For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साथियो, 

 

ओबीओ लाइव महा-उत्सव  अंक 10 का आयोजन दिनांक 07 जुलाई से 09 जुलाई 2011 तक श्री धर्मेन्द्र शर्मा जी के संचालनाधीन आयोजित किया गया ! जैसा कि सब जानते हैं कि इस आयोजन में एक विषय देकर रचनाकारों को उस पर कलम-आजमाई करने का अनुरोध किया जाता है ! लेकिन इस बार हम लोग कुछ अलग करने की सोच रहे थे अत: इस बार रचनाधर्मियों को "रक्षा बंधन" का विषय देकर उन्हें केवल छंदाधारित रचनायें प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था ! दरअसल, इस बार लगभग अपने वीटो पॉवर का उपयोग कर मैंने केवल छंदबद्ध काव्य रचनाओं को ही सम्मिलित करने के लिए ओबीओ प्रबंधन टीम को राज़ी किया था ! सहमति होने के बावजूद मेरे अन्दर कहीं न कहीं एक डर ज़रूर था ! क्योंकि छंदों पर आधारित रचना कहने वालों की संख्या ओबीओ पर थोड़ी सीमित ही है ! क्योंकि विभिन्न भारतीय भाषाओं और साहित्यिक विधाओं में लिखने वालों को प्रोत्साहित करना हमारा लक्ष्य रहा है, अत: इस बार हमने केवल भारतीय शास्त्रीय काव्य छंदों पर आधारित काव्य-कृतियों को ही इस आयोजन में शामिल करने का निर्णय लिया !

आयोजन के प्रारंभ होने के कुछ समय बाद ही मेरे अन्दर का डर जाता रहा जब पहले ही दिन रचनाधर्मियों ने बढ़-चढ़ कर अपने छंद प्रस्तुत करने शुरू किए ! आयोजन का शुभारम्भ श्री गणेश बागी जी की एक बहुत ही सुन्दर घनाक्षरी छंद से हुआ, जिसका आनंद सभी कविता प्रेमियों ने लिया तथा इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा भी हुई ! उसके बाद आया इस आयोजन का "सरप्राईज़ पैकेज" - इस बार ओबीओ के एक पुराने सदस्य श्री रवि कुमार गुरु जी एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं पूरे सात घनाक्षरी छंद लेकर मंच पर नमूदार हुए ! सातों के सातों छंद एक दम सधे हुए, भाषा प्रौढ़, भाव स्तुत्य, शिल्प की दृष्टि से लगभग निर्दोष, और अलग अलग रंगों में रंगे हुए ! जिनमे राखी के बारे में परम्परागत बातें, रक्षा बंधन का महत्व, भाई-बहन का प्यार, भाई-बहन की नोंकझोंक, ऐतिहासिक और पौराणिक बातों का सुन्दर मिश्रण देखने को मिला ! श्री रवि कुमार गुरु जी का उच्च स्तरीय छंद कहना अगर इस आयोजन की उपलब्धि मानी जाए तो कोई अतिश्योक्ति न होगी !       

दोहा, कुण्डलिया, चौपाई, सोरठा, घनाक्षरी, बरवै, छप्पय, सवय्या, गीतिका, हरिगीतिका सहित लगभग हर शास्त्रीय छंद पर रचनाएँ प्रस्तुत की गईं ! जहाँ भाई धर्मेन्द्र शर्मा जी एवं आशीष यादव ने पहली बार दोहा कहने का प्रयास किया वहीं आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ने भी पहली बार लेकिन सफलतापूर्वक सवय्या छंद पर कलम-आजमाई की जोकि हम सब के लिए हर्ष का विषय है !

