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धर्मेन्द्र कुमार सिंह's Discussions (2,689)

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सदस्य टीम प्रबंधन

"इस गीत संग्रह की इससे अच्छी समीक्षा नहीं हो सकती। हृदय से बधाई स्वीकार करें आदरणीय स…"

धर्मेन्द्र कुमार सिंह replied Feb 23, 2016 to भावना तिवारी के पास अंतर्मन को खँगालने की नैसर्गिक क्षमता है

4 Feb 24, 2016
Reply by Saurabh Pandey

"हा, हा, हा। आदरणीय सौरभ जी, उन्होंने कोई समीक्षा नहीं लिखी केवल समीक्षा के बारे में…"

धर्मेन्द्र कुमार सिंह replied Aug 20, 2015 to एक कवि की दृष्टि से – अकुलाहटें मेरे मन की (महिमा श्री)

10 Aug 20, 2015
Reply by धर्मेन्द्र कुमार सिंह

"शुक्रिया आदरणीय गौरव जी"

धर्मेन्द्र कुमार सिंह replied Aug 19, 2015 to एक कवि की दृष्टि से – अकुलाहटें मेरे मन की (महिमा श्री)

10 Aug 20, 2015
Reply by धर्मेन्द्र कुमार सिंह

"शुक्रिया आदरणीय मिथिलेश जी"

धर्मेन्द्र कुमार सिंह replied Aug 19, 2015 to एक कवि की दृष्टि से – अकुलाहटें मेरे मन की (महिमा श्री)

10 Aug 20, 2015
Reply by धर्मेन्द्र कुमार सिंह

"शुक्रिया आदरणीय सौरभ जी"

धर्मेन्द्र कुमार सिंह replied Aug 19, 2015 to एक कवि की दृष्टि से – अकुलाहटें मेरे मन की (महिमा श्री)

10 Aug 20, 2015
Reply by धर्मेन्द्र कुमार सिंह

"शुक्रिया  महिमा जी। मैं वादा करता हूँ तो निभाने की पूरी कोशिश करता हूँ। वैसे किसी अच…"

धर्मेन्द्र कुमार सिंह replied Aug 19, 2015 to एक कवि की दृष्टि से – अकुलाहटें मेरे मन की (महिमा श्री)

10 Aug 20, 2015
Reply by धर्मेन्द्र कुमार सिंह

"बहुत बहुत धन्यवाद सौरभ जी, स्नेह बना रहे"

धर्मेन्द्र कुमार सिंह replied Apr 7, 2014 to पुस्तक समीक्षा ग़ज़लकार ज़हीर कुरेशी जी द्वारा ग़ज़ल कहनी पड़ेगी झुग्गियों पर (‘सज्जन’ धर्मेन्द्र)

2 Apr 7, 2014
Reply by धर्मेन्द्र कुमार सिंह

सदस्य टीम प्रबंधन

"बड़ी बेबाकी से लिखी गई ईमानदार समीक्षा है। ग़ज़लकार और समीक्षाकार दोनों को बहुत बहुत बध…"

धर्मेन्द्र कुमार सिंह replied Feb 20, 2014 to डाली मोगरे की : समीक्षा // --सौरभ

2 Feb 20, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"इस शानदार काव्यात्मक समीक्षा के लिए आदित्य जी का तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ। किसी पु…"

धर्मेन्द्र कुमार सिंह replied Nov 24, 2013 to ''परों को खोलते हुए'' की काव्यात्मक समीक्षा....................आदित्य चतुर्वेदी........समीक्षक

11 Nov 24, 2013
Reply by धर्मेन्द्र कुमार सिंह

"राहुल देव जी का तह-ए-दिल से आभारी हूँ कि उन्होंने इतनी विस्तृत पाठकीय प्रतिक्रिया लि…"

धर्मेन्द्र कुमार सिंह replied Nov 24, 2013 to समीक्षा - परों को खोलते हुए-1 : एक पाठकीय प्रतिक्रिया -राहुल देव

14 Nov 24, 2013
Reply by धर्मेन्द्र कुमार सिंह

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परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
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आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
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"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
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२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
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आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

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२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
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Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
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