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क्या यही हमारे देश का सुशाशन है....

ई घटना जौन अभी हम बता रहल बनी वो २ दिन पाहिले के हा......देखि सभे हमनी के प्रशाशन के कमाल............
८/३/२०१० को मैं अपने ऑफिस से शाम में ७ बजे के करीब निकला.....रोज की तरह MAIN रोड में ट्राफिक जाम था......ट्राफिक चौराहे पर रुकने न आदेश दिया गया क्योंकि किसी VIP का काफिला उधर से जाने वाला था....मैंने अपनी गाडो रोक दी......मेरे से २ गाडी पीछे एक गाडी थी जिसमे एक गर्ववती महिला थी जिसे हॉस्पिटल ले जाया जा रहा था......वहां रुके मुझे और सभी को करीब आधे घंटा हो गया था......और उस महिला की पीड़ा लगातार बढती जा रही थी.....उस औरत के घर वाले लगातार ट्राफिक वालों से आग्रह कर रहे की अभी VIP को आने में देर है इसलिए कृपया कर के जाने दीजिये लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.....उसके बाद मुझसे ये गड़बड़ी देखा नहीं गया....क्योंकी मेरी गाडी सबसे आगे थी इसलिए मैंने उनलोगों अपनी गाडी में बैठा करके ट्राफिक तोड़ कर निकल गया और उनकी गाडी को मैंने ले लिया.....मेरी गाडी जाने के बाद मैंने जब उनकी गाडी को ले के निकला आधे घंटे बाद यानी १ घंटे बाद VIP का काफिला वहां से गुजरा....उसके बाद मैंने गाडी साइड करके रोकी और कहा की अभी जो गाडी यहाँ से ट्राफिक तोड़ के गयी वो मेरी गाडी थी......तो इसपर ट्राफिक वालों ने मुझे कहा कि क्या तुम VIP से भी ज्यादा VIP हो तो मैंने कहा कि यहाँ बात VIP कि नहीं है...अगर VIP के आने में देर है तो आप एक गाडी निकल नहीं सकते जबकि आपके VIP १ घंटे बाद यहाँ से गुजरे....अगर इतने देर में उसे कुछ हो जाता तो उसका जिम्मेवार कौन होता.....तो ट्राफिक वाले ने कहा कि आपने नियम तोडा है आपको ५००० रुपया जुर्माना भरना होगा.....मैंने कहा कि आप मैं ५००० दूंगा लेकिन उसका रसीद मुझे चाहिए..तो वो लोग आना कानी करने लगे....फिर मैंने एक बड़े अधिकारी को फ़ोन किया जो कि मेरे नजदीकी हैं....उसके बाद उस अधिकारी ने उसे समझाया कि अगर ऐसी स्थिति है तो आप २ गाडी निकल भी सकते हो...............
अब यहाँ सवाल ये नहीं है कि उस अधिकारी ने इसे सही बताया....अगर मान लीजिये कि मैं वहां नहीं रहता तो क्या होता.....
क्या यही सुशाशन है कि एक VIP कि गाडी को निकालने के चक्कर में किसी की जान ले लोगे...........
ab aaj ki bhi ghatna bhi sun lijiye aaplog...........
आज के एक घटना सुनिए आपलोग.....मैं अपने ऑफिस से ७ बजे के करीब निकला जो कि MAIN ROAD में है..........ट्राफिक बुरी तरह से जाम था.....मैं अपनी मोटर साइकिल से था.........मैंने देखा ट्राफिक जाम था इसलिए मैं WRONG WAY में घुस गया...सोचा कि जल्दी निकल जाऊंगा कुछ जरुरी काम था............कुछ दूर जाने पर मैंने देखा कि ट्राफिक पुलिस वाले टोइंग वैन लेके ग़लत पार्किंग वालों की गाडी उठा रहे थे........वो सब तो ठीक है लेकिन मैंने देखा एक गाडी जो उनलोगों ने उठाई उसके साथ में और पीछे लाल बत्ती वाली गाडी भी खड़ी थी.....उसको उनलोगों ने नहीं उठाया और एक आम आदमी की गाडी को उठा लिया.......
मैं ये इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि मैंने जो देखा एक आदमी की गाडी को वो उठा ले गए और लाल बत्ती वाली गाडी को नहीं उठाये..मेरे कहना ये है कि क्या नियम और कानून सिर्फ आम आदमी के लिए है और किसी के लिए नहीं....उनलोगों ने आम आदमी कि गाडी उठा लिया लेकिन प्रशाशन कि बत्ती वाली गाडी को नेही उठाया.....