आयोजन के आगे बढ़ने के साथ-साथ डॉ संजय दानी जी, श्री अतेन्द्र कुमार सिंह रवि जी, श्री आशीष यादव जी, श्री अरुण कुमार पाण्डेय अभिनव जी, खाकसार योगराज प्रभाकर, श्री बृज भूषण चौबे जी, श्री सतीश मापतपुरी जी,  श्रीमती शन्नो अग्रवाल जी, मोहतरमा मुमताज़ नाजा जी, श्री नवीन चतुर्वेदी जी, डॉ बृजेश त्रिपाठी जी, श्री संजय मिश्र हबीब जी भी अपनी-अपनी छंद आधारित रचनाओं के साथ हाज़िर हुए, जिनकी रचनाओं का पाठक वर्ग ने पूरा-पूरा आनंद लिया ! यही नहीं, हमारे वरिष्ठ सदस्यों आदरणीय अम्बरीष श्रीवास्तव जी, गणेश बागी जी एवं सौरभ पाण्डेय जी ने लेखकों को अपने बहुमूल्य सुझावों से भी नवाज़ा ! सही मायनो में पूरा आयोजन आपके मज़बूत कन्धों पर चल कर ही अपनी मंजिल-ए-मक़सूद तक पहुंचा जिसके लिए आप सभी को मेरा नमन !

इस आयोजन में हमें आदरणीय आलोक सीतापुरी जी और आचार्य संजीव सलिल जी के उत्कृष्ट छंद-काव्य पढने का भी अवसर मिला ! आपकी रचनाओं ने इस आयोजन को एक विलक्षण ऊँचाई प्रदान की ! इस आयोजन की एक और विशेष बात रही श्री प्रमोद बाजपेई द्वारा लुप्तप्राय या बहुत ही कम प्रचलित छंद "बरवै" पर आधारित रचनाएँ - ऐसे पुरातन शास्त्रोक्त छंद पर आधारित रचना का इस आयोजन में सम्मिलित होना हम सब के लिए हर्ष एवं गर्व का विषय है !

अंत में मैं ज़िक्र करना चाहूँगा उन दो महानुभावों का जिन्होंने इस आयोजन पर अपनी एक गहरी छाप छोड़ी है - श्री अम्बरीश श्रीवास्तव जी एवं आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ! आयोजन की कोई भी रचना ऐसी नहीं रही जिनका आप दोनों ने सारगर्भित विश्लेषण न किया हो ! कुंडली के जवाब में कुंडली, दोहे के जवाब में दोहा, चौपाई के जवाब में चौपाई तथा घनाक्षरी के जवाब में घनाक्षरी - आप दोनों ने पूरे आयोजन के दौरान वो समा बाँधा जो देखते ही बनता था ! आपने कोरी वाह-वाही से ऊपर उठ ओबीओ की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अपने बहुमूल्य सुझावों से भी नवोदित लेखकों का जिस तरह मार्गदर्शन किया है, वह वन्दनीय है ! श्री अम्बरीष श्रीवास्तव जी और आदरणीय सौरभ पांडे जी ने भी अलग-अलग छंदों में अपनी शाहकार रचनाएँ प्रस्तुत कर आयोजन को सदा गतिमान रखा ! आपकी रचनाएँ भाव, भाषा, शैली और शिल्प की दृष्टि से इतनी परिपक्व थीं कि सभी ने न केवल उनका पूरा आनंद लिया बल्कि दिल खोल कर उनकी तारीफ भी की !

इस सफल आयोजन की सफलता में मंच संचालक श्री धर्मेन्द्र शर्मा जी के अभूतपूर्व योगदान का उल्लेख न करना भी ग़लत होगा ! आप एक मल्टी नेशनल कम्पनी के कंट्री जनरल मेनेजर के पद पर आसीन हैं, आपके ऊपर काम का कितना रहता हैं,  मैंने स्वयं देखा है ! लेकिन समयाभाव के बावजूद जिस तरह से आपने अपने दायित्व का निर्वाह किया है, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है ! पूरे तीन दिन आपने जिस तरह रचनाकारों का उत्साह बढ़ा कर आयोजन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया - उसके लिए मैं आपको ह्रदय से साधुवाद देता हूँ ! अंत में मैं उन सब महानुभावों का जिन्होंने इस आयोजन में रचनाएँ प्रस्तुत कीं, जिन्होंने अपनी बहुमूल्य टिप्पणियाँ दीं एवं समस्त पाठकगण जो हम से जुड़े हैं - ह्रदय से धन्यवाद करता हूँ ! अंत में ओबीओ के संस्थापक श्री गणेश बागी एवं प्रीतम तिवारी जी को भी इस सफल आयोजन पर बधाई देता हूँ ! जय ओबीओ ! सादर !

