१. श्री सोमनाथ -
दक्ष प्रजापति द्वारा शापित होने पर सती द्वारा भगवन म्रत्युन्जय की आराधना
की गयी,जिससे यह ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ जो काठियावाड़(गुजरात) में स्थित
है यह प्रधान ज्योतिर्लिंग माना जाता है |
२. श्री मल्लिकार्जुन :-
यह कृष्णा नदी (आँध्रप्रदेश)के तट पर श्री शैल पर्वत पर स्थित है| प्रथम पूज्य
गणेशजी के विजयी होने पर्फ कार्तिकेय नाराज होकर क्रोंच पर्वत पर चले गए तो
वहां भगवन मल्लिकार्जुन प्रकट हुए |
३. श्री महाकालेश्वर -
यह उज्जैन (म.प्र.) में शिप्रा नदी पर स्थित है : जब अवंतिका के वेदपाठी ब्रह्मण .
की भक्ति से परेशां होकर दूषण नमक राक्षस परेशां कर रहा था, तो शिवशक्ति प्रताप
से भूतभावन प्रकट हुए और असुर का अंत कर दिया, इसकारण इनका नाम महाकाल
पड़ा | गोप बालक की आराधना से भी ज्योतिर्लिंग का प्राकट्य माना जाता है |
इसका अति प्राचीन उदैपुर में भी माना जाता है |
४. श्री ओंकारनाथ :-
अमलेश्वर नर्मदा नदी)म.प्र) के तट पर स्थित मान्धाता पर्वत पर ही विन्ध्य पर्वत ने
छः माह तक विकटआराधना करने पर महादेव प्रकट हुए |
५. केदारनाथ -
उत्तराखंड का प्रधान तीर्थ स्थान है, जो विष्णु अवतार नर और नारायण ऋषि की
तपश्या से यह प्रकट हुए |
६. श्री भीम शंकर
महारास्त्र के कामरूपेश्वर नमक महाप्रतापी शिव भक्त हुए है, जो भीम नमक राक्षस
द्वारा धर्मोपासको को परेशान करने पर शिव भक्ति करने लगे | उनकी भक्ति से भीमा
नदी के तट पर प्रकट हुए शिव रूप को भीम शकर कहते है |
७. श्री विश्वेश्वर -
यह वाराणसी (कशी) में स्थित है जहाँ भगवन विष्णु ने भगवन आसुतौश को
प्रसन्न किया, फिर उनके शयन करने पर उनके नाभि कमल से ब्रह्मा उत्पन्न हुए,
जिन संसार की रचना की | विष्णुजी द्वारा स्थापित इस ज्योतिर्लिंग की शंकराचार्य
ने स्वयम अपने कर कमलो से पिनाह स्थापना की |
८. त्रम्केश्वर -
गौत्तम ऋषि की तपश्या से प्रकट यह ज्योतिर्लिंग नासिक जिले में स्थित है |
९. वैद्यनाथ जसीडीह -
जब रावन कैलाश पर्वत पर तपस्या कर महादेव को लंका लेजा रहे था, तब
भगवन विष्णु के प्रयास से बिहार स्थित वीरान जगह पर रावन द्वारा बरबस
महादेव को जमीं पर रख देने के कारन स्थापित यह ज्योतिर्लिंग महँ फलो
को देने वाला माना गया है |
१०. नागेश्वर
गोमती द्वारका से बेत्द्वारका के रास्ते स्थित है |दारूक राक्षस द्वारा पीड़ा पहुचने पर
सुप्रिय भक्त ने भगवन शिव की आराधना की, जिससे प्रकट हुए ज्योतिर्लिंग को
नागेश्वर कहते है |
११. सेतुबंध रामेश्वर -
भगवन राम के कर कमलो से स्थापित | भगवन सदाशिव ने लोकोपाकार्थ भगवन
श्री राम से सदा सेतुबंध पर वास करने की प्रार्थना स्वीकार करली |
१२. धुश्मेस्वर शिवद :-
(सवैमधोपुर) में स्थित यह ज्योतिर्लिंग धुश्मा की शिवभक्ति से प्रकट हुए | रुद्द्र रूप
में प्रकट होने के कारन यह जलमग्न रहते है |
संकलन द्वारा लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला, जयपुर