क्या नियम और कानून सिर्फ आम आदमी के लिए है.....प्रशाशन के लिए नहीं है.....
जब नियम बनाने वाले ही नियम तोड़ेंगे तो आम आदमी उसका पालन क्यों करेगा.....
क्या नियम और कानून सिर्फ आम आदमी के लिए है......

मैं आपलोगों का राय जानना चाहता हूँ कि इसपर आप क्या कहना चाहेंगे...........
क्या यही हमारे देश का सुशाशन है.....
क्यों सिर्फ आम आदमी की ही गाडी उठा ले गए वो लोग............

रुआ लोग आपण राय दी सभे कि का ई जून हो रहल बा सही हो रहल बा...............

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प्रीतम जी नमस्कार, मै सबसे पहले आपको धन्यबाद देना चाहूगा की आप ने एक सामाजिक सरोकार से जुड़ा और बिलकुल ज्वलंत मुद्दा को ओपन बुक्स के मंच से उठाया है, इस देश मे अप्रत्यक्ष रूप से दो तरह का क़ानून चलता है अमीरों और सक्षम लोगो के लिये कुछ और तथा गरीबो के लिये कुछ और, आप जो सची घटना यहाँ लिखा है वो इसी बात का मिशाल है , लाल बती लगी गाडियों के लिये अलग तरह का व्यवहार यातायात पुलिस द्वारा किया जाता है ये हम सभी लोग रोज दिन देखते रहते है, और आम लोगो के साथ उनका व्यवहार बिलकुल अमानवीय होता है, अगर कोई महिला प्रसव पीड़ा से तड़प रही हो तो मानवीय पहलू तो यही कहता है की प्राथमिकता के तौर पर उस महिला का समुचित इलाज की बेवस्था होनी चाहिये थी और उनकी गाडी को जाने देना चाहिये था, आप ने अपना सामाजिक दायित्वा का निर्वहन किया , पर सवाल ये उठता है की सारे वाक्या को बताने के बाद भी क्या यातायात पुलिस अपने कर्त्तव्य का निर्वहन किया ? शायद नहीं, अगर उस जगह पर आप के जगह कोई वैसा लोग होते जिनका संपर्क नहीं होता तो क्या होता , शायद पुलिस वाले उसे नोच लेते और कुछ हजार रुपया जरूर झटक लेते, हम लोग तो ऐसे घटना का निंदा ही करेंगे, और शासन से अनुरोध करेंगे की कानून के पालन मे मानवीय पहलू को न भूले और ये VIP के चक्कर मे किसी के जान से न खेले ,
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OBO
क्या नियम और कानून सिर्फ आम आदमी के लिए है.....प्रशाशन के लिए नहीं है...
jee pritam jee theek hai sahi hai ki niyam kanoon sirf aam admi ke liye hai.dekhiye isme nhi dosh un gaadi rokne wale policewalo ki hai nahi bechare gaadi uthanewalo ki hai.hamara kuchh system hi aisa hai jisme ki ye sab kuchh karna hota hai.ab aap hi bataiye ki bechare kya karte unke uper bhi koi hai.dosh hamare sustem ka hai.rahi baat vip ki to sabse pehle neta jee log ka naam aata hai,jinke dwara yah system barbaad kiya gya hai.agar hamare town me koi vip aata hai to unki suraksha ka sara intejam jila prasasan ki hoti hai,jara sa bhi chook hui ki unki transfer ho jayegi.to bechare unka kaya kasoor hai.
aur inko vip humi logo ne banaya hai ,to ek tarah se kahe to dosh hamari hai.lekin baharhaal in sare batoo ke bawjood hamare prasasan ko ye jaroor sochna chahiye tha ki hum police se pehle ek insaan hai,aur insaniat ka dharma na bhule to behtar hoga.
sahi kaha aapne ratnesh jee lekin jab wahi usi jagah par batti wali gaadi khadi hai to wo log use kyu nahyi uthaye............
aur jab wo log jaan rahe the ki VIP ko aane me deri hai to wo log ek gaadi nikal dete to kya dikkat thi aur mujhe traffic rule bhi nahi todna parta..agar meri jagah koi aur hota to usko trafic wale acchhi tarah se loot lete....agar meri gaadi aage nahi hoti to shayad us lady ki delivery gaadi me hi ho jati aur ye bhi ho sakta tha ki usko kuch ho jata....system to galat hai hi lekin insaaniyat bhi to kuch chij hai...iska bhi to khayal rakhte hue unko kuch karna chahiye....

