आदरणीय साथियो
ओपनबुक्स ऑनलाइन के मंच से श्री नवीन चतुर्वेदी जी द्वारा "OBO लाइव महा इवेंट" अंक २ का आयोजन दिनांक 1 दिसंबर से ५ दिसंबर तक आयोजित किया गया था ! इस बार जो विषय दिया गया था वह था "प्रेम" !
पांच दिन तक चले इस महापर्व की सफलता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रेम की संकरी सी गली से निकली एक नन्ही सी धारा अपनी मंजिल तक पहुँचते पहुँचते कुल मिलकर ३४ रचनाधर्मियों की १३१ खूबसूरत रचनायों की धारायों को अपने साथ ले एक महासागर का रूप अख्त्यार कर गई !
हालाकि इस बार भी कविता बाकी विधायों पर भार्री रही लेकिन इस आयोजन में साहित्य की और बहुत सी विधायों और विषयों पर भी कलम आजमाई की गई ! गीत, ग़ज़ल, हाइकू, दोहे, छंदमुक्त कविता के इलावा इस बार पारम्परिक भारतीय विधायों छंद, सवैया तथा आल्हा भी प्रस्तुत किए गए ! श्री सुशील कुमार जोशी द्वारा प्रस्तुत क़व्वाली ने इस आयोजन को सचमुच एक इन्द्रधनुषीय छटा प्रदान कर दे ! कुछेक लघुकथाएं एवं आलेख भी मित्रों द्वारा पेश किए गए ! जहाँ तक विषय की बात है तो प्रेम से सम्बंधित शायद ही कोई ऐसा पहलू हो जिस पर स्तरीय रचना न कही गई हो ! इसी बात के मद्दे-नज़र इस नाचीज़ ने ज्योतिष शास्त्र और बॉलीवुड के हवाले से २ छोटे छोटे आलेख भी प्रस्तुत किए !
ज्यादा से ज्यादा साहित्यकारों को अपने साथ जोड़ना तथा उदीयमान लेखकों को एक मंच प्रदान करना ओबीओ के मुख उद्देश्यों में से एक है ! इस आयोजन में बहुत से बहुत से लोगों से पहली बार हिस्सा लिया, उनकी उच्च स्तरीय साहित्यक सोच को देखकर मैं बहुत गौरान्वित महसूस कर रहा हूँ ! इन में सुश्री हरकीरत हीर जी, संध्या चतुर्वेदी जी तथा अनीता मौर्य जी, सर्वश्री भास्कर अग्रवाल जी, गोपाल बघेल "मधु" जी, आकर्षण कुमार गिरी जी, शेखर चतुर्वेदी जी, विभूति कुमार जी, मयंक अवस्थी जी एवं अरविन्द चतुर्वेदी जी को पढ़ना बहुत ही पुरसुकून रहा ! आप सब की शिरकत ने दरअसल इस आयोजन को वास्तव में चार चंद लगा दिए ! हालाकि कई हस्तियों की अनुपस्थिति अंत तक सभी को खलती भी रही !
सब से खुशी की बात ये रही कि तकरीबन सभी रचनाधर्मी केवल अपनी रचनायों को प्रस्तुत करने तक ही सीमित नहीं रहे बल्कि उन्होंने बाक़ी फनकारों की हौसला अफजाई और मार्ग-दर्शन में भी कोई कसर नहीं रखी जिसका प्रमाण १३१ रचनायों पर आईं १३९३ टिप्पणियाँ (यानि १ रचना पर औसतन १० से ज्यादा टिप्पणियाँ) है !
मैं इस आयोजन में शामिल सभी सम्माननीय रचनाधर्मियों का तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ ! और आशा करता हूँ कि भविष्य में आयोजित होने वाली सभी निशिश्तों में भी वे इसी जोशो-खरोश के साथ भाग लेंगे ! भाई शेषधर तिवारी जी की रचना से इस महायज्ञ का शुभारम्भ होना एवं उनके द्वारा ही अंतिल पूर्णाहूति का आना बहुत ही मनभावन अनुभव रहा ! भाई शेषधर तिवारी जी और भाई राकेश गुप्ता जी जिस निरंतरता और तन्मयता के साथ शुरू से लेकर आखिर तक सक्रिय रहे वह वाकई दर्शनीय रहा ! जिस तरह आचार्य संजीव "सलिल" जी पहले महा इवेंट के महानायक रहे थे, मुझे बताते हुए बहुत हर्ष हो रहा है कि इस बार यह सम्मान संयुक्त रूप में भाई राकेश गुप्ता जी तथा भाई शेषधर तिवारी जी के हिस्से में आया है !
यूँ तो इस महा इवेंट में बहुत से विलक्षण प्रयास देखने को मिले जिनका ज़िक्र मैं ऊपर कर चुका हूँ, लेकिन इस बार एक प्रयोग ऐसा भी किया गया जो कि एक मिसाल की तरह याद रखा जाएगा ! हमारे दो वरिष्ठ शायर, श्री नवीन चतुर्वेदी जी एवं राणा प्रताप सिंह जी ने एक जोड़ी बना कर पारंपरिक काव्य विधा "आल्हा" पर बहुत ही कमल कि कलम आजमाई की जिसे बहुत सराहा गया ! मेरी नज़र में इस प्रकार दो रचनाकारों का एक साथ टीम बना कर चलना यह भी ओबीओ की उपलब्धियों में से एक है ! आज के दौर में जहाँ जुदा होने का चलन ज्यादा है, वहां पर इस प्रकार की जोड़ी का बनना बहुत ही सुखकर अनुभव रहा ! मुझे विश्वास है कि आगे चलकर यह जोड़ी ओबीओ की "सलीम-जावेद" की जोड़ी की तरह सफलता के नए आयामों को छूने में सफल रहेगी !
इस महा-इवेंट के आयोजक श्री नवीन चतुर्वेदी जी को भी मैं विशेष तौर पर बधाई देता हूँ जिन्होंने बड़े जी-जान से इस महापर्व को संचालित किया ! ५ दिल में १५२४ कमेंट्स के साथ नवीन भाई के इस दूसरे महा-इवेंट ने पहले इवेंट के रिकॉर्ड को जिस तरह तोडा है, उस से मैं फूला नहीं समा रहा हूँ ! महा इवेंट के रूप में जो सपना हम लोगों के मिलकर देखा था उसकी ताबीर होता देख मन में जो उमंग की एक लहर है, उसे शब्दों में ब्यान कर पाना शायद मेरे लिए संभव नहीं ! हलाकि कुछ घरेलू व्यस्ततायों के चलते अंतिम दो दिन इस महापर्व से अनुपस्थित रहने और बहुत सी सुन्दर रचनायों पर टिप्पणी न दे पाने का मुझे बेहद अफ़सोस भी है !
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)