For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य-प्रेमियो,

सादर अभिवादन.

 

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 41 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.

पिछले दो आयोजनों से पाँच-पाँच कर दस छन्दों पर पुनरभ्यास किया गया. उन सभी दसों छन्दों पर आयोजन हो चुके थे. इस आयोजन से पुनः हम नये छन्दों पर काम करेंगे.

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ

19 सितम्बर 2014 से 20 सितम्बर 2014 दिन शुक्रवार  से दिन शनिवार

 

 

इस बार के आयोजन के लिए जिस छन्द का चयन किया गया है, वह है –  भुजंगप्रयात छन्द

एक बार में अधिक-से-अधिक पाँच भुजंगप्रयात छन्द प्रस्तुत किये जा सकते है. ऐसा न होने की दशा में प्रतिभागियों की प्रविष्टियाँ ओबीओ प्रबंधन द्वारा हटा दी जायेंगीं.

[प्रयुक्त चित्र अंतरजाल (Internet) के सौजन्य से प्राप्त हुआ है.]

भुजंगप्रयात छन्द के आधारभूत नियमों को जानने हेतु यहीं क्लिक करें.

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 19 सितम्बर 2014 से 20 सितम्बर 2014 यानि दो दिनों के लिए रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा. केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

विशेष :

यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

अति आवश्यक सूचना :

  • आयोजन की अवधि के दौरान सदस्यगण अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक के हिसाब से पोस्ट कर सकेंगे. ध्यान रहे प्रति दिन एक प्रविष्टि, न कि एक ही दिन में दो प्रविष्टियाँ.
  • रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  • सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.
  • आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  • इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  • रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  • रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 9673

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय रकताले जी रचना की सराहना के लिए हार्दिक आभार ।

आदरणीय कल्पना जी सादर,

बहुत सुंदर भावपूर्ण एवं सन्देश परक् रचना  के लिए आपको हार्दिक बधाई 

हमारा यही फर्ज़, हो मान इसका।

युगों से सुधा सा, पिया दुग्ध जिसका।

वरें धर्म को, नीति की बात जानें।

रुके गाय-हत्या, यही लक्ष्य ठानें।  सुन्दर एवं उत्तम लक्ष्य 

 

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सत्यनारायन जी

महनीया

सुन्दर रचना केलिए आपको बधाई i

 

हमारा यही फर्ज़, हो मान इसका।

युगों से सुधा सा, पिया दुग्ध जिसका।

वरें धर्म को, नीति की बात जानें।

रुके गाय-हत्या, यही लक्ष्य ठानें।

 

आदरणीय गोपाल नारायण जी, प्रोत्साहित करने के लिए बहुत धन्यवाद आपका

बहन कल्पना जी आपका छंद पढकर मुग्ध हूँ सच्चाई का दर्शन कराया आपने बहुत बधाई आपके भावों को सादर नमन ! 

सदा रक्ष माता, रहे ये हमारी।  

विरोधी खलों से, रखें जंग जारी।

बचें पाप से, मूक गौ को बचाएँ।

करें कर्म वे, नेक कर्मी कहाएँ।      आदरणीय कल्पनाजी,  बहुत सुन्दर भाव पिरोए है ..बधाई आप को

भुजंगप्रयात पर बढ़िया प्रयास, ध्यान योग्य यह है कि हिंदी छंद और ग़ज़ल में तनिक अंतर है, वहाँ कई जगह ११=२ हो जाता है किन्तु यहाँ ११ = २ नहीं हो सकता।
सादर।

आदरणीया कल्पना रामानी जी, आपकी उत्कृष्ट लेखनी के हम सदा कायल  रहे हैं. प्रस्तुत छन्द भी मन को मोह रहा है. सार्थक सन्देश देती इन पंक्तियों के  लिये विशेष रूप से बधाइयाँ स्वीकार कीजिये.......

