आदरणीय साथिओ,
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जनाब आशीश साहिब आदाब ,
सच्चाई का आईना दिखाती बहतरीन रचना के लिए
हार्दिक बधाई।
वेसे तो पैशै से मैं भी बिल्डिंग कांन्ट्र्क्टर ही हूं
लेकिन मैं भी ताईद करता हुँ एसे कई ठेकेदार ठगी कर रहे हैं सही सबक सिखाया
चश्मेनूर, लक्तेजिगर जनाब जावेद साहब। मंच पर आपकी उपस्थिति से ही नहीं आपकी प्रतिक्रिया से भी हमें दिली खुशी हुई। ये जानकर कि आप भी इस फील्ड से जुड़े हुए हैं तो अनुभवी व्यक्ति की इस्लाह हमारे लिये और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। हम आपका शुक्रिया अदा करते हैं और उम्मीद करते हैं कि आगे भी आपकी टिप्पणी ही नहीं आपकी मंच पर सक्रियता से भी हम लाभान्वित होंगे। आप से बहुत-सी बातें करने को दिल कर रहा है लेकिन मंच के अपने कुछ नियम व सीमाएं हैं। जल्द ही अपनी मुलाकात होगी। हो सके तो इस नाचीज को भी दुआओं में याद रखियेगा।
विषयांतर्गत बहुत बढ़िया उम्दा रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय आशीष श्रीवास्तव साहिब।
आदरणीय आली जनाब शहजाद साहेब। आदाब। हौसला अफजाई का तहेदिल से शुक्रिया। आपकी शिरकत पर मश्कूर हंॅू। कहीं कुछ गलत शब्दावली या वाक्यविन्यास में दुरूस्त करने वाली बात हो तो अवश्य ही सूचित कीजिएगा। नाचीज को दुआओं में याद रखने की गुजारिश।
जब कई बार उम्मीदें टूट जाती हैं तो मित्र ही उम्मीद बन कर सामने आता है. प्रदत्त विषय पर बढ़िया लघुकथा हुई है आदरणीय आशीष जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
आदरणीय महेन्द्र जी। लघुकथा का शीर्षक भले ही उम्मीद विषय पर हो, पर सच मानिये तो हमें आपसे प्रसंशा की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी, हमको तो लग रहा था कि आप कब हमें जरूरी सुधार के लिए कहेंगे इसलिए कई बार जब भी समय मिला ओबीओ पर आपकी प्रतिक्रिया जानने का प्रयास करते रहे। एक रोज बाद, चंद घंटे पहले आपकी प्रतिक्रिया मिली तो कुछ सुकून मिला कि हाॅ उम्दा लिखा। हो सकता है कि बहुत-सी लघुकथाएं एक साथ पढ़ने या जल्दी में पढ़ने के कारण आप उचित सुझाव से अवगत नहीं करा पाये हों, लेकिन हम निवेदन करते हैं कि यदि आगे भी आपके सुझाव मिलेंगे तो हम अवश्य ही सुधार कर लेंगे। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद। शुभकामनाओं/आशीर्वाद के आकांक्षी।
आदरणीय आशीष जी, आलोचना एक बेहद कठिन विधा है ख़ासकर ओबीओ जैसे प्लेटफार्म पर जहाँ नये रचनाकारों का उत्साह भी बढ़ाना होता है और उन्हें मार्गदर्शित भी करना. हम सभी को इसके बीच सामंजस्य बना कर चलना चाहिए क्योंकि ज़्यादा उत्साहवर्धन के कारण जहाँ नया रचनाकार अपनी कमियाँ नहीं पकड़ पाएगा वहीं अतिशय आलोचना के कारण हो सकता है वह लिखना ही छोड़ दे. मैं ओबीओ पर टिप्पणी करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखता हूँ (और इस बात का भी कि मैं स्वयं भी एक नौसीखिया रचनाकार हूँ.) आपकी इस रचना में अगर ऐसा कुछ ख़ास होता (अगर मैं पकड़ नहीं पाया तो अलग बात है) तो मैं अवश्य उसको इंगित करता. पर चूँकि आपने कहा है तो अगली बार मैं अवश्य इस पर ध्यान दूँगा. मेरी कोशिश आपकी रचना पर अधिक ईमानदार और निर्मम होने की रहेगी. सादर.
जनाब आशीष जी,ये वो मंच है जहाँ सुझाव बिना मांगे ही मिल जाते हैं,और यहाँ रचना देखी जाती है,रचनाकार को नहीं देखा जाता,आप निश्चिन्त रहें,आपकी रचना में अगर कोई त्रुटि हुई तो कोई भी आपको बता देगा और उसे दुरुस्त करने के लिए सुझाव भी दे देगा ।
सहमत हूँ सर आपसे।
आदरणीय आशीष श्रीवास्तव जी, अच्छी लघुकथा की पेशकश के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
सम्मानीय लेखिका महोदया, आपका हमें सदैव मार्गदर्शन मिलता है इससे मन हर्षित है। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद। आपका स्नेहाशीष, प्रतिक्रिया हमें सदैव मिलती रहे यही कामना। सादर। आभार। शुभकामनाओं का सदैव अभिलाषी।
जनाब आशीष श्रीवास्तव जी आदाब,प्रदत्त विषय को सार्थक करती अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
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