For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उल्लाला सम मात्रिक छन्द है।इसके प्रत्येक चरण में 13-13 मात्राओं के हिसाब से 26 मात्रायें तथा 15-13 के हिसाब से 28 मात्रायें होती हैं।इस तरह उल्लाला के दो भेद होते है।तथापि 13 मात्राओं वाला छन्द ही विशेष प्रचलन में है।इस छन्द में लघु-गुरु का कोई विशेष नियम नहीं है लेकिन 11वीं मात्रा लघु ही होती है।15 मात्राओं वाले उल्लाला छन्द में 13 वीं मात्रा लघु होती है।
13 मात्राओं वाले उल्लाला के सन्दर्भ में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि यह बिल्कुल दोहे की तरह होता है,बस दूसरे चरण में केवल दो मात्रायें बढ़ जाती हैं।प्रथम चरण में लघु-दीर्घ से विशेष फर्क नहीं पड़ता।उल्लाला छन्द को चन्द्रमणि भी कहा जाता है।
छन्द के उदाहरण-
ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ । ऽ
भूखी आंतों के लिए,
ऽ ऽ । । । । ऽ । ऽ
सेंसेक्स बस बवाल है।
ऽ । ऽ । ऽ । । । ऽ
तीसमार खां कह रहे,
ऽ ऽ । ऽ । ऽ । ऽ
मार्केट में उछाल है
गोकुल चन्द शर्मा जी ने भी उल्लाला छन्द का प्रयोग किया है।आप द्वारा रचित एक उल्लाला छन्द अधोलिखित है-
निर्मल मति मन में सदा,
उठता यह उद्गार है।
सुगति स्वर्ग अपवर्ग का,
गुरु-प्रसाद ही द्वार है॥

Views: 14178

Replies to This Discussion

उल्लाला छंद की अच्छी जानकारी दी है विन्ध्येश्वरी    जी आपने आभार एवं बधाई आपको 

ओ बी ओ साहित्यिक धरोहरों के संचयन और पुष्पन पल्लवन का केंद्र बन रहा है | इसमें आप जैसे सजगों का योगदान प्रशंसनीय है | बहुत स्वागत और शुभकामनाएं विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी जी | इस उपयोगी जानकारी को साझा करने के लिए आभार भी !!

आभार आदरणीय अभिनव जी!
उल्लाला छन्द पर जो थोड़ी बहुत जानकारी साझा हो सकी है,उसका सम्पूर्ण श्रेय आदरणीय वीनस जी को जाता है।उन्होंने अगर मुझ अज्ञानी से प्रश्न न किया होता ,न ही मैं ढूढ़ता और न ही यह जानकारी साझा हो पाती।मैं तो उल्लाला छन्द पर छोटी सी रचना कर हाथ पर हाथ रखकर बैठ चुका था।अभी इसपर आप सब गुरुजनों से विस्तृत चर्चा सादर आमंत्रित है ताकि छन्द के बारे में और भी नई जानकारी सके,कुछ बातें और भी स्पष्ट हो सकें।
सादर।

भाई मृदुजी ने ’उल्लाला’ छंद से सम्बन्धित तथ्यपरक प्रश्न उसी दिन किया था, जिस दिन आपकी प्रस्तुत पोस्ट आयी थी.

मैंने उन्हें वही बातें बतायी थीं जिनकी अब वीनसजी द्वारा चर्चा हो रही है.  आगे मैंने उन्हें यही कहा था कि विंध्येश्वरी जी को तथ्यपरक जानकारी जब होगी तो वे स्वयं साझा करेंगे.  आज आपकी प्रस्तुत टिप्पणी को देख कर अपार संतोष हुआ है कि आपने अपनी जानकारी से छंद सम्बन्धी तथ्य प्राप्त किये हैं. 

यह स्वाध्याय ही किसी रचनाकार या पाठक की संलग्नता और गंभीरता का प्रमाण है.

सधन्यवाद

गुरुदेव प्रणाम! मेरा मानना है कि गुरु आखिर गुरु ही होते है।उसका शिष्य क्या करने वाला है और कहां गलत है वे पहले ही अनुमान कर लेते हैं।हालांकि मुझे लग रहा है-अभी यह जानकारी पूर्ण नहीं है।इस पोस्ट पर गुरुजनों से चर्चा सादर आमंत्रित है।
आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी।

विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी जी,

 मैंने उल्लाला छ्न्द के बारे में कुछ छानबीन की तो कुछ जानकारी प्राप्त हुई है वह आपसे साझा कर रहा हूँ

 इस छ्न्द को दो तरह से लिखा जाता है
१ -
पहली  पंक्ति - १३ / १३ = २६ मात्रा
 दूसरी पंक्ति  - १३ / १३ = २६ मात्रा

२ -
पहली  पंक्ति - १५ / १३ = २८ मात्रा
दूसरी पंक्ति  - १५ / १३  = २८ मात्रा

इस  छ्न्द को १५ / १५ = ३० मात्रा में लिखने का विधान नहीं है 

रोला (११/१३) की ४ पंक्ति और उल्लाला (१३/१३ या १५ / १३ ) की २ पंक्ति के संयोग से छप्पय छंद बनता है

इस छ्न्द की और कोंई जानकारी प्राप्त हुई तो पुनः साझा करूगा ...

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
4 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
4 hours ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service