आदरणीय काव्य-रसिको !
सादर अभिवादन !!
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ एकतालीसवाँ आयोजन है.
पुनः इस बार का छंद है - सरसी छंद
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ -
21जनवरी 2022 दिन शनिवार से
22जनवरी 2022 दिन रविवार तक
हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.
सरसी छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ -
21जनवरी 2022 दिन शनिवार से 22जनवरी 2022 दिन रविवार तक रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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जय-जय
सादर अभिवादन।
पावस जैसा मौसम दिखता, और शरद का चाँद
देखो अद्भुत दृश्य बना जो, सम्मुख सबकुछ माँद।।
कौन चितेरे ने रच डाला, यह दैविक परिवेश
लगती शिव की जटा घटाएँ, उस ऊपर राकेश।।
*
धवल चाँदनी की अठखेली, तारक की मुस्कान
बना रही हैं पास क्षितिज के, धरती स्वर्ग समान।।
गहन नींद में जग सोया है, जगा भाग्य का भूप
आल्हादित वह रोम- रोम से, देख अनोखा रूप।।
*
बरस रही जो शरद चाँदनी, नभ से बारम्बार
अँजुरी भरकर पीते होंगे, रजकण, समझ तुषार।।
फीके सोलह शृंगार हुए, श्वेत श्याम से आज
वाह! कह उठा होगा धीरे, विस्मित हो ऋतुराज।।
*
मौलिक/अप्रकाशित
आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी
सादर अभिवादन
चित्र को आपकी प्रस्तुती में बहुत खूबसूरती और बारीकी से शब्द मिले है।हार्दिक बधाई आपको
आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।
बहुत सुंदर रचना बंधु। शृंगार के मात्रा भार में मुझे संशय है। इसपर गुणीजनों की राय अपेक्षित है।
आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, चित्रानुरूप सुंदर सृजन हेतु आपको बहुत बहुत बधाई।
आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।
आदरणीय लक्ष्मण भाईजी
चित्र के अनुरूप बादल और चांद के बीच की प्राकृतिक सुंदरता का सुंदर वर्णन। हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर।
माँद का अर्थ आपने क्या लिया है,दूसरे चरण का भाव स्पष्ट नहीं है।
आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।
माँद का अर्थ श्रीहीन से लिया है।
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