For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फ्रेंडशिप डे का मतलब क्या होता है ? क्या मुझे विस्तारपूर्वक कोई बताएगा?मेरे समझ मे ये नही आता की आख़िर हम त्योहार की तरह ये अँग्रेज़ों की बनाई हुई परंपरा को हिन्दुस्तान मे क्यों ढो रहे हैं?, ये भी पाश्चात्य शैली है ,हमलोग या यूँ कहें तो हमारी सभ्यता संस्कृति अँग्रेज़ों के अधीन अभी भी है, आख़िर क्यूँ हम अभी भी उनके दिखाए रास्ते पर चल रहे हैं ? ये तो आजतक मुझे भी समझ मे नही आया है , जब हम बिना किसी त्योहार के ही दोस्त बन सकते हैं तो फिर इसका औचित्य ही क्या है ?दोस्ती के लिए तो हमारी भावनाओं का मिलना ज़रूरी है ,ना की किसी फ्रेंडशिप डे जैसे अँग्रेज़ी परंपरा के ,इसी तरह मेरे लगभग ऑनलाइन सोशल नेटवर्किंग साइटों पर कुल मिलकर लगभग 1000 दोस्त होंगे,मुझे नही याद की किसको मैने किस दिन दोस्त बनाया था,नित नये दिन के साथ मेरे दोस्तो की संख्या मे असाधारण तरीके से बढ़ोतरी हो रही है , तो क्या मैं इन सबको रोक कर कहूँ की नही भाई आज तुम मुझे अपना दोस्त मत बनाओ, मैं तुमको अगस्त महीने के पहले रविवार को दोस्त के रूप मे स्वीकार करूँगा,तो कुल मिलकर ये बात है की ये सब बात मेरे दोस्तों पर तो नही लागू होती जाहे वो देश मे हों या विदेश मे , सब हमेशा से हमारे अच्छे दोस्त थे , हैं और रहेंगे| बस ,

Views: 1528

Reply to This

Replies to This Discussion

अभिषेक जी ओपन बुक्स ऑनलाइन के मंच से आप ने एक बहुत ही बढ़िया मुद्दे को उठाया है, यह सही बात है कि दोस्ती किसी विशेष दिन कि मोहताज नहीं होती , यह सब बाजारवाद है, न्यू इयर, valentine डे , x-माक्स डे , फ्रेंडशिप डे आदि पर अरबो रुपये का व्यवसाय होता है, मोबाइल कंपनिया करोड़ो का वारा न्यारा करती हैं,
हां इसका सार्थक पहलू यह है कि हम इसी बहाने अपने सभी दोस्तों को याद कर लेते है,
आपका कहना भी सही है , मगर मैं ये कहना चाहता हूँ की क्या हमे अपने दोस्तों को याद करने के लिए किसी दिन विशेष की ज़रूरत है ?क्या हम अपने दोस्तों को ऐसे नही याद कर सकते हैं?
Manoj Bhaiya ,Thanks for this information, realy nice,
गीत:
हर दिन मैत्री दिवस मनायें.....
संजीव 'सलिल'
*

















*
हर दिन मैत्री दिवस मनायें.....
*
होनी-अनहोनी कब रुकती?
सुख-दुःख नित आते-जाते हैं.
जैसा जो बीते हैं हम सब
वैसा फल हम नित पाते हैं.
फिर क्यों एक दिवस मैत्री का?
कारण कृपया, मुझे बतायें
हर दिन मैत्री दिवस मनायें.....
*
मन से मन की बात रुके क्यों?
जब मन हो गलबहियाँ डालें.
अमराई में झूला झूलें,
पत्थर मार इमलियाँ खा लें.
धौल-धप्प बिन मजा नहीं है
हँसी-ठहाके रोज लगायें.
हर दिन मैत्री दिवस मनायें.....
*
बिरहा चैती आल्हा कजरी
झांझ मंजीरा ढोल बुलाते.
सीमेंटी जंगल में फँसकर-
क्यों माटी की महक भुलाते?
लगा अबीर, गायें कबीर
छाछ पियें मिल भंग चढ़ायें.
हर दिन मैत्री दिवस मनायें.....
*
तिवारी जी प्रणाम !

हम इस देश के वासी अभी तक फ़ैसला नहीं कर पाए हैं कि भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कारों को किस दिन छोडे, और कब से पश्चमी सभ्यता का अनुकरण करें !

जनरेशन गैप है आज सभी लड्के, लड़कियाँ स्कूल कालेजों मे हिन्दी से ज़्यादा अँग्रेज़ी की आशिक हैं अपनी बेहतरी के लिए, संयुक्त परिवार बिखर गये हैं "लव-इन-रिलेशन-टूगेदर" क़ानून ने रही सही भारतीय सभ्यता पर सवालिया निशान लगा दिया है ! इसलिए "राखी" से ज़्यादा महत्व "फ्रेण्ड्शिप, वैलेन्टईन डे" ले चुका है समाज़ को राह दिखाने वाला आए उसका इंतज़ार है !

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   उसे ही कुंभ आना है, पुन्य जिसको पाना है,…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   उसे ही कुंभ आना है, पुन्य जिसको पाना है, पहुँचे लाखों…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
22 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service