Tags:
Replies are closed for this discussion.
"मौकापरस्त मोहरे"
वह तो रोज़ की तरह ही नींद से जागा था, लेकिन देखा कि उसके द्वारा रात में बिछाये गए शतरंज के सारे मोहरे सवेरे उजाला होते ही अपने आप चल रहे हैं, उन सभी की चाल भी बदल गयी थी, घोड़ा तिरछा चल रहा था, हाथी और ऊंट आपस में स्थान बदल रहे थे, वज़ीर रेंग रहा था, बादशाह ने प्यादे का मुखौटा लगा लिया था और प्यादे अलग अलग वर्गों में बिखर रहे थे|
वह चिल्लाया, "तुम सब मेरे मोहरे हो, ये बिसात मैनें बिछाई है, तुम मेरे अनुसार ही चलोगे|" लेकिन सारे के सारे मोहरों ने उसकी आवाज़ को अनसुना कर दिया, उसने शतरंज को समेटने के लिये हाथ बढाया तो छू भी नहीं पाया|
वो हैरान था, इतने में शतरंज हवा में उड़ने लगा और उसके सिर के ऊपर चला गया, उसने ऊपर देखा तो शतरंज के पीछे की तरफ लिखा था - 'चुनाव के परिणाम'|
मौलिक व अप्रकाशित
रचना को पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब !!
आदरणीय सर, आप जब कहें मैं हाज़िर हूँ| लेकिन सच्ची बात इतनी सी है कि जैसे मुझे आदरणीय गुरूजी योगराज जी सर ने समझाया और आदरणीय बड़े भाई रवि प्रभाकर जी सर ने बताया, आँख मींचकर अनुसरण किया, जैसे छोटे बच्चे करते हैं| इनका अनुसरण केवल फेसबुक और OBO पर ही नहीं बल्कि इन्टरनेट पर भी सर्च कर कर के पढने की कोशिश की और उसी का यह फल है कि लघुकथा विधा में थोड़ा-बहुत कह पा रहा हूँ|
बिलकुल सही कह रहे है आप आदरणीय चंद्रेश जी , कि हमने सिर्फ आँख मींचकर अनुसरण किया है अपने गुरुजनों का , जैसे छोटे बच्चे करते हैं|
__/\__/\__/\__
_/\_ _/\_
रचना को पसंद करने और सराहना के लिए हार्दिक आभार आदरणीया जानकी जी !
रचना को पसंद कर अपनी टिप्पणी द्वारा मेरा मनोबल बढ़ाने हेतु हार्दिक आभार आदरणीय पंकज जी सर
आदरणीय चंद्रेश जी अपने शीर्षक को सार्थक करती बेहतरीन लघुकथा हुई है. इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई. लघुकथा पर पुनः आता हूँ. सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |