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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-47 (विषय समाधान)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-47 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है, प्रस्तुत है:
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-47
"विषय: "समाधान" 
अवधि : 27-02-2019  से 28-02-2019 
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अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

मैं अभी समीक्षा नहीं, सामान्य टिप्पणी का ही अभ्यास कर पा रहा हूं। अन्यथा न लें।

लेकिन टंकण जनित त्रुटियाँ लिखना आपकी टिप्पणी की ख़ास और सामान्य बात हो गई है।बताना भी चाहिए कि कैसी त्रुटियाँ आपकी समझ से मेरी कघुकथा में मिलीं।

समय की उपलब्धता के अनुसार ही इशारों में भी कहना पड़ता है। सुधीजन की रचनाओं में टंकण-त्रुटियां न हों, तो बेहतर।  समय मिलने पर ही विस्तृत टिप्पणी की जा सकती है न।

टंकड़ त्रुटियां :

1- दो शब्दों व विराम चिन्हों के बीच की स्पेसिंग।

2- //खुद दे (से) जुदा हो चला..//

3- //वे हँस रहे हैं,कि विवेक//

4- //आमीन',टूटा तारा बोला//...आदि।

मुझे लगता है कि आपको एक बार हिंदी व्याकरण की तरफ ध्यान देना चाहिए।हाँ,खुद से के बदले खुद दे हो गया है,इसे मानता हूँ,सादर।

आदरणीय मनन कुमार सिंह जी यहां केवल स्पेस देने की टाइपिंग संबंधित बात कही है। शब्द व विराम चिह्न आपस में सट गये हैं।

मन-मस्तिष्क का मेल अर्थात दिल और दिमाग अथवा होश और जोश का सामंजस्य, क्या बात कह दी आदरणीय मनन कुमार सिंह जी. ऐसे सुमेल से  हर समस्या का समाधान हो सकता है. इस उम्दा और सन्देशपरक लघुकथा हेतु मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार .

//आदमी आदमी से क्या,खुद दे भी जुदा हो चला//=//आदमी आदमी से क्या,खुद से भी जुदा हो चला//

//ग्रह-तारे गवाह हैं कि जब आपस में टकराए तो लुढ़क गये,//=//ग्रह-तारे गवाह हैं कि जब आपस में टकराए तो बिखर गये,//

//नर धर हुआ चल रहा है// धर हुआ का अर्थ समझ नहीं आया.

आदरणीय योगराज जी , निवेदन करना चाहूँगा कि 'धर' यानि कबंध या सर विहीन है।जैसे प्रायः कहा भी जाता है कि  'सर'  'धर' से अलग हो गया।

बेहतरीन लघुकथा आ0 मनन कुमार जी ।

आभार आदरणीय।

जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,प्रदत्त विषय पर लघुकथा का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।

गुणीजनों की बातों का संज्ञान लें ।

आदरणीय समर जी,आभार।

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