आदरणीय काव्य-रसिको,
सादर अभिवादन !
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार एक सौ पाँचवाँ आयोजन है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ –
18 जनवरी 2020 दिन शनिवार से 19 जनवरी 2020 दिन रविवार तक
इस बार के छंद हैं -
दोहा छंद एवं उल्लाला छंद
हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
एक बात और, आप आयोजन की अवधि में अधिकतम दो ही रचनाएँ प्रस्तुत कर सकते हैं.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.
दोहा छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
उल्लाला छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो
18 जनवरी 2020 दिन शनिवार से 19 जनवरी 2020 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...
विशेष :
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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आदरणीय सतविंदर जी प्रदत्त चित्र के भाव को उकेरति सुंदर गीतिका हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय
आदरणीय सत्यनारायण जी, सादर हार्दिक आभार, नमन
आदरणीय भाई सतविन्द्र कुमार जी सादर, प्रदत्त चित्र पर सुंदर दोहा गीतिका रची है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. किन्तु चौथे युग्म के अंतिम चरण में मात्राएँ कम रह गई हैं. भाठ, राठ, माठ जैसे शब्दों का प्रयोग प्रथम बार ही पढने का अवसर है. सादर.
गीतिका
आधार छंद - दोहा
दुर्बल दीन अनाथ की, आफत में हो जान ।
रक्षा उनकी कीजिए, मनुज धर्म पहचान।।
~
शीत ठिठुर कर काटता, जीवन आज अनाथ,
कंबल ऊनी वस्त्र का, खुलकर करिए दान।
~
कर्म शुचित शुचि भाव उर, संजोए आनंद,
दर्प हीन जीवन जिएं , मददगार इंसान।।
~
नहीं दिखावे के लिए, करना कोई काम,
जीवन में इस बात का, रहे हमेशा ध्यान।।
~
दरियादिल चाहत भली, दे राहत हर कर्म,
हर अनाथ मुस्कान में, उसे दिखें भगवान।।
~मौलिक व अप्रकाशित
उत्तम है हर युग्म औ' विधिवत रचनाकर्म
'बहुत बधाई' बोल हम धारें पाठक-धर्म ..
आदरणीय सत्यनारायण जी, आप अवश्य विलंब से आए. लेकिन क्या खूब आए !
हृदयतल से शत-शत बधाइयाँ..
शुभ-शुभ
परम आदरणीय सादर नमन
इस प्रयास पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से अभिभूत हूँ सादर आभार
सुन्दर है दोहावली, लिए सुघड़ है दृष्टि
जो माने सब दृष्टांत यह, चले सही तब सृष्टि।
हार्दिक बधाई आदरणीय
आदरणीय सतविंदर जी प्रस्तुति पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका हृदय से आभार
प्रदत्त चित्र के भावों को सुन्दर शब्द शिल्प में बाँधती गीतिका के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय सत्यनारायण सिंह जी
उत्सासाहवर्धन के लिए हृदय से आभार आपका आदरणीया प्रतिभा पांडे जी
आदरणीय सत्यनारायण जी
अति सुंदर गीतिका आधारित दोहा छंद , हार्दिक बधाई।
उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी सादर
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