For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - २४ (Now Closed)

परम आत्मीय स्वजन, 

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा के चौबीसवें अंक मे आपका स्वागत है | पिछले दो मुशायरे हमने एक ही बह्र पर आयोजित किये, जिसका उद्देश्य बह्र को समझना और उस पर अभ्यास करना था | यह बहुत प्रसन्नता की बात है कि हमें दोनों मुशायरों मे बहुत ही ख़ूबसूरत गज़लें मिलीं जो ओ बी ओ की धरोहर हैं | इस बार हम एक दूसरी बह्र पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करेंगे | यह बह्र भी मुशायरों की सरताज बह्र है जिसे तमाम शायर बड़ी खूबी के साथ प्रस्तुत करते हैं | इस बह्र की खासियत है कि यहाँ पर मात्राओं के साथ साथ गेयता ही प्रमुख है | इस बह्र मे दो अकेली मात्राओं(११)को  भी जोड़कर २(गुरु) पढ़ा जा सकता है साथ ही साथ अगर गेयता मे कोई समस्या नहीं है तो कुल मात्राएँ जोड़कर भी पढ़ी जा सकती है, जैसे कि ३० मात्राएँ | इस बार का मिसरा मेरे महबूब शायर कतील शिफाई की गज़ल से लिया गया है | पकिस्तान मे जन्मे कतील शिफाई की कई ग़ज़लों को हिन्दुस्तान मे जगजीत सिंह और पकिस्तान मे गुलाम अली जैसे गायकों ने अपनी आवाज़ से नवाजा है| मिसरा -ए- तरह है :

"पूछे कौन समन्दर से तुझमें कितनी गहराई है"

२२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ २

फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन फा

बह्र: बहरे मुतदारिक की मुजाहिफ सूरत

रदीफ: है 

काफिया: आई (गहराई, रुसवाई, दानाई, लगाई, हरजाई, बीनाई, अंगड़ाई आदि)


विनम्र निवेदन: कृपया दिए गए रदीफ और काफिये पर ही अपनी गज़ल भेजें, तरही मिसरे को मतला के साथ गिरह  न लगाये । अच्छा हो यदि आप बहर में ग़ज़ल कहने का प्रयास करे, यदि नए लोगों को रदीफ काफिये समझने में दिक्कत हो रही हो तो आदरणीय तिलक राज कपूर जी की कक्षा में यहाँ पर क्लिक
 
 कर प्रवेश ले लें और पुराने पाठों को ठीक से पढ़ लें |


मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 28 जून 2012 दिन गुरूवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक ३० जून   2012 दिन शनिवार के समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा |


अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक २४ जो पूर्व की भाति तीन दिनों तक चलेगाजिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन स्तरीय गज़लें ही प्रस्तुत की जा सकेंगीं | साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |


मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है 

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

( फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो २८ जून २०१२ दिन गुरूवार लगते ही खोल दिया जायेगा )

यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |


मंच संचालक 

राणा प्रताप सिंह 

(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन 

Views: 16280

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

देवदत्त -सिद्धार्थ जहां भी आपस में टकराएँ हैं,
वो सच्चा हकदार बना है,जिसने जान बचाई है........मगर इस शेर पर तो आपने हमारी जान ही ले ली

aap tak bat pahunchi

yahi mere prayas ki sarthakta hai

Arun bhai

aabhari hun.....

//

बेटा बसा विदेशों में है बेटी हरदम पास खड़ी,
फिर भी कहते हो बेटी को,ये तो जान पराई है.
--
बदली हुई फिजा है सारी,पत्ता-पत्ता डोल रहा,
किस भौंरे का हुआ आगमन ,कली-कली मुस्काई है.
--
कोई साथ नहीं देता है,मसलों को सुलझाने  में,
अपने ही बूते पर हमने,हर उलझन सुलझाई है.//
वाह आदरणीय अविनाश जी वाह .....हालाते-हाजरा पर क्या गज़ब के अशआर कहे हैं आपने ....शेष सभी ने कह दिया ही है ...बहुत बहुत मुबारक हो मेरे भाई ....सादर

एक छोटा सा प्रयास मेरा भी –

भूखे बच्चे क्या जानें कितनी सस्ती महंगाई है
माँ ने कीमत दो रोटी की कितनी रात चुकाई है

