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अपनी इस रचना को पुन: ध्यान से पढ़ें आ० कल्पना भट्ट जी I वार्तालाप में प्रयुक्त इनवर्टेड कॉमास क्या सही स्थान पर हैं ?
आदरणीय कल्पना जी, लघुकथा में क्या किसी भी प्रकार के लेखन में यदि व्याकरण की त्रुटियां हों तो उस रचना की खूबसूरती तो चली ही जाती है ,साथ ही उसका उद्देश्य भी असफ़ल हो जाता है!वह रचना लगभग मृत प्राय हो जाती है!आप इस ओर अपने आप को केंद्रित कीजिये यदि इस क्षेत्र में कुछ नया करने का इरादा है!सादर शुभ कामनाओं सहित!
आदरणीय तेज़वीर सिंहजी, आपकी यह बात सौ फ़ीसदी सही है. मगर इस रोग से कई उत्साही रचनाकार ग्रस्त हैं.
वैसे आपने यह बात आदरणीया कल्पनाजी से कहने के बदले आदरणीय योगराजजी से कह दी है.
आदरणीय सौरभ जी, मेरी टिप्पणी को गलत दिशा में मोडने का प्रयास ना करें!मेरी इतनी हैसियत कभी भी नहीं होगी कि मैं आदरणीय योगराज जी से प्रश्न करने की हिम्मत जुटा सकूं!मेरा इस कथा पर यह टिप्पणी करने का प्रयास इसलिये जरूरी था क्योंकि आदरणीय कल्पना जी ने इसे पोस्ट से पहले मुझे दिखाया था और मैने उन्हे कुछ त्रुटियां इंगित की थीं!मगर उन्होंने जल्दबाजी में इसे पोस्ट कर दिया!सादर!क्षमा सहित!
आदरणीय तेज़वीर सिंहजी,
आप पहले मेरे कहने का अर्थ समझें. मैंने आदरणीय योगराजभाई का नाम आपके संदर्भ में इस लिए लिया है कि आपकी टिप्पणी आदरणीय योगराजभाई के थ्रेड में है. आप प्रस्तुतियों पर अपनी सारी टिप्पणियाँ किसी न किसी की टिप्पणी के थ्रेड में कररहे हैं. जबकि होना यह चाहिये कि आप प्रस्तुतियों के थ्रेड में प्रस्तुतियों पर टिप्पणियाँ करें. मेरे कहने का कुल आशय यही है. न कि जो आप समझ बैठे हैंं.
विश्वास है, अब आपने मेरे कहे का सही अर्थ समझ लिया होगा. अन्यथा अर्थ न लिया करें.
सादर
आदरणीय सौरभ जी,मेरी टिप्पणी को मैंने व्यक्ति विशेष को संबोधित करते हुए लिखा है, आदरणीय कल्पना जी!उसे कोई भी पढकर सही निष्कर्ष निकाल सकता है! आपने उसमें जो आदरणीय योगराज प्रभाकर जी का नाम जोड कर कटाक्ष करने की चेष्टा की, वह निहायत स्तरहीन कार्य है!मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगा!आपके स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं!सादर!क्षमा चाहूंगा!
आदरणीय तेज़वीर साहब ..
आप क्या कर रहे हैं या क्या-क्या कहते जा रहे हैं ? यह अवश्य है कि आप इस मंच पर अभी नये सदस्य हैं और टिप्पणियों को पोस्ट करने से सम्बन्धित आपको बहुत सी बातों का स्पष्ट होना बाकी है.
आपने संभवतः सोच लिया है कि मैंने कटाक्ष किया है तो मैं आपको इस बात को सोच लेने केलिए भी मना नहीं करूँगा, क्योंकि समय के अनुसार आप स्वयं समझ जायेंगे कि मैं अभी क्या कह रहा हूँ.
आपने मेरी प्रस्तुति पर भी टिप्पणी की है, उसपर मैंने सादर धन्यवाद कहा है. यदि समय मिले तो कृपया मेरी उस धन्यवाद टिप्पणी को पढ़ जाइये. वहाँ भी मैंने आपसे यही बात कही है कि आप किसी अन्य की टिप्पणी के Reply बटन को क्लिक कर अपनी टिप्पणी कर देते हैं. आप कृपया प्रस्तुतियों के नीचे बने Reply के बटन को क्लिक कर टिप्पणियाँ किया करें. यही मेरा आग्रह और अनुरोध है.
आगे जैसा सोचना और समझना है, उसके लिए आप स्वतंत्र हैं.
सादर
मंच संचालक आदरणीय योगराज भाईजी से अनुरोध है कि सदस्य आदरणीय तेज़वीर जी के मन बन रहे या बन गये भ्रम पर तुरत संवेदनशील हों और उपयुक्त ढंग से निवारण करें. अनर्थ को प्रश्रय मिलता हुआ दिख रहा है.
सादर
आदरणीय सौरभ जी,आपकी प्रस्तुति पर मैने सराहना हेतु टिप्पणी की है!वहां पर आपकी टिप्पणी मैंने पढ ली थी!वहां आपका यह प्रश्न करना उचित था क्योंकि वह आपकी प्रस्तुति पर टिप्पणी थी!इस जगह आपने टिप्पणी में जिस तरह से आदरणीय योगराज जी का नाम डाला!मुझे अनुचित लगा! फ़िर भी आपको लगता है कि मैं गलत हू तो मैं क्षमा प्रार्थी हू!आशा है आप मुझे क्षमा करेंगे और इस विवाद की इति करेंगे!सादर!
हा हा हा हा हा ....... आदरणीय तेजवीर जी ,
ये सब यहां आदरणीय सौरभ सर जी के द्वारा दिया गया जादू का झप्पी है।ये उनका अपना इस्टाइल है,
हमारे सर जी को ये झप्पियां बेहद पसंद है और इन बातों को वो एन्जॉय करते है। कृपया आप डोंट वरी बी हैप्पी :)))))))))
:)))))))) आपकी झप्पी भी बढ़िया है आ० कांता जी ...इसके बाद मौसम खुशगवार हो गया .
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