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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-44 (विषय: परिणाम)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-44 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है, प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-44
"विषय: "परिणाम" 
अवधि : 29-11-2018  से 30-11-2018 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-44 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है .

आपका भी हार्दिक स्वागत है आदरणीय गणेश 'बाग़ी' जी ।

अत्यंत दु:ख के साथ सूचित किया जाता है कि आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब की मामी जी का इंतक़ाल होने की वजह से लघुकथा गोष्ठी में अपनी सहभागिता नहीं दे पाएँगे । सादर ।

तहे दिल से आपका भी स्वागत-अभिनंदन इस विचारोत्तेजक विषय केंद्रित लघुकथा गोष्ठी 44 में।

चिंता
----------------------------------------
" तुम्हारे गाँव की अनुमानित आबादी कितनी है ?"
" जी साब , यही कोई तीन-चार हजार के करीब ।"
" हूँ..हूँ....।"
" स्कूल है ?"
" जी साब , तीन प्रायवेट स्कूल और एक सरकारी हायर सेकण्डरी स्कूल है जिसका हर साल परिणाम बहुत अच्छा आता है । स्कूल पूरे समय लगता है ।"
" वाह ! क्या बात है । स्वास्थ्य केंद्र है ?"
" जी साब, टीकाकरण भी होता है और शहर से डाक्टर साब भी आते हैं ।"
" और क्या -क्या है तुम्हारे गाँव में ?"
" पक्की सड़क , आँगनवाड़ी , सार्वजनिक शौचालय , बीज केंद्र , सहकारी साख समिति सबकुछ है साब ।"
" मतलब विकसित गाँव है ।" उसने बड़े आश्चर्य से कहा ।
" हाँ साब , मगर गाँव में इन सबका बुरा असर पड़ा है ।
" वो क्या ?"
" गाँव तो विकसित हो गया लेकिन सभी अपने-अपने में सिमट गए । अकेलेपन और अहंकार की बीमारी घर-घर में फैल गई । बस यही चिंता हमें खाई जाती है । "

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

आधुनिकता का जामा पहने व्यक्ति के  मानवीय मूल्य, संवेदनाएं समाप्त हो गई है, बेहतरीन रचना के माध्यम से वर्तमान मनस्थिति बयां करती रचना।बधाई आदरणीय आरिफ सरजी।

लघुकथा पर सटीक टिप्पणी देकर सफल बनाने का हार्दिक आभार आदरणीया बबीता जी ।

"गांव में पांव" और उस में उस "गांव की ही तलाश!" बदलाव की प्यास और होड़ में ही अपनी मौलिक गुणवत्ता खोते गांव के मार्मिक परिणाम दिखाती विचारोत्तेजक रचना और एतद द्वारा बेहतरीन आग़ाज़ के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और स्वागत अभिनंदन मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब। इसे पढ़कर एक ख़ूबसूरत  ग़ैर फ़िल्मी एलबम की  युगल स्वर  वाली ख़ूबसूरत ग़ज़ल भी तरोताज़ा हो गई - "एक प्यारा सा गांव, जिसमें पीपल की छांव..!"

इस गीत को भी सुनियेगा :

https://youtu.be/OpE4WihwkTg

उपरोक्त गीत के अलावा यह गीत सुनकर भी लघुकथा का आनंद व सम्प्रेषण दूना हुआ :

https://youtu.be/cyY7O4WZqJM

लघुकथा पर बहुत ही सटीक और समीक्षात्मक टिप्पणी देकर सफल बनाने का हार्दिक आभार आदरणीय शेख शहज़ाल उस्मानी जी ।

  • शहर की रूप रेखा की ओर बढ़ते गांव..। बहुत बढ़िया लघुकथा आ0 मोहम्मद आरिफ जी । अंक की शानदार शुरुआत के लिए बधाई.।

लघुकथा पर सटीक टिप्पणी देकर सफल बनाने का हार्दिक आभार आदरणीया कनक हरलल्का जी ।

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