Ratnesh Raman Pathak said:
क्या नियम और कानून सिर्फ आम आदमी के लिए है.....प्रशाशन के लिए नहीं है...
jee pritam jee theek hai sahi hai ki niyam kanoon sirf aam admi ke liye hai.dekhiye isme nhi dosh un gaadi rokne wale policewalo ki hai nahi bechare gaadi uthanewalo ki hai.hamara kuchh system hi aisa hai jisme ki ye sab kuchh karna hota hai.ab aap hi bataiye ki bechare kya karte unke uper bhi koi hai.dosh hamare sustem ka hai.rahi baat vip ki to sabse pehle neta jee log ka naam aata hai,jinke dwara yah system barbaad kiya gya hai.agar hamare town me koi vip aata hai to unki suraksha ka sara intejam jila prasasan ki hoti hai,jara sa bhi chook hui ki unki transfer ho jayegi.to bechare unka kaya kasoor hai. aur inko vip humi logo ne banaya hai ,to ek tarah se kahe to dosh hamari hai.lekin baharhaal in sare batoo ke bawjood hamare prasasan ko ye jaroor sochna chahiye tha ki hum police se pehle ek insaan hai,aur insaniat ka dharma na bhule to behtar hoga.
Preetam ji Namaskar,
Haan aapne sahi kaha hai aapne desh ka kanoon kewal aam admi ke liye.
samrath ke na dosh gosai , i bat tulsidas ji bahut pahile likhale rahani bakir aaj i sahi mayne me thik lagat ba,
प्रीतम जी यह तो अक्सर ही होता है और हम लोग नज़रंदाज़ करके निकल जाते है. सभी को अपनी फिकर है दूसरों की नहीं हां आप जैसे बहुत कम लोग होते है जो दूसरों के बारे मैं भी सोचते है. रही बात सिस्टम मैं परिवर्तन की तो यह तो यकायक होने से रहा. हां शनैः शनैः परिवर्तन आ रहा है. जितना लोग शिक्षित होंगे उतनी ही तीव्र गति से हमें परिवर्तन देखने को मिलेगा. अतः हमें जागरूकता फ़ैलाने के साथ साथ शिक्षा का भी प्रसार करना है. तभी ऐसी घटनाएँ भविष्य मैं देखने को नहीं मिलेंगी.
Pritam jee, ees desh mey kanoon to sabkey liyey aek hai par woska implimentation alag alag logo par alag alag hota hai, aek aam aadmi yadi chhoti si chori key case mai fas jaay to , sabsey pahaley to police hi wosey pit pit kar saja dey deti hai, par wahi yadi koi arbo ka ghotala kar jaata hai to police aur prasashan VIP treatment deti hai,

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