योगराज प्रभाकर
(प्रधान सम्पादक)

Views: 2708

Reply to This

Replies to This Discussion

आदरणीय योगराजभाईसाहब, कहते हैं न सराहूँ सीताराम को, कि, सराहूँ  सियाराम को..

होली के अवसर पर के तरही मुशायरे में अपनी ग़ैर हाज़िरी को मैं आजतक कोसता हूँ. वैसे साहित्यिक-ठठेरों के बीच स्वयं को देखना-पाना अपने आपकी ही दुरुस्तगी है. इस खाकसार को अग़र किसी काबिल समझा गया तो समझिये यह निराला माहौल (सत्संग) सफल हुआ है, जो आपसबों के अदम्य विश्वास और आपसबों की सकारात्मक ऊर्जा का प्रतिफल है.

भाईसाहब, मैं बरेली में कुछ माह रहा हूँ, पर वहाँ के भाइयों की तरह सुरमें की आदत नहीं अपना पाया. वर्ना, अपनी आँखों की कोर से एक रेख निकाल कर दिठौना लगा देता इस ओबीओ के भाल पर. ..  चश्मेबद्दूर..


आभार..

 

 

छन्दोत्सव सफल हुआ,

लेवत बिदाइ.

अत्यधिक रसमय रहा,

देवत बधाइ.

 

धरम, योग, सौरभ, गुरु,

बागी भाइ

अम्बरीश दिखाय पथ

गुरु की नाइ

 

शुभ इच्छा रखते सभी, 

साजे मंच

फिर हों शीघ्र एकत्र

सारे पंच.

*******

सादर...

 

आपकी इस काव्यांजली के लिए दिल से धन्यवाद संजय भाई  !

आदरणीय प्रधान संपादक योगराज जी, 

ओ.बी.ओ. के साहित्यिक प्रोगामों की सफलता के लिये आपको व इसके संस्थापकों और संचालक जी को नमन. आप सबकी लगन व श्रम की जितनी भी तारीफ़ की जाए वो कम है. सबको बधाई ! जय हो !

जय हो !

 

"आदरणीया" शन्नो जी - आपकी शुभाशीषों के लिए दिल से शुक्रिया ! मगर आयोजन के दौरान २ दिन लगातार आपकी अनुपस्थिति बहुत खलती रही ! 

योगराज जी, मुझे भी बहुत अफ़सोस रहा है कि मैं कुछ पारिवारिक व्यस्तताबश व कुछ अपनी अस्वस्थताबश इस बार के आयोजन में अधिक सक्रिय ना हो सकी. इस बीच eye check up के लिये भी जाना पड़ा था. कुछ महीनों से अधिक देर तक स्क्रीन पर लगातार देखने से आँखों को बहुत तकलीफ होने लगी थी. इसलिये नेट पर अधिक देर नहीं रहती हूँ. मैं फेसबुक की अपनी प्रोफाइल पर भी मैं इन दिनों एक्टिव नहीं हूँ. इस सब के लिये मैं आप सभी से क्षमा प्रार्थी हूँ.

और मैं भी सौरभ जी, इमरान व अन्य सदस्यों से सहमत हूँ कि हर आयोजन को इतनी ख़ूबसूरती से पेश करना, इतनी इम्प्रेस्सिव रपट लिखना व आयोजन के अंत में छंद व गजलों का संयोजन करके सबके सम्मुख फिर प्रस्तुत करना...ये सब आप इतनी आसानी और क्षमता से करते हैं कि मैं भी अचंभित रह जाती हूँ...ये काम हर किसी के बश का भी नहीं. आपको इन सब बातों के लिये बहुत बधाई व रक्षाबंधन की पुनः शुभकामनायें. 

प्रधान सम्पादकजी, सारगर्भित निचोड़ के लिए कोटिश: बधाई.

ह्रदय से आपका आभार सतीश मापतपुरी जी ! 

