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दादा जी अब कब आयेंगे ( बाल गीत )कान्ता राॅय

दादाजी अब कब आयेंगे (बाल गीत)


सोन परी हम कथा सुनेंगे
दादाजी की छड़ी पकड़ कर
हम उनको लाढ दिखायेंगे
दादाजी अब कब आयेंगे

अंगूली थामें बडी अकड़ से
पार्क जायेंगे बडे़ मजे
संग हम उनके धीरे चलेंगे
गोल गोल घुम मजे करेंगे

दादाजी अब कब आयेंगे


सोनू के दादाजी आते
रोज सैर को लेकर जाते
चाॅकलेट चिक्की भी दिलाते
कब मुझको भी दिलवायेंगे

दादाजी अब कब आयेंगे


सायकिल मेरी मुझे सताये
बार बार वो मुझे गिराये
सायकिल मुझे सिखलायेंगें
सायकिल की सैर करयेंगे

दादाजी अब कब आयेंगे

बातों ही बातों में मुझको
दुनिया की सैर करायेंगें
कौन सही और कौन गलत है
प्यार से मुझे बुझायेंगे

दादाजी अब कब आयेंगे

पोता हूँ मै उनका सूद भर
उनके लिए पापा बित्ते भर
उचक गोद में दादाजी के
पेट पकड़ कर कब सोयेंगें

दादाजी अब कब आयेंगे

कह गये थे कल ही आऊँगा
चाॅकलेट ढेरों दिलवाऊँगा
वो चाॅकलेट कब लायेंगे
गोदी में बैठ खिलायेंगे
दादाजी अब कब आयेंगे


कान्ता राॅय
भोपाल
मौलिक और अप्रकाशित
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Replies to This Discussion

बहुत प्यारा मासूम सा बाल गीत आ० कांता जी बहुत- बहुत बधाई. 

हृदय तल से आभार आपको आदरणीया राजेश कुमारी जी रचना पर मेरी कोशिश को हौसले का बल देने के लिए ।

आदरणीया कान्ताजी, बाल-कविता के माध्यम से कविता लेखन पर बहुत ही आश्वस्तिकारक प्रयास हुआ है. हार्दिक बधाई. कविता लेखन भी अन्य विधाओं की तरह समय धैर्य विधाजन्य अध्ययन और उत्साह की अपेक्षा करता है. अत्यंत प्रसन्नता की बात है, कि अब आप कविता लेखन के प्रति उत्सुक हो रही हैं. आपका स्वागत है.
सादर

कविता गजल छंद मेरे मन को बहुत भाते हैै लिखना नहीं आता हैै लेकिन मन को तरावट सदा इन्हीं से मिलती है । आपके प्रोत्साहन भरे शब्द मुझे बेहद अच्छे लगे । नमन आपको मेरा हौसला वर्धन के लिए आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ।

कुबेर के ख़ज़ाने की चाभी है आपके हाथ अब. तो सिर्फ़ छेदहा एक-पैसहिया के फेर में क्या पड़े रहना ?  बहुत कुछ है इन पन्नों में ! अर्थात ओबीओ के पन्नों की बात कर रहा हूँ, आदरणीया कान्ताजी.
:-))

" छेदिया एक पैसहिया " ..... बहुत बडी़ बात कही है आपने सर जी । बिलकुल सही कहा आपने कि ओबीओ में साहित्य का सम्पूर्ण संसार है । साहित्य प्रेमियों के लिए यह किसी कुबेर के खजाने के समान ही है ॥ सादर नमन
प्यारे और मीठे बालगीत के लिए हार्दिक बधाई आद0 कान्ता जी ।
आदरणीया शशि बंसल जी हृदय तल से आभार आपको रचना पर मेरा हौसला बढाने के लिए ।

आदरणीया कांता जी  इस सुंदर बाल गीत के लिए मेरी बधाई स्वीकार करें सादर 

रचना पर हौसला वर्धन करने के लिए तहे दिल से आभार आपको आदरणीय डा. आशुतोष मिश्रा जी

आदरणीया कांता जी, बहुत सुन्दर बाल गीत लिखा है आपने.... इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

आपके कदम छंदों की बढ़ रहे है, देखकर एक सुखद अहसाह हो रहा है.... आप कविता में भी कमाल करेंगी...यकीनन...... हार्दिक शुभकामनाएँ 

पिछली बार इसी मंच पर ओबीओ लाइव महा उत्सव आयोजन में आप सभी सुधी जनों के द्वारा मुझे कई सुझाव मार्गदर्शन भरे मिले थे । आप सहित आदरणीय सौरभ सर जी ने भी कविता के गेयता के बारे में कुछ सुझाव दिये थे और उसी वक्त भारतीय छंद विधान कक्षा के आलेखों को पढने के सुझाव अत्यंत प्रभावशाली हुए मेरे लिये । आदरणीय गिरीराज भंडारी सर जी ने मात्राओं को गिनने के संबंध में भी बेहद सटीक मार्गदर्शन किये जिसको संज्ञान में लेकर जरा सी कोशिश मैने इस बाल कविता में की है । वैसे आज भी इस विधा से अनजान ही हूँ ।
आप सबके प्रोत्साहन मुझे आगे जरूर कुछ नई चीजों को जानने का अवसर प्रदान करेंगे । आभार ओबीओ परिवार का ।

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