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भोजपुरी साहित्य Discussions (245)

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का आइसन अपराध के छमा कईल जा सकेला रुआ लोग आपान बिचार दी ,

आज सुबेरे सुबेरे हमरा लगे दिलीप गिरी जी के फोने आइल हा जे महुआ के बिउरो चीफ बानी कोलकता में उहा के सवाल रहुये की भोजपुरी के नाम पर इ का होत…

Started by Rash Bihari Ravi

7 Sep 3, 2010
Reply by pankaj jha

बाबूजी रहती ता का कहती , (ek purana kavita)

बाबूजी रहती ता का कहती , इ सवाल हमारा मन में बार बार आवत बा , बात ओ बेर के हा जब हम पढ़त रहनी , स्कुल छोर के खुबे सिनेमा देखत रहनी , केहू क…

Started by Rash Bihari Ravi

4 Sep 2, 2010
Reply by Shakur Khan

उ जमाना इयाद बा तोहर बन ठन के आइल इयाद बा ,

उ जमाना इयाद बा तोहर बन ठन के आइल इयाद बा , ना कटत रहे समय हमरा बिन इ तोहर कहल इयाद बा , साझ के मिलल हो जात रहे रात अइसही बातो में , ना ला…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Sep 1, 2010
Reply by Deepak Sharma Kuluvi

"उ प्यार कहाँ से ले आई"

उ प्यार कहाँ से ले आई , जे से तोहके आपन बनाई उ बंधन कहाँ से ले आई , जे से तोहके बाँध पाई उ सपना कहाँ से ले आई, जे मे तोहार दरश पाई उ दुन…

Started by Raju

2 Sep 1, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

तिकड़ी का बदला

सुरी कुआं भीरी खड़ा बा ...केहू के आवे के इंतज़ार हो रहल बा ..हेने होने लगातार देख रहल बा ...निचे देखलस इनार में ,सुखाल इनार जौना में बहारण…

Started by ritesh singh

5 Aug 31, 2010
Reply by Rash Bihari Ravi

लाल कहा से दीही फाट गइल गुदरी ,

केतनो सुधाराबा भाई इ नाही सुधरी , लाल कहा से दीही फाट गइल गुदरी , उहे गाव ह एकर बा उहे संसकीरती , ना जाने कब कईसे बदलल पर्वीरती, जहा चालत र…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Aug 30, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

अखिया के रस्ते मन में समां के काहे भरमावे लू ,

अखिया के रस्ते मन में समां के काहे भरमावे लू , हो जानिया , हो रानिया ओ माहिया, इयाद तोहर आवे ला तू काहे ना आवे लू , अखिया के रस्ते मन में स…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Aug 30, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

लागत बा इ फैसन वाली , ले ली हमरो जान ,

ले गइल हमरो रात के निंदिया , दिन में रही ले परेशान , लागत बा इ फैसन वाली , ले ली हमरो जान , बाबु जी त मना कईले , भईया हमके खूब समझइले , हमर…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Aug 30, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

अषाढ़ सावन के अंजोरिया

हम २८ तारीख के बाहर सुतल रहनी, कुछ देर के बाद खूब चटकार अंजोरिया निकलल, पाहिले त मन बड़ा खुश भईल लेकिन उ ख़ुशी थोड़े देर में गायब हो गईल. ह…

Started by आशीष यादव

2 Aug 28, 2010
Reply by आशीष यादव

मय मय में चल गइल ,

मय मय में चल गइल , जब बुधी भइल , मय हाथ से निकाल गइल , मय मय में चल गइल , बाबूजी समझवाले , भईया खुबे मनवाले , बाकिर मय खातिर , इ मन बहक गइल…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Aug 27, 2010
Reply by आशीष यादव

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Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
15 hours ago
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"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
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सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
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सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
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Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
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Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
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