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बहुत बढिया लघुकथा हुई है आ० रश्मि जी, बधाई प्रेषित है I
हार्दिक बधाई आदरणीय रश्मि जी!बेहतरीन लघुकथा !मनुष्य के जीवन में अकसर ऐसे मौके आते हैं कि वह अपने आप को एक दोराहे पर पाता है और उसी स्थिति में उसे संकल्प रूपी सहारे का आभास होता है!सही वक्त पर लिया निर्णय ही सच्चा संकल्प साबित होता है!
पंच लाइन जबर्दस्त !! पहले तो लगा कि संकल्प टुटा अब ... परन्तु .. वाह !! पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया आदरणीया रश्मि जी ! सादर
वाह ,बहुत खूबसूरत लहजे में लिखी कथा ,हार्दिक बधाई आपको आदरणीया रश्मि जी
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