For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

''परों को खोलते हुए'' की काव्यात्मक समीक्षा....................आदित्य चतुर्वेदी........समीक्षक

''परों को खोलते हुए'' की काव्यात्मक समीक्षा....................आदित्य चतुर्वेदी........समीक्षक

//1//


देखिए तीस परों को खोलते हुए
अक्षर-अक्षर को स्वयं से, तोलते हुए
कह गए ये दर्द सारा, इस जहां का,
ओ0बी0ओ0 आकाश में खुद डोलते हए।।


//2//


पीत पट की लालिमा मुख पृष्ठ की
हो प्रमुख यह द्वार ज्यों नवसृ-िष्ट की
रच दिया लम्बा वितान साहित्य का
सोच मौलिक चिर निरन्तन दृ-िष्ट की।।


//3//


पन्द्रह रत्नों में प्रथम काव्यारत्न हैं अरूण
सप्त रचनाओं का किया जिसने वरण
'सावन' 'मेरूदण्ड' 'जीवन' 'मन की छुवन'
'कूप' के 'रिश्तों' , तरफ बढ़ते चरण।।

//4//


'कैसे कहता' 'प्रेम' में 'बची' हुई 'कविता'
अन्तर्मन संवाद की कहती है सरिता
'बीमार पीढ़ी' साथ में 'क्षमा करें'
जो स्वयं से अंजान दिखती अरूण सविता।।

//5//


साहित्य 'पथिक' ये मॉरिशस की बाला हैं
'चांद' 'प्रकृति' की ''त्रुटि', तपन की ज्वाला हैं'
'अपने को ढूंढों' अपने अन्तर्मन में
शब्दों-शब्दों की व्यथा, गजब कह डाला है।।

//6//


'मैं हूं मौन' मौन है के0पी 'सत्ता सार' के गलियारे से
'बेरोजगार' हो गई भावना, 'दंगा' दूध' किनारे से
वो 'मासूम सा बच्चा' 'अलगाववादी' चक्राे में
धन्य हो गई रचना तेरी, हम तो जिए इशारे से।।

//7//


'सुनो तुम' गीतिका 'देर हो रही', मंजिल तुमसे दूर नहीं
'तुम्हारे कंधे' बंधी निराशा, खुद से तुम मजबूर नहीं
सजग लेखनी तुम्हें पुकारे मन का पीर अक्षर बन जाये
'सत्य सार' 'सदियों' से कहती है बात, पर गुरूर नही।।

//8//


धन्य हुए धर्मेन्द्र जी, 'सिस्टम' हुआ खराब
'चमकीली रंगीन' का रंगत खुश्बो आब
'लोक तंत्र के मेढक' 'तुम्हारी बारिश' के साये
साधुवाद कविवर बाकी सब है हाय!........।।

//9//


'लगता बसंत आ गया' फिर काहे 'दुर्भाग्य'
प्रदीप 'स्पर्श उम्मीदों का' उदित हुआ सौभाग्य
'इन्कलाब' 'जीवन-मृत्यु' स्वयं परचम 'शान्ति' का
उत्तम रचना, श्रेष्ठ विचार बहा दिया बैराग्य।।

//10//


प्राची के 'अनसुलझे प्रश्न' 'चंद शब्द' आ गये
'अनछुआ चैतन्य' में छायावाद पा गये
'देह बोध' 'जाने क्यों 'अनगिनत बातें कहीं
छोड़ धरा उसी क्षण, आकाश में हम आ गये।।


//11//


'हांफता-कांपता सा दिख रहा था 'हाथी'
'कुम्हार' की व्यथा को शब्द दे गये साथी
'चिल्लाओ कि जिन्दा हो' जरूरत है बृजेश
'सूरज' 'पत्थर' चांदनी शत-शत नमन है साथी।।

//12//


महिमा 'प्रवंचनाएं' 'दोराहे पर लाती हैं
'तुम स्त्री हो' बहुत कुछ कह जाती है
'स्मृतियों' में 'अंतस का कोना' 'तुम्हारा मौन' नही
'सर्द धरती' बुलंदी की मीनार नजर आती है।।

//13//


'कांपते उर' 'चिरानन्द' वैचारिक नन्दन है
'अंश हूं तुम्हारा' 'मां' का शत अभिनन्दन है
'जिंदगी की राह' में 'द्वन्द' तो होते हैं
लिखती रहो वन्दना, भविष्य का वन्दन है।।

//14//


'बारिश की बूंदे' अतीत की यादें
'घाव समय की' करती फरियादें
'मौन पलने दो' यादें विजय की
'रक्तधार' निजत्व की, पीड़ा की खादें।।

//15//

'निशा का नाश' अवश्य होता है
शीतलता में तपन का सोता है
व्यंग्य की धार 'पुरानी हवेली'
लिखती है लेखनी कवि मन रोता है।।

