आदरणीय साथिओ,
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नया सवेरा
बच्ची को पालने में रखकर मालती बिना एक बार भी पीछे देखे चलती चली जा रही थी । उसके दिमाग में भावना व हालात के बीच महासमर चल रहा था ।आज हालात ने भावना पर विजय पा ली थी । इसी का परिणाम था कि आज अपनी बच्ची को अपने ही हाथों पालन गृह में छोड़ के जा रही थी ।बेटे की चाह में यह मालती की पाँचवीं बेटी थी । यह निर्णय मालती ने बच्ची के जन्म से पहले ही ले लिया था ,बेटा हुआ तो ठीक नहीं तो वो उसे शिशु पालन गृह छोड़ आयेगी ,गरीबी के कारण पहले ही खाने के लाले थे । तभी उसे लगा कोई उस पुकार रहा है ।उसने अनसुना करना चाहा लेकिन वह आवाज मालती के निकट आ चुकी थी, "मालती! कहाँ भागी जा रही हो?" ..."अरे, मेमसाब आप यहाँ...कैसे ?"...."पहले तू बता इस हालत में कहाँ भागी जा रही है, मैं तेरे घर गई थी...वहाँ तू नही मिली तो तुझे ढूँढते-ढूँढते यहाँ तक आ गई।" बस मालती फूट पड़ी, सारी मन की सुना दी, "मेमसाब मैं इस बच्ची को नहीं पाल सकती ,घर वालों के दबाब में मैँने एक बच्ची का जीवन खराब कर दिया ।" यह सब सुन मालती का कलेजा काँप गया ,क्योंकि शादी के दस साल बाद भी उनके संतान नहीं थी और इधर मालती अपनी ही बची को पालना गृह छोड़ आई थी तभी मेमसाब ने मालती के सामने एक प्रस्ताव रखा, "तू यह बच्ची कानूनी रूप से मुझे गोद दे दे ,उसका लालन पालन तू ही करना मुझे जीने का सहारा मिल जायेगा और तूझे भी सुकून ।"....अब दोनो के जीवन में नया सवेरा था ।
मौलिक एवं अप्रकाशित
एक नई सोच का आगाह करती बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीया अनीता दी।
बहुत बहुत आभार आदरणीया बबिता जी
रचना को शीर्षक प्रदान कर रचना पुनः पोस्ट करने हेतु हार्दिक धन्यवाद।
आदाब। भारत के एक पीड़ित वर्ग-विशेष की चिर-परिचित व्यथा को विषयांतर्गत उभारती बढ़िया सकारात्मक संदेश वाहक रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया अनीता शर्मा जी। एक निवेदन है कि रचना पोस्ट करने से पहले टंकण-त्रुटियां आदि स्वयं जांच लिया कीजिएगा। पूरी रचना एक ही पैराग्राफ में प्रस्तुत की गई है, जबकि संवादों के साथ अनुच्छेद बदले जा सकते थे।
//अपनी ही बची (बच्ची)//; //लालन-पालन//; // महासमर=हिंदी-उर्दू मिश्रित शब्द//; // भावना (ममता) पर विजय//; //पालन-गृह/पालना-गृह?//; //तूझे (तुझे) भी सुकून//; // तू ही करना! मुझे जीने..//
आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी धन्यवाद
अच्छी लघुकथा है आ० अनीता शर्मा जी, बधाई स्वीकार करें. भई उस्मानी जी की बातों पर्र मेरी भी सहमती है, उसका गंभीरता से संज्ञान लें.
आदरणीय योगराज प्रभाकर जी बहुत बहुत धन्यवाद ।
टिप्पणी अनुमोदन हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय सर जी।
प्रदत्त विषय पर बढ़िया सकारात्मक रचना लिखी है आपने, बाकी त्रुटियों का ध्यान रखिये. बधाई इस रचना के लिए आ अनीता शर्माजी
आदरणीय विनय कुमार जी बहुत बहुत आभार
संदेशप्रद कथा के लिये बधाई आद० अनीता शर्मा जी ।
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