For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रचनाओं को सम्मानित करने की एक अनूठी पहल @ महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना ( Best Creation of the Month )

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सभी सदस्यों को एडमिन का प्रणाम.
यह घोषित करते हुये मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है कि OBO पर पोस्ट होने वाली अच्छी रचनाओं को सम्मानित करने की एक अनूठी पहल आपके OBO प्रबंधन टीम द्वारा की जा रही है, प्रत्येक महीने में ओपन बुक्स ऑनलाइन पर पोस्ट होने वाली रचनाओं से किसी एक सर्वश्रेष्ठ रचना को चुनकर उसे मुख्य पृष्ठ पर महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना ( Best Creation of the Month ) के रूप में लेखक / लेखिका के छाया चित्र के साथ प्रकाशित किया जायेगा |

इसके लिये ओपन बुक्स ऑनलाइन के प्रधान संपादक की अध्यक्षता मे एक पांच सदस्यों की निर्णायक कमेटी बनाई गई है जो प्रत्येक महीने के 1 से लेकर माह की आखिरी तारीख तक पोस्ट होने वाली रचनाओं से अपनी-अपनी पसंद की किन्ही दो रचनाओं का चुनाव कर प्रधान संपादक को देंगे, पुनः उन चुनी हुई रचनाओ से प्रधान संपादक महोदय किन्ही एक रचना का चुनाव करेंगे जो उस महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना होगी तथा उस रचना को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" के रूप मे अगले महीने के 5 तारीख तक मुख्य पृष्ठ पर प्रकाशित कर दिया जायेगा |
महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना ( Best Creation of the Month ) के चयन का अंतिम निर्णय OBO के प्रधान संपादक का होगा तथा इसपर किसी भी सदस्य या पाठक को टिप्पणी करने का अधिकार नहीं होगा |

 

संशोधन :-

 

  • माह जुलाई से एक छोटा सा संशोधन किया गया है, तदनुपरांत अब महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना का शीर्षक लिंक सहित व रचनाकार के छाया चित्र के साथ ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर प्रकाशित किया जायेगा, पाठक रचना के शीर्षक पर क्लिक कर पूरी रचना पढ़ सकते है |

 

  • जनवरी 2012  से "महीने की सर्वश्रेष्ट रचना" को भी नगद पुरस्कार दिया जायेगा | 

           पुरस्कार का नाम      :- "महीने की सर्वश्रेष्ट रचना पुरस्कार"

           पुरस्कार की राशि     :- रु. 551/- मात्र ( अब 1100/-जनवरी 2013 से सशोधित) 
          पुरस्कार के प्रायोजक :- ( जनवरी 2012 से दिसंबर 2012 तक )

                                                     गोल्डेन बैंड इंटरटेनमेंट ( G-Band )
                                             H.O.F-315, Mahipal Pur-Ext. New Delhi.

 

जनवरी 2013 से पुरस्कार राशि रु. 1100/-  Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali  के सौजन्य से कर दिया गया है ।

New :- दिनांक १ जनवरी २०१४ के प्रभाव से प्रायोजक मिल जाने तक नगद पुरस्कार राशि प्रदान नहीं की जायेगी, यह पोस्ट इस हद तक संशोधित |

Views: 20624

Reply to This

Replies to This Discussion

I MUST THANK ADMIN.FOR SELECTING MY GHAZAL FOR 'POST OF THE MONTH'.THANKS A LOT SIR .I WILL KEEP MY SELF DEVOTED TOWARDS UPBRINGING OF LITERATURE . I APPRAISE O.B.O. INITIATIVE IN THIS REGARD .THANKS AGAIN  TO WHOLE EDITORIAL TEAM.

माह December २०१० / प्रकाशित 04.01.11 से 05.02.11

 

कवित्री :- श्रीमती शारदा मोंगा

गृह स्थान :- दिल्ली
वर्तमान स्थान :- ऑकलैंड (N.J)
शीर्षक :- मधुकर आज, आज बसंत बधाई,

 

कानन कानन, उपवन उपवन,
खिले सुमन दल, सुरभित कण कण,
यह कैसी मधु भरी पीक ने,
पंचम तान सुनाई.
मधुकर...