//16//

'एक कील एक तस्वीर' का एहसास है
शरदिन्दु की रचना उत्तम और खास है
'आशंका' 'औकात' की 'तस्वीर' क्या कहने
'जन्मदिन' प्रवम्य पुस्तक की बिग बॉस है।।

//17//


'अनगढ़न सी इबारत' 'रात-दिन' लिखती है
'आत्म-मुग्धा' शालिनी, प्रवाहमय कहती है
गीतों का लालित्य दिखा मुक्त छन्द में
उज्वल कवियत्री अभी से दिखती हैं।।

//18//


सौरभ जी बधाई गुलदस्ते सजाएं है
चुने हुए फूल साहित्य में जो लाए हैं
शीर्षकों को जोडा आत्म कथ्य में मैंने
क्षमा करना मुझे यदि हुई कुछ खताएं है।।

मौलिक एवं अप्रकाशित

पुस्तक का नाम - परों को खोलते हुए
सम्पादक- सौरभ पाण्डेय
प्रकाशन- अंजुमन प्रकाशन, 942 आर्य कन्या चौराहा मुठ्ठीगंज, इलाहाबाद-211003
पुस्तक का मूल्य- रू0 170.00

Views: 1452

Replies to This Discussion

इतनी सुन्दर काव्यात्मक समीक्षा के लिए आदरणीय आदित्य चतुर्वेदी जी का हार्दिक आभार! ये मुक्तक श्री आदित्य जी की बहुमुखी प्रतिभा के परिचायक हैं!

सादर!

आ0 बृजेश भाईजी,  मैं हूं अवशेष, आभार इतना, बचा नही शेष!...।  सादर.

खूब है आदित्य जी, पद में हुई प्रस्तुत समीक्षा

मुक्तकों  का रूप  दे  कर  मोहते  हैं, ले परीक्षा

काव्य-जग के पक्षियों को देख लें सब मुग्ध हो कर

कार्य-सिद्धि हो गयी औ’ मिल गयी दिल खोल दीक्षा

आदरणीय आदित्य चतुर्वेदीजी, आपको परों को खोलते हुए भाग-एक पर भाव-शब्द हेतु प्रयास करने और रचनाकारों की उनकी रचनाओं के शीर्षक के सापेक्ष परिचयात्मकता को साझा करने के लिए हृदय से बधाई. शुभ-शुभ

आदरणीय सौरभ भाईजी,  आपके उत्साहवर्ध से मैं गौरवांविंत हुआ।। आपके स्नेहिल बधाई के लिए हार्दिक धन्यवाद।

वाह वाह आदरणीय आदित्य चतुर्वेदी जी. आपके एक नये रूप से परिचित होने का सौभाग्य हुआ. बहुत अच्छा लगा. सादर.

आदरणीय शरदिन्दु भाईजी,  आपका उत्साहवर्ध मेरे लिये सम्बल का काम करेगा । आपके स्नेहिल बधाई के लिए हार्दिक धन्यवाद।

परों को खोलते पंछी,सुबह क्या नित्य कहते हैं

जगाते हैं  जमाने को , सुनो !आदित्य कहते हैं 

विविध बोली विविध भाषा,मगर सुर एक है सबका 

दिशा जीवन की दिखलाते,मधुर साहित्य कहते हैं...........

आदरणीय आदित्य जी, सुन्दर समीक्षा हेतु आभार..................

आहा! इतनी सुंदर काव्यात्मक समीक्षा!

आपने मुझे गौरव प्रदान किया आ0 आदित्य जी!  मै आभार व्यक्त करती हूँ, कि आपने एक एक लेखक को व्यक्तिगत तौर पर बाँचा जो कि काफी कठिन कठिन कार्य था| 

हम सभी साथियों की ओर से आपको अशेष शुभकामनायें आ0 आदित्य जी!

सादर गीतिका 'वेदिका'

आदरणीय आदित्य चतुर्वेदी महोदय सादर नमस्ते।

मैं इस सुन्दर काव्यात्मक समीक्षा तक विलम्ब से पहुंच स्की,क्षमा  चाहती हूं।

आशीर्वचन संयोजित आपकी आत्मीय समीक्षा के लिए आपका हृदयतल से बारम्बार आभार।

आपकी पहचान तो 'हास्य कवि' क रूप में है लेकिन यहां आपने अपनी इस विशेषता का बिलकुल नही प्रयोग किया?

सादर

सभी सम्मान्य लेखक लेखिकाओं को बधाई।

पंख खोलें गरुण से साहित्य मुक्ताकाश में।
हो सृजित साहित्य सुन्दर सघन तम के नाश में।

इस शानदार काव्यात्मक समीक्षा के लिए आदित्य जी का तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ। किसी पुस्तक की इससे पहले कभी काव्यात्मक समीक्षा पढ़ने में नहीं आई। इस लिहाज से संभवतः आप प्रथम व्यक्ति हैं यह कार्य करने वाले। इसके लिए धन्यवाद एवं बधाई स्वीकारें।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
6 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
23 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service