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बाल साहित्य Discussions (213)

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pachpan me bachpan

पचपन मे बचपन----- पचपन मे बचपन का ख्याल आता है, मेरा दिल मचल मचल जाता है| चाहता है खेलना,आँख मिचोली, दौड़ने भागने को मन ललचाता है| खाते थे ख…

Started by dr a kirtivardhan

0 Jan 8, 2012

घुटनों के बल चल के आई है धूप

     बच्चों के लिए मेरी यह पहली कविता है यूँ समझिए की मेरा यह बच्चों के लिए उपहार है.              सूरज कि किरणों पे सोने का रूप | घुटनों…

Started by Mukesh Kumar Saxena

0 Jan 5, 2012

अग्नि की उड़ान

आज आपके पास अपनी प्रथम पुस्तक "मेरी उड़ान" से एक कविता भेज रहा हूँ | यह रचना हमारे देश के सबसे लोक प्रिय राष्ट्रपति माननीय अब्दुल कलाम साहब…

Started by dr a kirtivardhan

3 Jan 4, 2012
Reply by aashukavi neeraj awasthi

मेरी प्यारी दादी-माँ,

मेरी प्यारी दादी-माँ, सब से न्यारी दादी-माँ ।  बड़े प्यार से सुबह उठाए, मुझको मेरी दादी-माँ । नहला कर कपड़े पहनाए, खूब सजाए दादी-माँ । लेक…

Started by LOON KARAN CHHAJER

0 Nov 22, 2011

सियार का अनशन

प्यारे बच्चों, सुनो कहानी................ एक बार की बात है. किसी जंगल का राजा एक शेर था. उसकी हिंसा और आतंक से सभी जानवर परेशान थे. कुछ उस…

Started by Vikram Pratap

0 Nov 4, 2011

आओ बच्चो खेले खेल ,

आओ बच्चो खेले खेल , खेल खेल में होगा मेल , गुल्ली डंडा हुआ पूराना , बल्ला लेकर आगे आना , ईंट को ही विकेट बनावो , बौनड्री पे सबको लगावो , बॉ…

Started by Rash Bihari Ravi

0 Sep 24, 2011

चुहिया की शादी (बच्चों के लिये एक कविता)

चूँ-चूँ करती चुहिया आई शादी का न्यौता लाई झिन-झिन करते झिंगुर आये बजने लगी शहनाई और चमकते जुगनुओं ने जगमग महफ़िल सजाई मेंढक आया कौवा आया आ…

Started by सुनीता शानू

5 Sep 15, 2011
Reply by Saurabh Pandey

प्यारा सा बचपन

मै पहले बच्चों पर बहुत लिखती थी मगर एक अरसे से सब बन्द हो चुका था आज यहाँ बाल साहित्य का यह ग्रुप देख कर नन्हे-मुन्ने वो बच्चे बहुत याद आये…

Started by सुनीता शानू

0 Jul 28, 2011

इंतजार रहता था ,

इंतजार रहता था , हर रविवार का ,सोमवार से शनिवार , सुबह दस से शाम चार , ये समय था , स्कूल का , करने पड़ते थे  , कितने बहाने , कभी पेट दर्द ,…

Started by Rash Bihari Ravi

0 Jul 26, 2011

आओ बच्चों खेलें खेल

आओ बच्चों खेलें खेल दोस्तों,इस बाल कविता पर अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएँ| आओ बच्चों खेलें खेल चलो बनायें मिलकर रेल| रामू तुम इंजन बन जान…

Started by dr a kirtivardhan

0 May 6, 2011

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Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
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Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
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Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
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Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

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