आदरणीय साथिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
आदरणीय विनय सर,आपकी यह प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।बहुत धन्यवाद सर।
हार्दिक बधाई आदरणीय दिव्या जी।बेहतरीन लघुकथा ।खेती किसानी का काम तो सदैव से ही अनिश्चिताओं से भरपूर है।ऊपर से प्रकृति के दॉव पेंच।लेकिन फिर भी किसान की यही सोच होती है "उत्तम खेती मध्यम बान, निषिध चाकरी, भीख निदान।"
आदरणीय तेजवीर सिंह सर,आपकी प्रशंसात्मक टिप्पणी मेरे लिए अमूल्य है।ऐसे ही मार्गदर्शन करते रहे सर अनुरोध है।बहुत धन्यवाद सर।
उम्मीद जगाती शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई
मोहतरमा दिव्या शर्मा जी आदाब,
शानदार रचना के लिए दिली मुबारकबाद
आदरणीय मिर्जा जावेद बेग सर।आपकी उत्साहवर्धन टिप्पणी के लिए हृदय से आभार।
उम्मीद और विश्वास पर ही दुनिया, हमारे दुनियावी रिश्ते और हमारे ईश्वर से रिश्ते क़ायम हैं। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया दिव्या राकेश शर्मा साहिबा। रचना में पूरे संवाद पूरी तरह से आंचलिक भाषा में कहलवाये जा सकते थे। शब्द संख्या व भाव-पुनरावृति नियंत्रित करने हेतु. रचना की शुरुआत सीधे इस पंक्ति से की जा सकती है मेरे विचार से : //सरला की नजर महेश पर पड़ती हैं जो टकटकी लगाए आसमान को तांक रहा था।// (कुछ आवश्यक बदलाव के साथ)। अंतिम दोनों पंक्तियां बढ़िया हैं। शीर्षक "प्राण-बूंदें" जैसा कुछ भी हो सकता है भिन्नता हेतु। सादर।
आदरणीय उस्मानी सर,आपके सुझाव का स्वागत करती हूं।लघुकथा पर समीक्षा हेतु सादर धन्यवाद।
//“फालतू की उम्मीद छोड़ दें।सूखे के आसार हैं देख लेना कहीं फाके न हो जाए।”// इस संवाद के बाद यह पंक्ति : //तभी उसके गाल पर एक बूंद गिरी।उसने ऊपर देखा।आसमान में काले बादल उसकी उम्मीद बरसा रहे थे।// अन्त को नाटकीय बना रहा है. यदि इसे दूर कर देंगी तो एक बढ़िया लघुकथा और भी बढ़िया हो जाएगी. किसानों की व्यथा पर कलम चलाने के लिए मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीया दिव्या राकेश शर्मा जी. सादर.
बहुत धन्यवाद आदरणीय महेंद्र कुमार जी।लघुकथा पर आपके सुझाव का स्वागत है सर।मैं जरूर इसे और समय दूंगी।आपका बहुत बहुत आभार।
आदरणीया दिव्या शर्मा जी. हमारे देश में अधिकांश खेतिहरों की यही कहानी है. वास्तविकता को उजागर करती अच्छी लघुकथा की रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
आदरणीया नीलम जी लघुकथा पर सकरात्मक टिप्पणी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |