आदरणीय साथिओ,
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आ बबीता जी सादर आभार आपकी उपस्थिति हेतु।
पारिवारिक परिवेश, हालात और मजबूरियां, ऐसे में फर्ज अदा करना और गलत रास्ते में न भटकते हुए सामाजिक दायरे में आगे बढ़ना बड़ा मुश्किल काम है। परंतु आज भी ऐसे लोग हैं जो बुजुर्ग के बताये रास्ते पर बढ़ते हुए अपने जीवन स्तर में सुधार की उम्मीद पाले रहते हैं और देर सबेर उन्हें कामयाबी भी मिलती है। सब्र और बर्दाश्त की ताकत के साथ ही ईमान पर कायम रहने का संदेश भी लघुकथा में छिपा दिखता है। बहुत मुबारक जनाब साहेब
आ आशीष जी ,आप ने कथा के मर्म को समझते हुए मेरा उत्साहवर्धन भी किया। आपका बहुत शुक्रिया।
बढ़िया रचना विषय पर आदरणीय इक़बाल जी ,बधाई आपको ,सादर
आ बरखा जी सादर आभार न केवल आपकी सकारात्मक उपस्थिति के लिए बल्कि मेरा हौसला बढ़ाने के लिए भी।
मोहतरम मुज़फ़्फ़र इक़बाल साहिब आदाब,
उम्दा रचना कही आपने बहुत मुबारकबाद
जावेद साहब , बहुत शुक्रिया आपकी ज़र्रा नवाज़ी का।
सम्मानित लेखक श्री मुजफ्फर इकबाल सिद्दीकी जी आयोजन के विषय उम्मीद को केन्द्र में रखकर लिखी गई समसामयिक लघुकथा के लिए बहुत बहुत बधाई.
हार्दिक बधाई आदरणीय मुजफ़्फ़र इक़बाल सिद्दिक़ी साहब जी।लघुकथा के माध्यम से बहुत बड़ा और समसामयिक मुद्दा उठाया है आपने। समाज में ऐसी ही जागरूकता की जरूरत है।बढ़िया लघुकथा।
भाई जी दिल की गहराईयों से आपका बहुत बहुत शुक्रिया , आपने हमेशा हौसला दिया है।
आ अनीता शर्मा जी आपका हृदय से धन्यवाद।
जनाब मुज़फ़्फ़र इक़बाल साहिब आदाब,प्रदत्त विषय पर अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
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