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भोजपुरी साहित्य Discussions (246)

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"ओ बी ओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता" अंक-1

भोजपुरी साहित्य प्रेमी लोगन के सादर प्रणाम, जइसन कि रउआ लोगन के खूब मालूम बा, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार अपना सुरुआते से साहित्य-समर्थन आ साहि…

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"OBO लाइव विश्व भोजपुरी कवि सम्मेलन" (Now Close)

भोजपुरी साहित्य प्रेमी लोगन के सादर परनाम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार पिछला कई महिना से हर महीने सफलता पूर्वक "OBO लाइव मुशायरा" अउर "OBO लाइ…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"Latest Reply

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गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२    आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा    का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना बाग-बगइचा जाओपतझड़ लागल जेकरा पाछा  …

Started by Saurabh Pandey

0 Aug 13

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गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाई निभत बा दरद से निभे दीं मिताई    बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई बलाई    बहाना बनाके कटावत बा कन्नी मने…

Started by Saurabh Pandey

2 Feb 5
Reply by Saurabh Pandey

वाह रे उद्योगपति कईलs लोग बढ़िया काम...

वाह रे उद्योगपति कईलs लोग बढ़िया काम , शहद में जहर मिलवलs कईलs अइसन काम, हमनी के विश्वास कईनीसन आँख बंद करी के , दुश्मन दोस्त खुबे लुटलs हमद…

Started by Rash Bihari Ravi

5 Oct 30, 2023
Reply by Riju Nag

भोजपुरी गजल

भोजपुरी गीतिका/गजलमनब कि ना मनब, तू बेशी अगरइब?आइल बा बुढ़ापा,अब गरहा में जइब।1 खोज तारअ फूल अब कहाँ पहुँचइब?नजर धुंधला गइल,सूँघब कि सटइब?2…

Started by Manan Kumar singh

0 Sep 28, 2022

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भोजपुरी नवगीत - जे महाभारत मचल बा // सौरभ

जे महाभारत मचल बा बऽड़-बड़का खेत भइले.. आमजन के बात का ? जजबात का ? नस-धमनियन में बहत माहुर सभन के माथ से चुइ बन पसीना पोर-पोरे खात बा, चल र…

Started by Saurabh Pandey

0 Apr 4, 2022

सुनीं सुनीं सरकार : आशीष यादव

सुनीं सुनीं सरकार  हम बानी बेरोजगार  तनी सुनी ना पुकार  देई जिनिगी सुधार  फारम भरले साल बीतल  जिनिगी बेहाल बीतल  तोहरा के का बुझाई  जेकर ख…

Started by आशीष यादव

0 Jan 30, 2022

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पापा के नाँवे // सौरभ

का बोलीं का हाल हम, रउरे पाटल खेतपापा अपना पूत के, सोचब दँवरी देत   टूसा-कोंढ़ी फूल-फल, अङनों अनधन बाढ़िपापा रउरा हाथ के, फुला रहल सभ डाढ़ि…

Started by Saurabh Pandey

4 Jul 14, 2021
Reply by Saurabh Pandey

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गजल (भोजपुरी) // -सौरभ

१२२ १२२ १२२ १२२ रटौले रटल बा नियम का ह, मत का ? बुझाइल कबो ना सही का, गलत का ! सियासत के सोझगर गनितओ बुझाई गुना-भाग छोड़ीं, बताईं जुगत का ?…

Started by Saurabh Pandey

5 Feb 25, 2021
Reply by Aazi Tamaam

कवनो देश नाहीं सुघ्घर हिंदुस्तान से (पैरोडी)

सबसे सुंदर लुभावन पावन, इ बा मनभावन, कि सगरो जहान से कौनो देश नाही सुघ्घर हिंदुस्तान से उत्तर में देखा हो, हिमालय जेकर माथ बा दक्षिण में फ…

Started by आशीष यादव

0 Feb 8, 2021

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पाँच गो फरकल दोहा // --सौरभ

लबरहिया के बात का, बकरी वाली फोंsह सगर चरित्तर नासि के, छछनो कढ़ली घोंsह    कुकुर जमाती राति-दिन, भूँक बतासे भूँक भइल असामी मोट, भा, भालू…

Started by Saurabh Pandey

0 Oct 7, 2020

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surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
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surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
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surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
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गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
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सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
4 hours ago

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गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
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गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
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बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
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