आज गरीबी का सच्चापन दोषी माना जाएगा
आज हवेली वालों ने फिर पंचायत बुलवाई है

लोग उसे पागल कहतें हैं लेकिन सच्चा है दिल का
अक्सर उसने ही मुझको अच्छी बातें सिखलाई है

सोच रहा हूँ जीवन में जब रातें होंगी क्या होगा
वो अक्सर बोला करती है वो मेरी परछाई है

गम आँसू आहें बेचैनी कुछ भी तो अब पास नहीं
बिन गहनों के भी कितनी अच्छी लगती तन्हाई है

डरते हैं सब देखें है अंजाम नदी के  सब ने  ही
पूछे कौन समन्दर से तुझमें कितनी गहराई है

................................................... अरुन श्री !

 

(त्रुटि हो तो कृपया बताएँ )

माँ  ने कीमत  दो रोटी  की  कितनी रात चुकाई है...vicharo ko salam....hriday-sparshi...

आज  गरीबी  का सच्चापन  दोषी  माना  जाएगा

आज  हवेली  वालों ने फिर  पंचायत  बुलवाई  है...bahut hi umda.

 

डर जाता है  जिसने  भी अंजाम  नदी  का  देखा है

पूछे  कौन समन्दर से  तुझमें  कितनी  गहराई है...wah.

गम आँसू आहें बेचैनी  कुछ भी तो अब पास नहीं

बिन गहनों के भी कितनी अच्छी लगती तन्हाई है....very nice अरुन श्री 

छोटा सा प्रयास 

bada  achchha hai......

धन्यवाद अविनाश सर , आपने सराहा !

छोटा सा प्रयास आपको बड़ा अच्छा लगा तो सार्थक हुआ ! :-)) :-))

सोच  रहा हूँ  जीवन में जब  रातें  होंगी क्या होगा

वो  अक्सर  बोला  करती है  वो  मेरी  परछाई  है

 

गम आँसू आहें बेचैनी  कुछ भी तो अब पास नहीं

बिन गहनों के भी कितनी अच्छी लगती तन्हाई है

 बहुत अच्छी ग़ज़ल लगी है और ये शेर तो कमाल के हैं अरुण जी 

धन्यवाद राजेश कुमारी मैम ! दृष्टि बनाए रखिए !

//भूखे बच्चे क्या जानें कितनी सस्ती महंगाई है
माँ ने कीमत दो रोटी की कितनी रात चुकाई है // ओये होए होए होए !!! गज़ब गज़ब गज़ब !!! क्या कमाल का ख्याल मतले में ढाला है - वाह !!

//आज गरीबी का सच्चापन दोषी माना जाएगा
आज हवेली वालों ने फिर पंचायत बुलवाई है // बहुत गहरी बात कह गए अरुण भाई, भई आफरीन.  

//लोग उसे पागल कहतें हैं लेकिन सच्चा है दिल का
अक्सर उसने ही मुझको अच्छी बातें सिखलाई है // वाह, बहुत खूब

//सोच रहा हूँ जीवन में जब रातें होंगी क्या होगा
वो अक्सर बोला करती है वो मेरी परछाई है // क्या कहने हैं, क्या कहने हैं.

//गम आँसू आहें बेचैनी कुछ भी तो अब पास नहीं
बिन गहनों के भी कितनी अच्छी लगती तन्हाई है // गम, आँसू, आहों और बेचैनी की तुलना गहनों से ? जवाब नहीं अरुण भाई. हासिल-ए-ग़ज़ल शेअर है यह तो.

//डर जाता है जिसने भी अंजाम नदी का देखा है
पूछे कौन समन्दर से तुझमें कितनी गहराई है // गिरह भी खूब कस के लगाई है. मिसरा-ए-ऊला के आखिर में "है" के प्रयोग पर पुन: विचार कर लें. बहरहाल इस बेहद खूबसूरत कलाम के लिए मेरी दिली मुबारकबाद कबूल करें. 

आदरणीय योगराज सर आपकी सराहना पाकर सम्मानित महसूस कर रहा हूँ !

आखिरी शे'र पर मेरा ध्यान नही गया था इसे कृपया इस तरह ठीक कर दें -

डरते हैं सब देखें है अंजाम नदी के  सब ने  ही
पूछे कौन समन्दर से तुझमें कितनी गहराई है

बहुत बहुत धन्यवाद !

वांछित सुधार कर दिया गया है अरुण भाई.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
yesterday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service