नव रंग, नवल तूलिका के संग,
भ्रमर चितेरा करे नव चित्रण,
नव-पलाश पलाश वनं पुरं,
स्फुट पराग परागत पंकजम,
पुष्पित-पुलकित मन मंदिर में,
मधुर बजे शहनाई,
मधुकर...

नव-नभ, थल में छिटकी चन्द्रिका,
नवल सुमन दल, कोमल कलिका.
मधुरय मृदु मधु गंध माधवी,
ससुर्भिम सुर्भिम सुमनोटवी,

दिश दिशा अनुरंजित हो उठी,
प्यार की बंसी बजाई.

मधुकर आज, आज बसंत बधाई,

THANKS  MADAM FOR VERY NICE POEM AND CONGRATULATIONS ON BEING "BEST BLOG OF THE MONTH"'WRITER.
nice adea.

माह January 2011 / प्रकाशित ०६.०२.११ से ०५.०३.११

रचनाकार :- कवि राजबुन्देली

गृह स्थान :- पन्ना (म. प्र.)
वर्तमान स्थान :- मुंबई
शीर्षक :- श्रृँगार नहीं अंगार लिखूंगा

 

कल मैंनॆ भी सोचा था कॊई, श्रृँगारिक गीत लिखूं ,

बावरी मीरा की प्रॆम-तपस्या, राधा की प्रीत लिखूं ,

कुसुम कली कॆ कानों मॆं,मधुर भ्रमर संगीत लिखूं,

जीवन कॆ एकांकी-पन का,कॊई सच्चा मीत लिखूं,

एक भयानक सपनॆं नॆं, चित्र अनॊखा खींच दिया,

श्रृँगार सृजन कॊ मॆरॆ, करुणा कृन्दा सॆ सींच दिया,

यॆ हिंसा का मारा भारत, यह पूँछ रहा है गाँधी सॆ,

कब जन्मॆगा भगतसिंह, इस शोषण की आँधी सॆ,

 

राज-घाट मॆं रोता गाँधी, अब बॆवश लाचार लिखूंगा,

दिनकर का वंशज हूं मैं, श्रृँगार नहीं अंगार लिखूंगा,

शेष पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे.........

वाह, अब तॊ ओ.बी.ओ. की लोकप्रियता में चार चाँद लग जायेंगे, और कविताऒं का भी सही मूल्यांकन हॊगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

शुभ कामनायॆं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

 

कवि-राजबुंदेली,,,,,,,,,,,,,,,,,

मॆरॆ गीत.............
--------------------
अँधियारी रातॊं मॆं मुझकॊ,राह दिखानॆ वालॆ,
मॆरॆ प्यासॆ मन की, यह प्यास बुझानॆ वालॆ,
कभी अचानक विपदाऒं आकर मुझकॊ घॆरा,
अपनॆ हुए परायॆ जब सारॆ जग नॆ मुँह फॆरा,
ऎसॆ कठिन समय मॆं मॆरॆ यही बनॆं हैं मीत !
रात-रात भर मिलकर जागॆ मैं और मॆरॆ गीत !!१!!

तन्हाई मॆं खुशहाली मॆं,पतझड़ मॆं हरियाली मॆं,
कॊयल बनकर कूकॆ हैं गीत मॆरॆ डाली-डाली मॆं,
इन गीतॊं संग मॆरा जबसॆ हुआ अलौकिक मॆल,
साथ - साथ हम नॆं खॆलॆ ना जानॆं कितनॆं खॆल,
कहा सुनी मॆं हार हुई कभी कहा सुनी मॆं जीत !!२!!
रात-रात भर मिलकर जागॆ.......................

जीवन की आपा-धापी मॆं हरपल मॆरॆ साथ रहॆ,
जॊ भी कष्ट सहॆ मैंनॆं इन नॆं भी वह कष्ट सहॆ,
बना स्वयंभू राजहंस मैं शब्दॊं कॆ मॊती चुनता,
मॆरॆ मन की यॆ सुनतॆ इनकॆ मन की मैं सुनता,
गज़ब निभाई इन गीतॊं नॆ अज़ब हमारी प्रीत !!३!!
रात-रात भर मिलकर जागॆ.......................

