा। बधाई स्वीकार करें।
बहुत बहुत आभार आ नीलम उपाध्याय जी
नकारात्मकता का जहाँ बोलबाला हो वहाँ सकारात्मकता की आहट सुंदर कथा ।सरकार अब भीड़तंत्र के लिये क़ानून बनाने जा रही है जिससे किसी की बलपूर्वक हत्या ना हो ।बधाई कथा के लिये आद० विनय सिंह जी ।
बहुत बहुत आभार आ नीता कसार जी
विषय पर एक अलग ही भाव की प्रस्तुति दी है आपने भाई विनय कुमार जी. दिन प्रतिदिन कमजोर न्यायव्यवस्था के कारण, ऐसे ही विचार और 'मॉब लिचिंग' की घटनाये सहज ही देखने में आ रही है. आपकी रचना ने एक पिता और पुत्री के मध्य दिखाए वार्तालाप से इस बात को बखूबी दर्शाया... इस बेहतरीन लघुकथा के लिए मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय भाई जी।
बहुत बहुत आभार आ वीर मेहता जी, आप तो हमेशा उत्साहवर्धन करते हैं
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