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aआदरणीय जानकी वाही जी बहुत ही अच्छी लघुकथा आप को .बधाई इस प्रस्तुति के लिए.
आ० जानकी जी, बहुत उलझी और बिखरी बिखरी सी लघुकथा है. दद्दन, चुम्मन और सरपंच के बीच को "छुरी" आ जाता/जाती है. ये छुरी कौन है? बाद में कभी तो दद्दन की आवाज़ में श्मशान का वैराग्य दिखा दिया गया, फिर उसके अगले संवाद में उसे "ठोकने" की धमकी देता हुआ दिखा दिया. अंत में वही दद्दन मरी हुई आवाज़ में प्यादा होना भी कबूल कर लेता है. बहुत अजीबो गरीब ट्रीटमेंट दिया है आपने इस रचना को, रचना पर अभी बहुत ज्यादा मेहनत करने की आवश्यकता है. प्रतिभागिता हेतु बधाई स्वीकरें.
हार्दिक बधाई आदरणीय जानकी जी!! सुंदर लघुकथा !
आदरणीया बिलकुल सही कहा आपने. इस कार्यशाला का आयोजन इन्हीं उद्देश्यों के तहत है.
खून से रंगे हाथों द्वारा सकारात्मक चाल|बेहतरीन अंत वाली सुंदर कथा|बधाई आदरणीया janki wahie जी
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