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सदस्य टीम प्रबंधन पुस्तक समीक्षा के आवश्यक विन्दु // --सौरभपुस्तक-समीक्षा एक ऐसा साहित्यिक प्रयास है जिसके माध्यम से कोई समीक्षक या आलोचक उस पुस्तक या उसकी रचना(ओं) के माध्यम से लेखक या रचयिता के रच… Started by Saurabh Pandey |
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Feb 3, 2014 Reply by Dr.Prachi Singh |
सदस्य कार्यकारिणी त्रासद समय में नारी का जीवन – संघर्ष ‘ बंजारन ‘त्रासद समय में नारी का जीवन – संघर्ष … Started by sharadindu mukerji |
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Dec 8, 2013 Reply by Vindu Babu |
सदस्य कार्यकारिणी परों को खोलते हुये-1किताब को खोलते ही मेरी नज़र सबसे पहले आदरणीय श्री योगराज प्रभाकर सर के इन शब्दों पर पड़ी ''इन बून्दों को मोती होना अवश्य है'' इन शब्दों को… Started by शिज्जु "शकूर" |
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Nov 27, 2013 Reply by बृजेश नीरज |
''परों को खोलते हुए'' की काव्यात्मक समीक्षा....................आदित्य चतुर्वेदी........समीक्षक''परों को खोलते हुए'' की काव्यात्मक समीक्षा....................आदित्य चतुर्वेदी........समीक्षक //1// देखिए तीस परों को खोलते हुएअक्षर-अक्ष… Started by aditya chaturvedi |
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Nov 24, 2013 Reply by धर्मेन्द्र कुमार सिंह |
समीक्षा - परों को खोलते हुए-1 : एक पाठकीय प्रतिक्रिया -राहुल देवहिंदी साहित्य जगत के पंद्रह रचनाकारों का संयुक्त काव्य संग्रह ‘परों को खोलते हुए-1’ मेरे हाथ में है | इस संकलन में हिंदी काव्यजगत के पंद्रह… Started by वीनस केसरी |
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Nov 24, 2013 Reply by धर्मेन्द्र कुमार सिंह |
''छन्द काव्यामृत"...-----------------.रचनाकार- डा0 आशुतोष बाजपेयी!!! पुस्तक समीक्षा !!! ''छन्द काव्यामृत"..... ............पारंपरिक छन्द विधाओं का परिपालन करते हुए सरस, सहज और धारा प्रवाह विचार, बोधगम्य… Started by केवल प्रसाद 'सत्यम' |
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Nov 7, 2013 Reply by केवल प्रसाद 'सत्यम' |
आशा पाण्डेय ओझा की ‘एक कोशिश रौशनी की ओर’एक रचनाकार का ह्रदय बहुत संवेदनशील होता है. जीवन की अनुभूतियाँ उसके मन पर अंकित होती रहती हैं और रचना करते समय यही अनुभूतियाँ उभरकर… Started by बृजेश नीरज |
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Nov 7, 2013 Reply by बृजेश नीरज |
समीक्षा - मार्मिकता मानोशी का प्रिय बोध है। - यश मालवीय (इलाहाबाद)मार्मिकता मानोशी का प्रिय बोध है। उन्मेष कविता संग्रह मेरे सामने है और मैं इसे काव्य के उन्मेष के रूप में ही देख रहा हूँ। संवेदना से लबरेज़… Started by वीनस केसरी |
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Nov 7, 2013 Reply by Saurabh Pandey |
सदस्य टीम प्रबंधन अनुभव के हवाले से - पुस्तक समीक्षा // सौरभ पाण्डेयआज भाई रमेश नाचीज़ का ग़ज़ल-संग्रह ’अनुभव के हवाले से’ हाथों में है. पन्ने खुले हैं. प्रस्तुतियों के शब्दों का स्वर ऊँचा है. मेरे पाठक से संव… Started by Saurabh Pandey |
0 | Nov 6, 2013 |
साहित्यिक अंजुमन में मानोशी का उन्मेषकविता सिर्फ भावाभिव्यक्ति नहीं होती बल्कि वह कवि की दृष्टि और अनुभूतियों से भी पाठक का परिचय कराती है। रचना में कवि का अस्तित्व तमा… Started by बृजेश नीरज |
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Aug 27, 2013 Reply by बृजेश नीरज |
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