For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ छत्तीसवाँ आयोजन है.   

 

इस बार का छंद है - गीतिका छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

20अगस्त 2022 दिन शनिवार से 

21 अगस्त 2022 दिन रविवार तक

हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

चित्र अंर्तजाल के माध्यम से 

गीतिका छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो

20 अगस्त 2022 दिन शनिवार से 21 अगस्त 2022 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें. 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. 
  8. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  9. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 1464

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

स्वागतम

कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् !.. 

खेल  खो खो थक चुके वो, खेलते कुछ और हैं

राह ..चलते.. गाँव .....बच्चे, खेल में सिरमौर हैं

वो ...कबड्डी.. भूल ....बैठे, खेल वो अनजान हैं

भारती..ग्रामीण ...बालक, खासकर बलवान हैं

गुरु सिखाते गुरुकुलों मल, खम्ब उनको और है

या कि चढ़ जाते वृक्षों पर, वन बहुत सा ठौर है

उम्र ..से ..छोटे.. मगर .वो, चीकने जो पात हैं

हैं.. खिलाड़ी जन्म से फिर, बाल मानव जात हैं

 

हाथ पर धर हाथ दो फिर, वो बुलाते अन्य को 

कूद...ऊपर ..से ...बताते, तीसरे अनुमन्य को

है चुनौती वो कठिन अरु, खेल भी अनजान है

आँचलिक इतिहास की अब, तो यही पहचान है

प्रोफ. चेतन प्रकाश 'चेतन'

आ.भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुन्दर छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई।

चित्रानुकूल सुन्दर छंद सृजन।बधाई आदरणीय

आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, प्रदत्त चित्र पर सुन्दर गीतिका छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. फिर भी द्वितीय छंद की द्वितीय पंक्ति में प्रवाह बाधित प्रतीत हो रहा है.देख लें. सादर

आदरणीय चेतन प्रकाश जी, 

इस पटल पर आपके लम्बे अनुभव के बावजूद रचना का प्रस्तुतीकरण ही ओबीओ की परिपाटी तथा नियमानुसार नहीं ःओ सका है. रचना के मौलिक और अप्रकाशित होने की घोषणा होने से छूट ही गयी है, अनावश्यक ही आपने रचना के अंत में अपना नाम अंकित कर दिया है. 

दूसरे, आपने किस थ्रेड में अपनी रचना प्रस्तुत की है ? 

विश्वास है, आप मेरे कहे का अर्थ समझ रहे हैं. 

रचना की निम्नलिखित पंक्तियाँ अनुमोदनीय है - 

हाथ पर धर हाथ दो फिर, वो बुलाते अन्य को 

कूद...ऊपर ..से ...बताते, तीसरे अनुमन्य को

है चुनौती वो कठिन अरु, खेल भी अनजान है

आँचलिक इतिहास की अब, तो यही पहचान है

अरु का औ’ के स्थान पर प्रयोग किया तो जाता है किंतु यह अवधी भाषा का अव्यय संयोजक शब्द है. 

सर्वोपरि, रचना की पंक्तियों से अर्थ का सार्थक संप्रेषण नहीं हो पारहा है. इसके प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है. 

निम्नलिखित पंक्ति में वृक्षों का प्रयोग उचित नहीं है जिसकारण पंक्ति की मात्रिकता का निर्वहन नहीं ःओ पारहा है. 

या कि चढ़ जाते वृक्षों पर, वन बहुत सा ठौर है

बहरहाल, गीतिका छंद पर प्रयास करने के लिए हार्दिक धन्यवाद तथा शुभकामनाएँ 

शुभ-शुभ

गीतिका छंद

*

कर रहा तय दौड़कर बालक कई ऊँचाइयाँ

दौड़ना फिर कूदना है पाटने हर खाइयाँ

बालपन के हो रहे अभ्यास से विश्वास है।

देश को इन नौनिहालों से बहुत ही आस है।।

*

है यही व्यायाम इनका और है यह खेल भी।

सात जन्मों का हुआ अपनी धरा से मेल भी।

ये न कोई माँगते हैं देश से सुविधा बड़ी।

माँगते हैं एक शिक्षा जो चुनौती है कड़ी।।

*

मुस्कुरा कर भूलते हैं दुःख ये अपने जहाँ।

तो ख़ुशी को बाँटकर रहते सदा ये ख़ुश वहाँ।

कम वसन नंगे बदन भी ये रहें खुशहाल ही।

ग्रीष्म सर्दी ही रहे या बारिशों का काल ही।।

 

मौलिक/अप्रकाशित.

आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार उत्कृष्ट छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई।

आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर

नमन आदरणीय। आपकी रचना चित्र के अनुरूप अच्छी लगी।

आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी सादर, प्रस्तुत छंद रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"नववर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं समस्त ओबीओ परिवार को। प्रयासरत हैं लेखन और सहभागिता हेतु।"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

नवगीत : सूर्य के दस्तक लगाना // सौरभ

सूर्य के दस्तक लगाना देखना सोया हुआ है व्यक्त होने की जगह क्यों शब्द लुंठित जिस समय जग अर्थ ’नव’…See More
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
Monday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
Monday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
Monday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
Sunday

© 2026   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service