आदरणीय प्रधान संपादक जी, सर्वप्रथम तो इस त्वरित रिपोर्ट के लिए आपको साधुवाद, आयोजन समाप्ति के तुरंत बाद मैं, सौरभ भईया और अम्बरीश भाई ओ बी ओ चैट पर थे, हम सभी इसी बात पर चर्चा कर रहे थे कि संपादक जी से अनुरोध कर सम्पादकीय रपट लिखवाई जाएगी, किन्तु हम सब के आश्चर्य की सीमा ना रही जब आयोजन समाप्ति के कुछ घंटों के बाद ही आप के द्वारा विस्तृत सम्पादकीय रपट प्रस्तुत कर दी गयी | आपके द्वारा प्रस्तुत रपट पूरे आयोजन का आखों देखा हाल होती है |

ओ बी ओ महा उत्सव अंक -१० (छंद विशेषांक) यक़ीनन सुपर-डुपर हिट रहा, हम लोगो ने बहुत ही इंजॉय किया, आचार्य श्री संजीव सलिल जी, श्री आलोक सीतापुरी जी, बड़े भाई श्री सौरभ पाण्डेय जी, भाई अम्बरीश जी, डॉ संजय दानी जी, श्री प्रमोद बाजपेई जी, श्री सतीश मापतपुरी जी, श्री रवि कुमार गुरु जी, श्री अतेन्द्र कुमार सिंह रवि जी, श्री आशीष यादव जी, श्री अरुण कुमार पाण्डेय अभिनव जी, श्री बृज भूषण चौबे जी, श्रीमती शन्नो अग्रवाल जी,  मोहतरमा मुमताज़ नाजा जी, श्री नवीन चतुर्वेदी जी, डॉ बृजेश त्रिपाठी जी, श्री संजय मिश्र हबीब जी एवं आयोजन से जुड़े सभी साथियों को दिल से धन्यवाद, आप सबके बगैर यह संभव नहीं था |

आदरणीय प्रधान संपादक श्री योगराज प्रभाकर आपको और मंच संचालक श्री धर्मेन्द्र शर्मा जी को भी हार्दिक धन्यवाद, आप सभी को आयोजन की अभूतपूर्व सफलता पर कोटिश: बधाई |

बागी भाई, इस बार मैं सरप्राईज़ देने के मूड में था ! आयोजन समाप्त होते ही नेट धोखा दे गया वर्ना यह रिपोर्ट तो रात १ बजे आ गई होती ! आपको रिपोर्ट पसंद आई यह जान कर संतोष हुआ !  

बड़ा ही बेहतरीन आयोजन, उच्चकोटि की रचनायें और बहुत ही खूबसूरत रपट. आयोजन मंडल, सभी रचनाकारों एवं 'मान्यवर संपादक जी' को मेरी शुभकामनायें. समयाभाव और छंद विधा के अल्पज्ञान के चलते इसमें भाग नहीं ले पाया बड़ी मुश्किल से अंत में एक कुंडलिया लिखा मगर हीन भावना के कारण पोस्ट ही नहीं कर पाया. आपके सानिध्य और ईशकृपा से इस तरह के अगले आयोजन में ज़रूर हाथ आजमाऊंगा. अंत में इस आयोजन के नवोदित आकर्षण 'रवि जी' को विशिष्ट बधाई .

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी।"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"नमस्कार। प्रदत्त विषय पर एक महत्वपूर्ण समसामयिक आम अनुभव को बढ़िया लघुकथा के माध्यम से साझा करने…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी आपने रचना के मूल भाव को खूब पकड़ा है। हार्दिक बधाई। फिर भी आदरणीय मनन जी से…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"घर-आंगन रमा की यादें एक बार फिर जाग गई। कल राहुल का टिफिन बनाकर उसे कॉलेज के लिए भेजते हुए रमा को…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदाब। रचना पटल पर आपकी उपस्थिति, अनुमोदन और सुझाव हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।…"
17 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय वामनकर जी।"
18 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय उस्मानी जी।"
18 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी,आपका आभार।"
18 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"  ऑनलाइन शॉपिंग ने खरीदारी के मापदंड ही बदल दिये हैं।जरूरत से बहुत अधिक संचय की होड़ लगी…"
19 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय मनन सिंह जी जितना मैं समझ पाई.रचना का मूल भाव है. देश के दो मुख्य दलों द्वारा बापू के नाम को…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"जुतयाई (लघुकथा): "..और भाई बहुत दिनों बाद दिखे यहां? क्या हालचाल है़ंं अब?""तू तो…"
21 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service