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जनाब दीपक "जैतोई" साहिब की पंजाबी ग़ज़ल का हिंदी अनुवाद

सुनके  मज़ा न आए, उसको ग़ज़ल न बोलें ! 
दिल में उतर न जाए, उसको ग़ज़ल न बोलें !  

खूबी ग़ज़ल की है ये, दिल को चढ़ाये मस्ती,
और जो दिमाग खाए, उसको ग़ज़ल न बोलें!

हर शेअर अपनी अपनी पूरी कहानी बोले,
दरमियाँ से टूट जाए, उसको ग़ज़ल न बोलें!

मिसरा खतम हो पीछे, खुल जाएँ अर्थ पहले
जो उलझने बढ़ाये, उसको ग़ज़ल न बोलें!

बे अर्थ बात कोई जचती नहीं ग़ज़ल में
मायने समझ ना आए, उसको ग़ज़ल न बोलें!

मखसूस शब्द हैं कुछ यारो ग़ज़ल की खातिर,
बाहर जो उनके जाए, उसको ग़ज़ल न बोलें !

हर बात इश्क में ही रंगी हुई ग़ज़ल की
जो खुश्कियां चढ़ाये, उसको ग़ज़ल न बोलें !

फूलों की तरह बांटें, खुशबू ग़ज़ल के मिसरे,
जिस में से बदबू आए,उसको ग़ज़ल न बोलें !

मस्ती शराब जैसी, नवयौवना का नखरा,
नज़रों में ना समाये, उसको ग़ज़ल न बोलें !

संगीत की मधुरता, झरने की सी रवानी
जिसमे नज़र ना आए, उसको ग़ज़ल न बोलें !

शेयरों के अर्थ यूँ तों, ढूंढे लुगात में से, 
फिर भी ग़ज़ल बताये,उसको ग़ज़ल न बोलें!

अनहोनी सी दलीलें, उपमा अति असंभव,
अश्लीलता बढ़ाये, उसको ग़ज़ल न बोलें !
 
महफ़िल में थिरकती हो जैसे हसीन नारी
वो रंग न जमाये, उसको ग़ज़ल न बोलें !

विरहा का दर्द हो या वस्ल की लताफत,
जो  इश्क न जमाये, उसको ग़ज़ल न बोलें !

मह्बूद संग बातें, साकी के साथ शिकवे,
मंज़र न ये दिखाए, उसको ग़ज़ल न बोलें !!

दिल की ज़ुबान है ये, दानिशवरों ने बोला,
पहेली कोई बुझाये, उसको ग़ज़ल न बोलें !

सड़ियल मिजाज़ "दीपक", डिग्री का रौब देके,
गाथा अगर सुनाये, उसको ग़ज़ल न बोलें !

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Replies to This Discussion

behad kamaal ki gahzal kahi hai aapne

harke har sher ki daleel ek dam sahi mai ...

 

bas aapka ye sher hai

 

मखसूस शब्द हैं कुछ यारो ग़ज़ल की खातिर,
बाहर जो उनके जाए, उसको ग़ज़ल न बोलें !

 

isko dhyaan mai 5rakh kar

 

ap ye msira dekheN

 

जिस में से बदबू आए,उसको ग़ज़ल न बोलें !


badboo - word shayri mai ...

 

aur makte maiN

 

सड़ियल- word.... inse thoda aitraaz hai mujhe

baaki bahut achi gahzal hai

deepak ji ki ghazal bhi padha deN

 

apr apne jo likhaa hai, bahut pasand ayeee

जनाब फ़िक्र साहिब,  ये ग़ज़ल मैंने नहीं कही ! यह पंजाबी ग़ज़ल के मीर आजहानी, जन्नत मकानी  जनाब दीपक जैतोई साहिब का कलाम है,  मैंने तो इसको हिंदी में अनुवादित करने की एक अदना सी कोशिश की है ! अब रही बात कुछ शब्दों पर आपके ऐतराज़ की तो मैं बड़े खलूस-ओ-एहतराम के साथ अर्ज़ करना चाहूँगा कि मेरी नाचीज़ राय में उस्तादों के कलाम को सिर्फ एन्जॉय करना चाहिए !

bhayee, deepak ji ko shayed ab tak padha nahi maine, shayed ek baar sunaa hai, usnki likhi naz shayed, satinder sartaj ji ne gayee hai, but i am not sure ....

 

maine shabdo pe aitraaj nahi kiyaa balki ek sher mai kaha gaya hai, ki aise shabd jisme use ho woh gahzal nahi, doosre sher mai aise shabd jo adab mai use nahi hote .. woh they, is baat pe maien poochna chahaa, ho saktaa hai, badboo sadiyal .. shabd use hote ho, but

punjabi mai aise lafz kuch had tak khap jate hai .. urdu gahzal mai nahi, mere khyal se,

isliye kaha

 

baaki enjoy karne ke liye hi ye sab hai . aur kiske liye hai .........

aap unke likhe kalaam bhi share kare plzz....

inko padhnaa zaroor chahiye , mujeh lag raha hai

 

मिसरा खतम हो पीछे, खुल जाएँ अर्थ पहले
जो उलझने बढ़ाये, उसको ग़ज़ल न बोलें!.....

योगराज भाई, इस अनुवाद के लिए आपको जितना भी आभार व्यक्त किया जाए वो कम है. दरअसल "अनुवाद" शब्द सुन ने और कहने के लिए आसान होता है लेकिन अनुवाद करने वाला ही जनता है की यह कितना कठिन काम होता है. कितना मुश्किल होता है अनुवाद करना और अर्थों और भावों के साथ इमानदारी बनाये रखना. आप ने दीपक जी के इस उम्दा ग़ज़ल के साथ अनुवाद में पूरी इमानदारी बरती है, ये इस ग़ज़ल-अनुवाद को देख कर ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है. इतना सहज और सरल अनुवाद है की भाई मैं तोह गुनगुनाने भी लगा.

अति सराहनीय और उम्दा प्रयास.

आपका भाई,
आर के पाण्डेय 'राज"
लखनऊ

भाई आर के पाण्डेय 'राज" साहिब, आपको मेरा प्रयास पसंद आया - आपका बहुत बहुत शुक्रिया ! वैसे मुझे इस ग़ज़ल का अनुवाद करते हुए कोई ज्यादा मुश्किल नहीं ई क्योंकि पंजाबी भाषा भी हिंदी के बहुत ही नज़दीक है ! सादर !

बहुत खूब जनाब | दीपक साहब मेरे उस्ताद थे जी इस ग़ज़ल को  अपने फेस बुक प्रोफाइल में पोस्ट कर रहा हूँ जी
बहुत बहुत शुक्रिया जज साहिब,  जनाब दीपक जैतोई साहिब जी मेरे भी मानस गुरु हैं !
bahut badhiya translation kiya hai aur gazal ko bahut hi khoobasoorati se samajhaya hai|

आदरणीय योगराज सर.

ग़ज़ल का अनुवाद कर इतनी अच्छी ग़ज़ल से रू-ब-रू कराने के लिए आभार.

ग़ज़ल कहने के सलीके सिखाती ग़ज़ल.

सादर 

दिल से (मगर ताखीर से) आपका शुक्रिया अदा करता हूँ भाई मिथिलेश वामनकर जीI 

वाह आदरणीय सर बहुत सुंदर अनुवाद | आपको साधुवाद |

हार्दिक आभार आ० कल्पना भट्ट जीI

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