For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" - अंक 32 (Now Closed with 777 Replies)

परम आत्मीय स्वजन,

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 32 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का तरही मिसरा जनाब ज़िगर मुरादाबादी की गज़ल से लिया गया है | 

"अब यहाँ आराम ही आराम है "

    2122      2122      212 

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन 

(बह्र: रमल मुसम्मन महजूफ)
 
रदीफ़ :- है 
काफिया :- +आम (आराम, ईनाम, अंजाम, जाम, शाम, नाम, बेकाम आदि)

अवधि :-    26 फरवरी दिन मंगलवार से दिनांक 28 फरवरी दिन गुरूवार  

अति आवश्यक सूचना :-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के इस अंक से प्रति सदस्य अधिकतम दो गज़लें ही प्रस्तुत की जा सकेंगीं |
  • एक दिन में केवल एक ही ग़ज़ल प्रस्तुत करें
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिएँ.
  • तरही मिसरा मतले में इस्तेमाल न करें
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी रचनाएँ लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.  
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें.
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये  जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी. . 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 26 फरवरी दिन मंगलवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें | 



मंच संचालक 
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य, प्रबंधन समूह) 
ओपन बुक्स ऑनलाइन

Views: 13113

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

कुछ शेअर बस हो जाते हैं ये भी उनमें से एक है


जनाब आपका तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ

हद तो ये है, कोई हैरां तक नहीं, 
गम की बोली पर खुशी नीलाम है |

बहुत खूब 

बधाई 

सादर 

शुक्रिया आदरणीय

वाह वाह वीनस जी क्या खूब ग़ज़ल कही है !! हार्दिक बधाई - एक एक शेर नगीने सी चमक लिए हुए भावों की अपनी आभा  बिखेर रहा है -

खुदकुशी से मस्अले हल हो गए, 

लिख गया वो, ज़िंदगी नाकाम है |


क्या गहरा सन्देश है ..और इस शेर को पढ़कर लगा अपनी बात को आवाज़ मिल गयी - 

हक के खातिर बोलना आसां था पर,   

बागियों  में अब हमारा नाम है |

ये दो शेर भी बहुत खूबसूरत लगे हैं वाह हार्दिक बधाई आपको बहुत आगे तक जायेंगे आप और आपके शेर भी ... आमीन !!

सारे मुद्दों को हटा कर देखिये, 
खूबसूरत आज भी आसाम है | 

पहुंचे जन्नत और वाइज़ कह पड़े, 
अब यहाँ आराम ही आराम है |

मज़ा आगया आखिरी शेर पढ़कर वाह :-)

शुक्रिया जी शुक्रिया

आदरणीय वीनस सर जी सादर प्रणाम
क्या ही खूबसूरत सी ग़ज़ल कही है
एक एक शेर तराशा हुआ है नगीने के माफिक
वाह वाह वाह
हर शेर के लिए दाद पे दाद क़ुबूल फरमाइए मेरी ओर से साहब
जिंदाबाद

आपका ""जिंदाबाद"" पढ़ कर मुस्कुरा रहा हूँ  :) :)

भाई इस पर तो मेरा कापी राईट है .... हा हा हा

खुदकुशी से मस्अले हल हो गए, 
लिख गया वो, ज़िंदगी नाकाम है |...क्या बात है..

हद तो ये है, कोई हैरां तक नहीं, 
गम की बोली पर खुशी नीलाम है |.......बहुत खूब...

हक के खातिर बोलना आसां था पर,   
बागियों  में अब हमारा नाम है |.......हमेशा से..वाह ...

सारे के सारे तराशे हुये हैं ..एक बार फ़िर से वाह,,

विशुद्ध पाठक की "वाह" बहुत माइने रखती है
शुक्रिया

आदरणीय वीनस जी,

खुदकुशी से मस्अले हल हो गए, 
लिख गया वो, ज़िंदगी नाकाम है |

हद तो ये है, कोई हैरां तक नहीं, 
गम की बोली पर खुशी नीलाम है |

प्यास का दरिया से इक रिश्ता है जो, 
खूबसूरत है मगर बेनाम है |

ये तीन शेर ख़ास तौर पर बहुत पसंद आये 

इस खूबसूरत ग़ज़ल पर शेर दर शेर हार्दिक दाद पेश है.

आदरणीया
जो तीन शेर आपको पसंद आए अब मेरे लिए भी खास हो गये ....

खुदकुशी से मस्अले हल हो गए, 
लिख गया वो, ज़िंदगी नाकाम है | .......... कमाल ! कमाल ! मुझे ऐसे अश'आर बहुत पसंद आते हैं ! जो पढ़ने के बाद आगे नही बढ़ने देते ! वाह !

हद तो ये है, कोई हैरां तक नहीं,
गम की बोली पर खुशी नीलाम है | ........ फिर से वही बात कहना चाहूँगा ! वाह !

हक के खातिर बोलना आसां था पर,  
बागियों  में अब हमारा नाम है | ............. अब कुछ दूसरे की दोहराता हूँ // लो , एक और बागी // :-)))))


प्यास का दरिया से इक रिश्ता है जो,
खूबसूरत है मगर बेनाम है .............. वाह ! //प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो //
 

सारे मुद्दों को हटा कर देखिये,
खूबसूरत आज भी आसाम है ........... बहुत उम्दा कहा ! और सच भी ! वाह !

पहुंचे जन्नत और वाइज़ कह पड़े,
अब यहाँ आराम ही आराम है .......... वाह ! ये भी खूब कही ! जय हो !

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा पाण्डे जी, सार छंद आधारित सुंदर और चित्रोक्त गीत हेतु हार्दिक बधाई। आयोजन में आपकी…"
17 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी,छन्नपकैया छंद वस्तुतः सार छंद का ही एक स्वरूप है और इसमे चित्रोक्त…"
23 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी, मेरी सारछंद प्रस्तुति आपको सार्थक, उद्देश्यपरक लगी, हृदय से आपका…"
33 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा पाण्डे जी, आपको मेरी प्रस्तुति पसन्द आई, आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।"
39 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय "
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी उत्साहवर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार। "
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप उत्तम छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय प्रतिभा पांडे जी, निज जीवन की घटना जोड़ अति सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी, सार छंद में छन्न पकैया का प्रयोग बहुत पहले अति लोकप्रिय था और सार छंद की…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service