हमारा यही फर्ज़, हो मान इसका।

युगों से सुधा सा, पिया दुग्ध जिसका।

वरें धर्म को, नीति की बात जानें।

रुके गाय-हत्या, यही लक्ष्य ठानें।

भुजंग प्रयात छंद

*******************

१२२    १२२   १२२   १२२

कहीं  गाय, माता, गयी है  पुकारी

कहीं  गाय ही पे  चली है  दुधारी

कहीं पे बुराई कहीं  धर्म    देखा    

कहीं जाँ शिला सी कहीं नर्म देखा

 

बड़े प्यार से तिफ्ल माथा छुआ है

कहीं गाय को  भाव ये छू गया है

वहीं एक बन्दर भी  ये सोचता है

यही देश है,  गाय जो पूजता  है 

 

यही   दर्द  मेरा  यही  भाव मेरा

यही  है  सचाई   यही घाव  मेरा  

जहाँ पे नदी , लोग माता   पुकारें

वहाँ क्यों हमीं  गाय बे मौत मारें 

******************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

वहीं एक बन्दर भी ये सोचता है

यही देश है, गाय जो पूजता है 

 

यही दर्द मेरा यही भाव मेरा

यही है सचाई यही घाव मेरा

जहाँ पे नदी, लोग माता पुकारें....  जहाँ पे नदी को सभी माँ पुकारें .. ऐसा क्या और अधिक संप्रेषणीय नहीं होगा, आदरणीय ?

वहाँ क्यों हमीं गाय बे मौत मारें

आदरणीय गिरिराजभाईजी, आपकी इन पंक्तियो के लिए दिल से बधाई कह रहा हूँ.  प्रदत्त चित्र को आपने बेहतर शब्द दिये हैं.

किन्तु, आदरणीय, प्रस्तुति की एक पंक्ति में ली गयी छूट ’दीख’ रही है -  वहीं एक बन्दर भी ये सोचता है

छन्द में मात्रा गिराने का कोई पारम्परिक नियम नहीं है.

अलबत्ता, कारक की विभक्तियों या है या था आदि के लघु रूपों को गिराने से नहीं जोड़ा जाना चाहिये. शब्दों को ’पद’ में परिवर्तित करने पर, (यथा, राम शब्द है और रामहिं जिसका अर्थ राम ने या राम को आदि पद हैं, धोती शब्द है जबकि धोति पद, यानि इसके कुछ खास नियम हैं), उनकी किसी मात्रा का लघु रूप हो सकता है. ऐसा भी आदरणीय दण्डकों (ऐसे पदों के छन्द जिमें २१ से अधिक वर्ण हों. यथा, सवैया, कवित्त आदि) में होता है, नकि छोटे (२१ वर्ण से कम के पदों वाले) छन्दों में.

परन्तु, दो लघुओं को एक गुरु या एक दीर्घ नहीं माना जा सकता.

 

यह सारा कुछ तनिक ’झंझटिया’ अवश्य है, परन्तु यही तो लेखकीय चुनौती है, जिसका पालन इस मंच के आयोजनों में होता है. है न ?

आपके प्रयास के लिए पुनः साधुवाद.

आदरणीय सौरभ भाई , सही हिस्से की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार | बन्दर,  मैं जानता था कि इस छंद में उपयोग गलत है , पर बहुत सोचने के बाद भी कुछ नहीं सूझा , आगे से ख्याल रखूंगा , विस्तार से समझाने के लिए अलग से बहुत  बहुत शुक्रिया |

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
4 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
11 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहा सप्तक. . . . . मित्र जग में सच्चे मित्र की, नहीं रही पहचान ।कदम -कदम विश्वास का ,होता है…"
14 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर,…"
21 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"गीत••••• आया मौसम दोस्ती का ! वसंत ने आह्वान किया तो प्रकृति ने श्रृंगार…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आया मौसम दोस्ती का होती है ज्यों दिवाली पर  श्री राम जी के आने की खुशी में  घरों की…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली अपने थीम के अनुरूप ही प्रस्तुत हुई है.  हार्दिक बधाई "
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली के लिए हार्दिक धन्यवाद.   यह अवश्य है कि…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service