साथ-साथ जागॆ  हम उन काली लम्बी रातॊं मॆं,
वक्त गुजर जाता था यूँ बस आपस की बातॊं मॆं,
पलक खुली जब-जब मॆरी इनकॊ मुस्काता पाया,
पकड़ यशॊदा छैया सा मैनॆं भर गॊदी मॆं दुलराया,
तब करुणा का कृन्दन भी बन जाता था संगीत !!४!!
रात-रात भर मिलकर जागॆ...........................
          
          कवि-राजबुँदॆली,,,,,,,,,,,,,,
माँ,,,,,,,,,,,,,,
_______________
कौन कहता है माँ कॆ कलॆजॆ मॆं पीर नहीं हॊती,
वॊ तॊ किलकारियाँ सुनकर गंभीर नहीं हॊती !!

...एक डॊर मॆं बाँध लॆती है माँ समूचॆ संसार कॊ,
ममता सॆ मज़बूत कॊई भी जंज़ीर नहीं हॊती !!

कितनी मीठी लगती है उसकॆ हाँथ की रॊटी,
जिसकॆ मुकाबिल दुनियाँ की खीर नहीं हॊती !!

पल भर मॆं मिल जातीं हैं खुशियाँ जमानॆ की,
माँ कॆ आँचल सॆ बड़ी कॊई जागीर नहीं हॊती !!

न जानॆं क्यूँ लॊग खातॆ हैं नींद की गॊलियाँ,
लॊरियॊं सॆ ज्यादा इनमॆं तासीर नहीं हॊती !!

ढाल बन जातीं हैं यही अपनॆं लाल कॆ लियॆ,
दुवाऒं पॆ कारगर कॊई शमशीर नहीं हॊती !!

गीलॆ चीथड़ॊं मॆं गुजार लॆती है जाड़ॆ की रात,
सूखॆ मॆं सुलाकर लाल कॊ अधीर नहीं हॊती !!

तूफ़ानॊं सॆ हँस कॆ टकराता है "राजबुँदॆली",
दिल मॆं माँ कॆ शिवाय कॊई तस्वीर नहीं हॊती !!

कवि-राजबुँदॆली
kavi raajaa jee lakh lakh badhaaeeyaan |
माह फरवरी-२०११ / प्रकाशित 05.03.11 से 05.04.11

रचनाकार :- श्रीमती रश्मि प्रभा

गृह स्थान :- पटना
वर्तमान स्थान :- पुणे
शीर्षक :- " भूले से भी नहीं "

तुम मुझसे ज़िन्दगी के,

गीत सुनना चाहते हो,

चाहते हो मैं सबकुछ भूलकर,
सहज हो जाऊँ
हंसाऊं, एक गुनगुनाती शाम ले आऊं,
तुम्हें पता है
ज़िन्दगी मेरे पास है
गुनगुनाती लहरें हैं
हँसी की जादुई छड़ी है
सफ़ेद उड़नेवाले बादल हैं
इन्द्रधनुषी खिली धूप है
तुम्हें पता है-
मैं गीतों की पिटारी हूँ ....
पर तुम हमेशा मुझसे,
क्यूँ गीत सुनना चाहते हो
गीत तो ईश्वर ने तुम्हें भी दिए थे
वही लहरें
वही छड़ी
वही बादल
वही खिली धूप

शेष पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे.........

मुझे एक अंतर्विरोध दिखा: आप ओबीओ में प्रकाशित एक रचना का चयन करेंगे तो वह सर्वश्रेष्ठ रचना (बेस्ट पोस्ट) होगी सर्वश्रेष्ठ चिट्ठा (ब्लॉग) नहीं.
सर्व श्रेष्ठ चिट्ठा चुनने के लिए आपको ओबीओ के सभी सदस्यों के चित्तों का आकलन कर उनमें से चुनना होगा.
कृपया, शंका का निवारण अपेक्षित है.

आचार्य जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन के Blog Post कालम में आये पोस्ट को हम लोग ब्लॉग से संबोधित करते है और एक माह में आने वाले सभी ब्लॉग पोस्ट में से जो निर्णायक मंडली बेस्ट ब्लॉग को चुनती है उसे सम्मानित किया जाता है | 

शेष, आपका सुझाव और मार्गदर्शन की आवश्यकता सदैव है |  

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
Thursday
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
May 31
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
May 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service