For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-80 (विषय: आकर्षण)

आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-80 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है,
:  
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-80
"विषय: 'आकर्षण'  
अवधि : 29-11-2021  से 30-11-2021 
.
अति आवश्यक सूचना:-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 2394

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

स्वागतम

उस रोज़ तुम पर हाथ उठाते-उठाते, मैं रुक गया। अचानक ज़हन में उठा सुधा का ख़याल, मुझे खींच ले गया मेरे अतीत की ओर। यही उम्र रही थी मेरी भी और यूँ ही, मैं भी खड़ा था नज़रें झुकाये... तब तुम्हारे नाना के थप्पड़ ने मेरे अबोध मन को बड़ी ठेस दी थी, पर मैं कैसे भूल गया... कि इस उम्र में तो "आकर्षण" स्वभाविक है।
(मौलिक व अप्रकाशित)

आदाब। इस गोष्ठी का आकर्षण बढ़ाती हुई रचना के साथ  इसका आग़ाज़करने हेतु बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरमा रक्षिता सिंह साहिबा। आत्मकथ्यात्मक शैली की इस रचना में उन सभी के लिये कथ्य सम्प्रेषित हुआ है, जो यह भूल/चूक कर डालते हैं या करने से पहले स्वयं को.यूँ सँभाल लेते हैं। आज के दौर में काश यह तथ्य माता-पिता/परिवारजन भी समझ लें,  आकर्षण का रसायन समझ सकें, किशोर/युवा मनोविज्ञान समझ सकें, तो समाज की बहुत सी.समस्याएं स्वतः हल हो सकेंगी। शीर्षक देना आप भूल.गई हैं। कृपया कमेंट में या बाद में संशोधन के समय इंगित कर दीजिएगा।

आ. रक्षिता जी, बेहतरीन कथा से मंण की शुरुआत करने के लिए हार्दिक बधाई।

मुहतरमा रक्षिता जी, अच्छी लघुकथा हुई है, मुबारक बाद कुबूल फरमाएं 

दोस्त 1 :तुझे तो कोई पुराने हिन्दी गाने सुनने वाली पसन्द होगी क्योकि खुद दिन भर सुनता है वही....

दोस्त 2 :हां या कोई ऐसी जो शांत मिजाज हो भीड़ से दूर रहने वाली इसकी तरह....

दोस्त 3: हां या गजल शायरी लिखने वाली....!!!

.......

.....

अब इन्हे क्या पता कि वो अंग्रेजी गाने सुनती है....भीड़ मे मगन हो जाती है....और गजल सुनाने पर मासूमियत से पूंछती है "इसका मतलब?"

ये दोस्त बेचारे कमजोर थे रसायन विज्ञान मे #आकर्षण का नियम आज तक न समझ पाऐ.....

(मौलिक व अप्रकाशित)

वाह। बहुत ही उम्दा लिखा है आपने।  हार्दिक बधाई आदरणीय समर्थ देव जी।शायद इस मासिक गोष्ठी में हम पहली बार आपकी रचना पढ़ रहे हैं। हार्दिक स्वागत आपका। आकर्षण का रसायन विज्ञान वास्तव में समझा या समझाया जाना चाहिए। ज़िंदगी में एक पड़ाव ऐसा भी आता है, जब दोस्त आपस में ऐसा वार्तालाप करते हैं, ऐसे दौर से गुजरते हुए। रचना की अंतिम पंक्तियाँ कौन कह रहा है, यह मुझे स्पष्ट नहीं हो.सका। दोस्त 3 ही कह रहा है या लेखकीय पंक्तियाँ/अंदाज़ा है? इसे.लेखकीय दख़ल कहा जा सकता है। ये पंक्तियाँ भी किसी दोस्त के संवाद के माध्यम से कहलवायी जा सकती हैं मेरे विचार से। शीर्षक देना आप भूल गये हैं। कृपया कमेंट में या गोष्ठी सम्पन्न हो चुकने के बाद संशोधन में इंगित कर दीजिएगा।

आ. भाई समर्थ जी, अच्छी लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई। 

आ. भाई शेखशहजाद जी की बात का संज्ञान लें। 

जनाब समरथ जी, अच्छी लघुकथा हुई है, मुबारक बाद कुबूल फरमाएं 


तक़ाज़ा (लघुकथा) :


दफ़्तर में काफ़ी काम निबटाने के बाद लिपिक बड़े बाबू दूसरे कक्ष में पहुंचे थे, तो कुछ दूर से ही अपने दो साथी युवा कर्मचारियों को स्मार्ट फ़ोनों की स्क्रीन पर उत्तेजक तस्वीरों से आँखें सेंकते देखकर उल्टे पाँव लौट गये थे। कार्य संबंधित जिज्ञासावश वे दोनों बड़े बाबू के कक्ष में जब पहुंचे, तो कुछ दूर से ही बड़े बाबू को एक ख़ूबसूरत नवयुवती के साथ चाय की चुश्की लेते हुए गपशप करने के साथ ही आँखें भी सेंकते देखकर उल्टे पाँव लौट गये।


जब वह युवती अपना आवश्यक लिपिकीय कार्य निबटा कर चली गई, तो पुनः वे दोनों उनके कक्ष में पहुंच कर उन्हें छेड़ने लगे।


"आज तो आप बड़े लकी रहे! सारी थकान दूर हो गई होगी उस युवती की ख़ूबसूरती देख-देख कर!" पहले युवा कर्मचारी ने कहा।


"क्यों छेड़ते हो यार, बड़े बाबू को मज़े ले लेने दो; 'रिटायर' होने ही वाले हैं!" दूसरे कर्मचारी ने भी चुटकी ली और फ़िर बड़े बाबू से बोला, "वैसे क्या-क्या देख रहे थे आप उसमें, हमें भी तो बताइये न?"


"सौंदर्य... नारी सौंदर्य!" बड़े बाबू ने आँखें फाड़कर अपनी बत्तीसी निपोरकर चुटकी लेते हुए कहा, "हे हे हे...'पूर्ण नग्न' नारी तो बेहद वीभत्स लगती है! साक्षात सामने हो, या स्मार्ट फ़ोन पर!"


(मौलिक व अप्रकाशित)

आ. भाई शेख शहजाद जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन लघुकथा हुई है।  आर्दिक बधाई ।

आदाब। रचना पटल पर समय.देकर हौसला अफ़ज़ाई हेतु शुक्रिया जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
38 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
1 hour ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service