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हार्दिक बधाई आदरणीय अर्चना जी!बहुत शानदार लघुकथा!
आपके इकलौते पुत्र को कुछ नहीं होगा ,मेरे पुत्र पर भरोसा रखिये!
बेहतरीन पंच लाइन!पुनः हार्दिक बधाई!
आदरणीया अर्चना त्रिपाठीजी, आपकी लघुकथा प्रदत्त शीर्षक के आलोक में सहज है. इस हेतु हार्दिक बधाई.
एक बात साझा करूँ तो ’माय फ़ेयर लेडी’ का स्मरण हो आया जिसमें कम हुनरमन्द या बदसूरत लड़की को उसका पुरुष मित्र ठुकरा देता है. बाद में वह पितातुल्य किसी पुरुष के सान्निध्य तथा साहचर्य में अपने को सँवारती है. तथा सफल हो कर अपने पुरुष मित्र के सामने चुनौती की तरह प्रस्तुत होती है. इस कथानक पर कई फ़िल्में भी बन चुकी हैं. आपको भी वो फ़िल्में स्मरण होंगीं.
सादर
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