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जी सर, आपके उदाहरण ने बहुत कुछ समझा दिया। बहुत बहुत आभार, नमन।
आदरणीय योगराज जी,आपने यह जो कार्य"लघु कथा की कक्षा"आरंभ किया है,उसके लिए सर्व प्रथम आप मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें!आपका यह कार्य हम जैसे नौसिखियों के लिये एक प्रेरक अध्याय साबित होगा!हमारी बहुत सी समस्याओं का हल तो केवल यहां वर्णित टिप्पणियों से ही निकल रहा है!मेरे मन में केवल एक ही प्रश्न है जो कि लघु कथा के आकार के बारे में है!यह टिप्पणी मुझे अकसर मेरी कथाओं पर मिलती है कि कथा को अनावश्यक विस्तार दिया गया है!हालांकि आजकल में इस ओर विशेष ध्यान दे रहा हूं फ़िर भी मैं चाहूंगा कि आप इस विषय पर अपनी गुणी रॉय प्रदान करें!आभार होगा!
आदरणीय योगराज जी, आपके द्वारा दिये गये मार्ग दर्शन का हार्दिक आभार!
आदरणीय योगराज सर, ये सही है कि लघुकथा के आकार विषयक कोई सर्वमान्य मानक नहीं है और आकार लघुकथा के प्रकार पर निर्भर करता है. फिर सभी प्रकार की लघुकथाओं की अधिकतम शब्द सीमा क्या हो सकती है जिसे पार करने पर रचना लघुकथा नहीं रह जायेगी ?
एक लघुकथाकार किसी घटना/क्षण/समस्या को मेग्नीफाई करके उसको उभारता है। प्राय: समस्या का समाधान देना एक लघुकथा का काम देना नहीं होता। और रचनाओं पर चर्चा के लिए ब्लॉग्स मौजूद हैं। हाँ, उदाहरण स्वरूप किसी रचना का हवाला दिया जा सकता है।
// एक लघुकथाकार किसी घटना/क्षण/समस्या को मेग्नीफाई करके उसको उभारता है। प्राय: समस्या का समाधान देना एक लघुकथा का काम नहीं होता। //
आदरणीय योगराज सर, इस बात से एक प्रश्न मन में उठ रहा है निवेदित है-
क्या लघुकथा के सन्देश में निहित भावना समाधान की नहीं होती है ?
//लघुकथा को मुख्य कितने विषयों में बाटा जा सकता है?//
यह बेहद महत्वपूर्ण प्रश्न है। इस बिंदु पर मेरा एक विस्तृत नोट है, जल्द ही साझा करूँगा।
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//लगातार प्लाट की उत्पत्ति कैसे की जा सकती है?//
आँख और कान खुले रखकर।
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//मैंने अकसर देखा है बहुत अच्छे अच्छे लघुकथाकार कुछ समय के लेखन के बाद प्रायः विलुप्त हो जाते हैं या उनकी लघुकथा लेखन की रूचि ना के बराबर हो जाती है इसके मुख्य कारण क्या होते हैं?//
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बहुत से सही दिशा के अभाव में लिखना छोड़ जाते हैं। कुछ लोग बरसाती मेंढक होते हैं, जो बरसात ख़त्म होते ही शीत-निद्रा में चले जाते हैं। कुछ लोग विधा की बारीकियों को न समझ पाने के कारण स्वयं को असहज महसूस करते हैं। कुछेक मेहनत से डरते हैं तो कुछ लोग पहचान स्थापित न कर पाने की निराशा से मैदान छोड़ जाते हैं। जैसा कि कहा भी गया गया है कि:
Only the fittest can survive.
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