For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

  

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ उनचासवाँ आयोजन है.   

 

इस बार के आयोजन के लिए दो छंद लिये गये हैं - दोहा छंद या / और कुण्डलिया छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

23 सितंबर’ 23 दिन शनिवार से 24 सितंबर’ 23 दिन रविवार तक

हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

दोहा छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें 

कुण्डलिया छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती हैं.

*********************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियों में रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें. 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. 
  8. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  9. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम  

Views: 566

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

स्वागतम

जय-जय

मंच कवियों से पूछता है। 

सादर अभिवादन, आ. भाई सौरभ जी। निजी व्यस्तताओं के कारण अवसर नहीं मिला। जल्दबाजी में कुछ प्रयास कर पोस्ट किया है। मार्गदर्शन करें। सादर...

आदरणीय सौरभ जी,

मेरा विचार कहता है कि रचनाकारों को चित्र के साथ साथ नये छंद सीखने और रचने की उत्कंठा भी लिखने के लिये प्रेरित करते हैं। मेरा व्यक्तिगत मत है कि यदि हम और भी नये-नये छंदों में लिखने और समझने-सीखने का अवसर और चुनौती देंगें तो इस आयोजन में सहभागिता और बढ़ेगी।

आपके मत से पूर्णतः सहमत हूँ

आदरणीय अजय जी, आपके कहे से मेरी भी पूर्ण सहमति है। किंतु बिना सदस्यों की तत्पर एवं सजग भागीदारी के अन्यान्य छंदों पर काम करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना समीचीन प्रतीत नहीं होता। 

इस आयोजन का क्रम 149वाँ है। कहना न होगा, इस आयोजन ने अपने समृद्ध दिन भी देखे हैं। 

वर्त्तमान में सक्रिय या अपेक्षित सदस्यों की अभिरुचि ही नहीं, अन्यथा न लें तो, क्षमता के अनुरूप ही प्रचलित छंदों पर अधिक बल दिया जाने लगा है। छंदों में दुहराव का कारण भी यही है। ओबीओ की भोपाल ईकाई के मासिक आयोजनों में भी सदस्यों का आह्वान किया जाता रहा है कि वे मुख्य पटल के आयोजनों में सम्मिलीत हों। किंतु कुछेक सदस्यों के प्रयास के बावजूद आयोजनों में सदस्यों की संख्या में कोई विशेष बढ़ोतरी नहीं हो सकी है। इसी कारण विभिन्न छदों या वृत्तों / दण्डकों को सम्मिलित करने से बचता हूँ। आप और आप जैसे सुधी रचना-अभ्यासियों की सहमति हो तो हम अन्यान्य छंद पर अवश्य काम कर सकते हैं। 

शुभकामनाएँ

दोहा छंद

करने वाले रो रहे, मुश्किल बढ़ीं हजार ।

नाकारा वो मस्त है, बैठे मौज.. बहार ।।

बाँट रहे..राजस्व.... हैं, लाभार्थी....... परिवार ।
करदाता ही पिस रहा, कठिन हुआ व्यवहार ।।

रीढ़ रहा जो देश की, मध्यम वो परिवार ।
महँगाई.. वो झेलता, ढोता है.. सरकार ।।

मध्यम वर्ग खफा हुआ, जागी है सरकार
मुश्किल जो होती गुजर, रोजगार दरकार ।।

कैसै ..भूलोगे सखा, अच्छी ..है सरकार ।
बढ़ा रही वो दक्षता, बड़ा करो उपकार ।।

कैम्प लगा ...जो कर रही, भरती वो.. सरकार ।

अब अवकाश मिला उसे, करती ....है बेगार ।।

रोजगार ....वो ..दे ...रहे, आते निकट चुनाव ।
कि शीत ऋतु से पूर्व ही, जलने लगे अलाव ।।

मौलिक व अप्रकाशित

आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का हार्दिक स्वागत है। 

आपके कई दोहे सटीक बन पड़े हैं। 

यथा, 

रीढ़ रहा जो देश की, मध्यम वो परिवार ।
महँगाई.. वो झेलता, ढोता है.. सरकार ।।

किंतु, अधोलिखित दोहे की संप्रेषणीयता संदिग्ध प्रतीत हो रही है -

रोजगार ....वो ..दे ...रहे, आते निकट चुनाव ।
कि शीत ऋतु से पूर्व ही, जलने लगे अलाव ।।

फिर भी, आपकी प्रस्तुति इस बार अधिक संयत है। 

आपकी भागीदारी का हार्दिक धन्यवाद। 

सादर

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई। 

आ. भाई सौरभ जी की बात का संज्ञान लें। सादर..

शिक्षा जन की व्यर्थ सी, मिले नहीं जब काम।
विज्ञापित  करतीं   भले, सरकारें  निज  नाम।।
*
पूँजीवादी  दौर  अब, मिश्रित  गया व्यतीत।
जन कल्याणी  शेष  ना, सरकारों  की रीत।।
*
रोजगार की राह में, एम. एन. सी का राज।
कब चमकेगा देश यह, पहन स्वदेशी ताज।।
*
रोजी रोटी  की भले, सब  को ही दरकार।
सरकारों ने मान ली, किन्तु यहाँ अब हार।।
*
काम सृजन का देश में, दिखता नहीं प्रयास।
इसी  बात  से  हो  रहा, युवा  बहुत  निराश।।
*

अवसर  देने  को  लगा,मेला  उस  के  द्वार।

कुछ व्यवसायी कह रहे, मत मानो जन हार।।
*
मौलिक/अप्रकाशित

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपने प्रदत्त चित्र को दोहे में ढाल मुखर कर दिया है। बहुत-बहुत बधाई। 

शिक्षा जन की व्यर्थ-सी, मिले नहीं जब काम.. को शिक्षा जन की व्यर्थ है, मिले नहीं जब काम.. करने से अर्थ-प्रवणता विशिष्ट हो जाती है। 

अवसर  देने  को  लगा,मेला  उस  के  द्वार।

कुछ व्यवसायी कह रहे, मत मानो जन हार।।

को निम्नलिखित रूप दें तो - 

रोजगार यदि चाहिए, अवसर आया द्वार 

कम्पनियाँ भी कह रहीं, मत मानो तुम हार 

आपकी भागीदारी के लिए हार्दिक धन्यवाद 

शुभातिशुभ

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
7 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
17 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service