आदरणीय साथिओ,
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इंसानियत
लीना से सब्ज़ी का ठेला लगाने वाले रामदीन ने कहा “बीबीजी डॉ. साहब कहाँ है ,हम आप लोगों के लिए मिठाई लाए थे ।”
“वो तो कुछ काम से बहार गए है , ये मिठाई किस ख़ुशी में लाए हो ।”लीना ने पूछा ।
“बीबीजी मेरे दोनो बच्चे आप लोगों के आशीर्वाद से अच्छे नम्बर से पास हो गए है ।”रामदीन ने ख़ुश होकर बताया ।
“ये तो बड़ी ख़ुशी की बात है , पर मिठाई बच्चों के लिए ले ज़ायो ।”लीना ने कहा ।
“हाँ बीबीजी ,उनके लिए भी ले जा रहे हैं ,और आपसे तो कुछ भी नहीं छुपा है ,डॉ.साहब ने ही मेरी शराब की लत छुड़ा कर ये सब्ज़ी का ठेला लगवाया ,और बच्चों की स्कूल की फ़ीस भी वो ही भर रहे है ।”रामदीन बोला ।
“दूसरों की मदद करने में उन्हें बहुत ख़ुशी मिलती है ।”लीना बोली ।
“इसी से हम भगवान से भी ज़्यादा उन्हें मानते है ।”रामदीन ने कहा ।
“नहीं रामदीन भगवान की जगह तो कोई नहीं ले सकता ,पर हाँ उनकी आस्था इंसानियत में ही है ।”लीना बोली ।
मौलिक व अप्रकाशित
इंसान की मदद करना ही ईश्वर की सच्ची आराधना है।
नेकनीयती को पिरोए हुए बढ़िया लघुकथा बरखा जी।
बहुत -बहुत धन्यवाद आदरणीय अजय जी ,आभार ,सादर
बहुत -बहुत धन्यवाद आदरणीय वीर जी ,आभार ,सादर
मुह तरमा बरखा साहिबा, प्रदत्त विषय पर सुंदर लघुकथा हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l
बहुत -बहुत धन्यवाद आदरणीय तस्दीक़ जी ,आभार ,सादर
बहुत -बहुत धन्यवाद आदरणीय मुज़फ़्फ़र जी ,आभार ,सादर
आदरणीय सुश्री बरखा शुक्ला जी , दत्त विषय पर आपकी प्रस्तुत लघु-कथा पर बहुत बहुत हार्दिक बधाई , सादर।
बहुत -बहुत धन्यवाद आदरणीय डॉ .विजय जी ,आभार ,सादर
मुहतरमा बरखा शुक्ला जी आदाब, प्रदत्त विषय पर अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
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